शिक्षा मंत्रालय के सर्वे में बड़ा खुलासा, छठी क्लास तक के 47% स्टूडेंट्स को नहीं आते 10 तक के पहाड़े

भारत सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक सर्वे किया। इसमें 6वीं कक्षा के लाखों छात्रों को शामिल किया गया। सर्वे का उद्देश्य कोविड में हुई शिक्षा की खामियों को समझना है।

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Kaushiki
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भारत में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के प्रजेंटेशन का इवैल्यूएशन करने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने एक डिटेल सर्वे किया है। इस सर्वे में अलग-अलग राज्यों के 6वीं तक के कक्षा के लाखों छात्रों को शामिल किया गया, जिससे उनकी जनरल नॉलेज और एफिशिएंसी का इवैल्यूएशन किया गया। 

इस सर्वे के माध्यम से छात्रों की जनरल नॉलेज और उनके नॉलेज का टेस्ट किया गया। सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि क्या कोविड के समय में हुई शिक्षा की खामियां अब तक पूरी हो पाई हैं और किन-किन राज्यों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। आइए जानें...

इतने बच्चों पर हुआ सर्वे

भारत में करीब हर स्टेट के बच्चों को मिलाकर करीब 21.15 लाख बच्चों पर ये सर्वे किया गया। छात्रों के साथ अलग-अलग राज्यों और यूनियन टेरिटरी क्षेत्रों के 74 हजार 2 सौ 29 स्कूलों में आयोजित हुआ। इसमें तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के छात्रों ने हिस्सा लिया।

इस सर्वे के माध्यम से छात्रों की गणित, भाषा और सामान्य समझ में उनकी दक्षता का असेसमेंट किया गया। सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि क्या कोविड के समय हुई शिक्षा की खामियां अब तक पूरी हो पाई हैं और किन-किन राज्यों ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।

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📊 सर्वे के रिजल्ट 

इस सर्वे के नतीजों में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें, छठी कक्षा के 47% छात्रों को 10 तक के पहाड़े तक याद नहीं होते, जबकि तीसरी कक्षा के 45% छात्र अंक बढ़ाने या घटाने में असमर्थ होते हैं।

इसके अलावा, 42% छात्र दो अंकों की संख्याओं का जोड़-घटाव भी नहीं कर पाते। इस सर्वे ने यह भी बताया कि कई राज्यों में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जबकि कुछ राज्यों ने सुधार के प्रभावी कदम उठाए हैं।

🏆 सर्वे में टॉप और लोअर स्टेट का प्रदर्शन 

सर्वे के नतीजों में पाया गया कि पंजाब, केरल, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ के छात्रों का प्रदर्शन अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत अच्छा रहा है। विशेष रूप से, पंजाब के छात्रों ने तीसरी और नौवीं कक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन किया।

इसके अलावा, केरल के छात्रों ने छठी कक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। दूसरी तरफ, झारखंड, बिहार, और मेघालय जैसे राज्य शिक्षा के मामले में पिछड़े हुए दिखे। पंजाब के बरनाला और संगरूर जिले ने सर्वे में टॉप-1 की रैंक हासिल की है।

🧠मेन्टल डेवलपमेंट की कोई नॉलेज नहीं

सर्वे ने यह भी स्पष्ट किया कि किशोर अवस्था में शारीरिक, मानसिक और हार्मोनल बदलाव के बारे में छात्रों का ज्ञान कम था। केवल 37% छात्रों ने शारीरिक विकास और हार्मोनल चेंजेस को लेकर समझ जाहिर की, जो कि एक चिंता का विषय है। इसके अलावा, छात्रों की भाषा और गणित समझ में भी सुधार की जरूरत महसूस हो रही है।

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💡शिक्षा में सुधार की जरूरत

सर्वे ने यह साबित कर दिया कि भारतीय छात्रों की शिक्षा के स्तर में बहुत अंतर है और कुछ राज्य जैसे पंजाब, केरल और हिमाचल प्रदेश ने बेहतर परिणाम प्राप्त किए हैं। हालांकि, कोविड के बाद शिक्षा में आई गिरावट को लेकर अब भी चुनौतियां बनी हुई हैं।

यह सर्वे शिक्षा नीति निर्माताओं के लिए एक संकेत है कि जल्द से जल्द करेक्टिव स्टेप्स उठाए जाएं ताकि सभी छात्रों को समान अवसर और शिक्षा मिल सके।

इस सर्वे से यह भी सीखा जा सकता है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए हमें सिर्फ कक्षाओं में पढ़ाई तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि बच्चों की मानसिक और शारीरिक विकास प्रक्रिया पर भी ध्यान देना चाहिए।

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