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MP News: मध्य प्रदेश के कॉलेजों में PG में एडमिशन (MP College Admission) लेने जा रहे छात्रों के लिए एक बड़ी खबर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP 2020) के तहत एक नया अध्यादेश लागू किया गया है। इसके अनुसार, अब पीजी में प्रवेश (pg admission started) की प्रक्रिया पहले से ज्यादा सख्त हो गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि छात्र अब वही विषय पढ़ सकेंगे, जो उन्होंने अंडर ग्रेजुएशन (UG) में पढ़ा था।
इस नए नियम से छात्रों को अपनी पसंद के विषय में पीजी करने की आजादी कम हो जाएगी। अब यह नियम लागू होने के बाद, छात्रों को पहले से तय विषयों में ही आगे पढ़ाई करनी होगी। यह निर्णय छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जिनकी रुचि अलग-अलग विषयों में थी।
विषय बदलने पर देनी होगी प्रवेश परीक्षा
अगर कोई छात्र अपनी स्नातक (UG) की डिग्री के विषय से हटकर कुछ और करना चाहता है, तो अब उसे पात्रता प्रवेश परीक्षा (Eligibility Entrance Exam) पास करनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने बीएससी (B.Sc) की है और वह एमए (M.A) करना चाहता है, तो उसे उस विषय की परीक्षा में अपनी योग्यता दिखानी होगी।
अब, यह जरूरी हो गया है कि स्नातकोत्तर (PG) के लिए संबंधित विषय की परीक्षा पास की जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्र उस विशेष विषय में प्रवेश के लिए योग्य है। इससे छात्रों को अपने चुने हुए विषय में अधिक गहराई से ज्ञान प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
परीक्षा आयोजन पर कन्फयूजन की स्थिति
अध्यादेश में यह प्रावधान है कि यह परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर (University Level) या राष्ट्रीय स्तर (National Level) पर आयोजित की जा सकती है। वर्तमान में शासन के पास तीन विकल्प हैं:
CUET PG-2026: मध्य प्रदेश में CUET PG-2026 को लेकर विभाग ने कॉलेजों को निर्देश दिए हैं। कॉलेजों को छात्रों को इस परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए गए हैं।
राज्य स्तरीय परीक्षा: राज्य स्तर पर एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा (State Level Entrance Exam) आयोजित करने पर विचार हो रहा है। इसके लिए राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों के बीच चर्चा चल रही है।
विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षा: अगर राज्य स्तर पर सहमति नहीं बनती है, तो विश्वविद्यालय अपनी परीक्षा खुद कराएंगे। इस मामले में विवि की ओर से परीक्षा आयोजित करने की योजना है।
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एडमिशन प्रक्रिया में चुनौतियां
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में नए नियमों (mp education news) को लागू करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
रिजल्ट में देरी (Delay in Results): प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों में यूजी फाइनल ईयर के परिणाम समय पर घोषित नहीं हो पाते। इसका सीधा असर पीजी एडमिशन पर पड़ता है।
प्रावधिक प्रवेश (Provisional Admission): रिजल्ट में देरी को देखते हुए विभाग यूजी प्रथम और द्वितीय वर्ष के अंकों के आधार पर 'प्रोविजनल एडमिशन' की व्यवस्था कर रहा है।
परीक्षा केंद्रों की दूरी: विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रवेश परीक्षा के केंद्र छात्रों के घर से दूर बनाए गए, तो छात्र संख्या में भारी गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञ की राय: "प्रवेश परीक्षा चाहे राज्य स्तरीय हो या विवि स्तरीय, परीक्षा केंद्र छात्रों के नजदीक होने चाहिए। पिछले साल इंटरव्यू केवल विवि कैंपस में होने के कारण कई ग्रामीण छात्र शामिल नहीं हो पाए थे।" - डॉ. एचएस त्रिपाठी, पूर्व कुलसचिव
को-आर्डिनेशन कमेटी लेगी अंतिम निर्णय
इस नई व्यवस्था और परीक्षा के स्वरूप पर अंतिम मुहर राज्यपाल की अध्यक्षता वाली को-आर्डिनेशन कमेटी (Coordination Committee) की बैठक में लगेगी। स्टैंडिंग कमेटी में चर्चा के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि आगामी सत्र 2026-27 के लिए प्रवेश का आधार क्या होगा।
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