मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh )में सत्र 2024 - 25 ( Session 2024 - 25 ) के लिए चल रही एडमिशन प्रक्रिया के बीच उच्च शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ( National Education Policy-2020 ) को लेकर मध्यप्रदेश में एक बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत अब स्टूडेंट उसी विषय से दो वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन ( PG ) कर सकते है। अंडर ग्रेजुएशन ( ug ) में मेजर सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई की है। उदाहरण के लिए, यदि छात्र ने हिस्ट्री सब्जेक्ट को मेजर सब्जेक्ट बनाकर BA किया है, तो हिस्ट्री से ही एमए कर सकता है। यूजी के मेजर सब्जेक्ट के अलावा अन्य किसी भी विषय से पीजी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में साइंस स्ट्रीम के छात्र बीएससी, कॉमर्स स्ट्रीम के छात्र बीकॉम करने के बाद एमए नहीं कर पाएंगे, बल्कि बीए में जो विषय मेजर होगा उसी से एमए कर सकते है।
उच्च शिक्षा विभाग ने जारी की गाइडलाइन
उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को गाइडलाइन जारी किया है, और कहा है कि जो छात्र यूजी तीसरे साल के बाद दो वर्षीय पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं उन्हें मेजर सब्जेक्ट में निर्धारित क्रेडिट अर्जित करना होगा। वहीं 29 मई को पीजी में प्रवेश के लिए सीट अलॉटमेंट होगा। इससे पहले विभाग द्वारा जारी इस गाइडलाइन को लेकर प्रवेश प्रक्रिया भी में प्रभाव पड़ सकता है। एक्सपर्ट का मानना है कि एमए में एडमिशन लेने वाले करीब 10 से 20 प्रतिशत छात्र साइंस और कॉमर्स के हैं।
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सीट अलॉटमेंट को लेकर निर्देश जारी
एनईपी लागू होने से पहले तक छात्र तीन विषयों के कांचिनेशन के साथ यूजी करते थे। इसके बाद वो इन तीन में से किसी भी विषय से दो साल का पीजी कर सकते थे। अभी तक दो वर्षीय एमकॉम करने के लिए बीकॉम, एमएससी के लिए संबंधित विषय के साथ बीएससी, एमएससी ( Home Economics ) के लिए बीएससी ( Home Economics ) जरूरी रहता है। एसएसडब्ल्यू और एमए के लिए किसी भी स्ट्रीम से यूजी करने पर प्रवेश दिया जाता था। यही नियम सत्र 2024-25 के प्रवेश नियम एवं मार्गदर्शी सिद्धांत में भी शामिल किए गए। लेकिन सीट अलॉटमेंट से पहले विभाग ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को नए निर्देश जारी कर दिए हैं।
पहले पीजी का ऑर्डिनेंस बने
बीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एचएस त्रिपाठी का कहना है कि मेजर सब्जेक्ट से एक साल पीजी करने के लिए शर्त होनी चाहिए। एनईपी में छात्र एक वर्षीय पीजी में प्रवेश, चार वर्षीय यूजी करने के बाद ले सकता है। मप्र में यह स्थिति सत्र 2025 - 26 में बन सकती है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एनईपी के तहत पीजी कोर्स का करिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क ( ऑर्डिनेंस ) भी तैयार नहीं किया गया। बिना अध्यादेश के ही एनईपी का हवाला देकर पीजी में प्रवेश के लिए यूजी के मेजर सब्जेक्ट में निर्धारित क्रेडिट अर्जित करने की शर्त लागू होने से छात्र प्रभावित हो सकते हैं। इससे छात्रों को विकल्प नहीं मिल पाएंगे।
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यूजीसी द्वारा एनईपी के तहत दिसंबर-2022 में कॅरिकुलम एंड क्रेडिट फ्रेमवर्क फॉर अंडर ग्रेजुएशन प्रोग्राम में डबल मेजर सब्जेक्ट की व्यवस्था हो गई है। इसके तहत छात्र यूजी में दो विषयों को मेजर सब्जेक्ट बनाकर पढ़ाई कर सकते हैं। मप्र में छात्रों को यह सुविधा नहीं दी गई है। वर्तमान में सिर्फ एक ही विषय को मेजर सब्जेक्ट बनाया जा सकता है। ऐसे में छात्र को पीजी करने के लिए सिर्फ एक ही विषय से पीजी करने का मौका मिल सकता है। यदि डबल मेजर की व्यवस्था होती तो उसे एक से ज्यादा ऑप्शन भी मिल सकते हैं।
निर्देश जारी कर दिए हैं
उच्च शिक्षा के ओएसडी डॉ. धीरेंद्र शुक्ल का कहना है कि इस संबंध में विवि और कॉलेजों को निर्देश जारी कर दिए हैं। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है। छात्र को यूजी स्तर से ही फोकस होकर पढ़ाई करनी होगी, जिसमें वो स्पेशलाइजेशन चाहता है।