DELHI. भारतीय चिकित्सा पद्दति राष्ट्रीय आयोग ( National Commission for Indian System of Medicine - NCISM ) द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर 60 से लेकर 200 बीएएमएस सीटेट कॉलेजों के लिए नए मापदण्ड निर्धारित करने से भोपाल मप्र, पटना बिहार, दिल्ली, लखनऊ, बरेली उप्र, रायपुर छग, जयपुर राजस्थान समेत देशभर के 540 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों में खलबली मच गई है, और निजी कॉलेज सकते में आ गए हैं, जबकि आयुर्वेद सम्मेलन ( Ayurveda Mahasammelan ) व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने इसे आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा के गुणात्मक सुधार की दिशा में उचित कदम बताया है, ये मापदण्ड पत्र नोटिफिकेशन होते ही लागू माने जाएंगे। सत्र 2025 से उन्हीं कॉलेजों को मान्यता मिलेगी जो ये निर्धारित मापदण्ड पूरा करेंगे।
आईपीडी अनिवार्य होगी
अब 60 बीएएमएस सीटों के लिये 36 टीचिंग फैकल्टी, संबद्ध हॉस्पिटल में रोजाना 36 मरीजों की आईपीडी व 120 ओपीडी, 61 से 100 सीटेट कॉलेज के लिए 51 टीचिंग फैकल्टी, आईपीडी 60 व 200 की ओपीडी , 101 से 150 सीटेट के लिए 70 टीचिंग फैकल्टी, 300 ओपीडी व 90 आईपीडी, 151 से 200 सीटेट कॉलेज के लिये 90 टीचिंग फैकल्टी, 400 ओपीडी व 120 मरीजों की आईपीडी अनिवार्य हो गई है।
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लागू होगा रेटिंग सिस्टम
रेटिंग स्कोर 75 से ऊपर ए ग्रेड, 50 से 74 तक बी ग्रेड, 25 से 49 तक सी ग्रेड तथा 25 से कम को डी ग्रेड दिया जाएगा। इसके लिए निरीक्षण के समय रेटिंग फीस दो लाख पचास हजार से 4 लाख तक ली जाएगी ऑल इण्डिया सेंट्रल काउंसलिंग कमेटी परामर्श प्रक्रिया प्रारंभ होने के पूर्व ही रेटिंग ग्रेड जारी कर जाएगी।
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सभी कॉलेजों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ समिति बनाने के साथ कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति, छात्रों के लिए लायब्रेरी में बायोमेट्रिक व कॉलेज तथा हॉस्पिटल में क्लोज्ड सर्किट कैमरा होना जरूरी है। नोटिफिकेशन में साफ लिखा है कि स्टॉफ का नोटिस पीरियड 30 दिन से ज्यादा नहीं होगा। फिलहॉल अनेक संस्थानों ने 90 दिन का भी नोटिस पीरियड रखा है, जिससे फैकल्टी को एक संस्था से दूसरी संस्था में ज्वाइन करने में परेशानी होती थी।
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एनसीआईएसएम ने दी चेतावनी
एनसीआईएसएम ने चेतावनी दी है कि जो संस्था/ मैनेजमेंट गलत-झूठा डेटा संबंधित जानकारी या रिश्वत संबंधित कार्यों में लिप्त होगी उस पर अधिनियम की धारा 28 की उपधारा 1 के खण्ड 1 के तहत कार्यवाही की जाएगी साथ ही एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। छात्रों को हिदायत दी है कि चार साल की बीएएमएस डिग्री के बाद एक वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप अवैध पाई जाती है, अथवा गलत-झूठी जानकारी प्रमाणित होकर दोषी पाए जाने पर एक से दो वर्ष का सजा के साथ ही पांच से दस लाख का जुर्माना भरना पड़ सकता है और प्रवेश भी निरस्त हो सकता है। ज्ञात रहे कि आयुर्वेद कॉलेजों को हर साल मान्यता एनसीआईएसएम टीम के गहन निरीक्षण व आयुष मंत्रालय भारत सरकार के निर्णय पर दी जाती है। संभव है कठिन मापदण्डों के चलते 100 से 150 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। मध्यप्रदेश में 34, बिहार में 10 मान्यता प्राप्त आयुर्वेद कॉलेज समेत देशभर में 540 आयुर्वेद कॉलेज संचालित हो रहे हैं। नए नियम शासकीय व निजी सभी आयुर्वेद स्नातक कॉलेजों पर लागू होंगे।
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