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आपने अक्सर व्हाइट कॉलर (ऑफिस जॉब्स) और ब्लू कॉलर (मैनुअल लेबर) जॉब्स के बारे में सुना होगा लेकिन पर्पल कॉलर जॉब्स एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जो इन दोनों का मिला-जुला रूप है। सीधे शब्दों में कहें तो, पर्पल कॉलर जॉब्स में ऐसे काम शामिल होते हैं जहां शारीरिक कौशल और दिमागी कौशल दोनों की जरूरत होती है।
ये वो प्रोफेशन हैं जहां आप सिर्फ हाथ से काम नहीं करते बल्कि दिमाग का भी पूरा यूज करते हैं। इनमें अक्सर टेक्नोलॉजी का भी बड़ा रोल होता है। इनमें आपको टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होगा, प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना होगा और साथ ही प्रैक्टिकल स्किल्स भी दिखानी होंगी।
इंडिया में इन जॉब्स का फ्यूचर बहुत ब्राइट है और ये आपको ग्रोथ के शानदार मौके दे सकती हैं। इन जॉब्स की खासियत यह है कि ये सिर्फ एक तरह के स्किल्स पर निर्भर नहीं करतीं, बल्कि एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाती हैं।
इनमें प्रॉब्लम-सॉल्विंग, क्रिटिकल थिंकिंग, कम्युनिकेशन और टेक्निकल नॉलेज, सब कुछ चाहिए होता है। आइए, जानते हैं क्या होती हैं ये जॉब्स और इनमें आपके लिए क्या-क्या पॉसिबिलिटीज हैं।
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🤔🟣क्या होते हैं पर्पल कॉलर जॉब्सपर्पल कॉलर जॉब्स ऐसी नौकरियां होती हैं जहां आपको हाथों और दिमाग दोनों से काम करना पड़ता है। ये व्हाइट-कॉलर (office jobs) और ब्लू-कॉलर (manual labor) जॉब्स का एक मिक्सचर हैं। इनमें अक्सर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, जैसे किसी मशीन को ऑपरेट करना या सॉफ्टवेयर से प्रॉब्लम सॉल्व करना। इन जॉब्स के लिए खास स्किल्स और ट्रेनिंग की जरूरत होती है। जैसे, एक मैकेनिक जो कंप्यूटर से गाड़ी ठीक करता है या एक नर्स जो मेडिकल मशीनें ऑपरेट करती है। इन जॉब्स के लिए अक्सर स्पेशल ट्रेनिंग या डिप्लोमा की जरूरत होती है। |
🛠️🧐 पर्पल कॉलर जॉब्स में क्या-क्या होता है
Purple Collar Jobs बहुत डाइवर्स होती हैं और उनमें कई तरह के काम शामिल हो सकते हैं:
🛠️ टेक्निकल स्किल्स (Technical Skills):
- इन जॉब्स में अक्सर किसी खास टेक्नोलॉजी या इक्विपमेंट को चलाने की जानकारी होना जरूरी है। जैसे, मशीनरी ऑपरेट करना, सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना या किसी सिस्टम को मेंटेन करना।
🛠️ हैंड्स-ऑन वर्क (Hands-on Work):
- इनमें सीधे तौर पर किसी चीज पर काम करना होता है। यह कोई इक्विपमेंट ठीक करना हो सकता है, कोई चीज बनाना हो सकता है, या किसी प्रक्रिया को फिजिकली मैनेज करना हो सकता है।
🛠️ प्रॉब्लम-सॉल्विंग (Problem-Solving):
- इन जॉब्स में अकसर ऐसी सिचुएशंस आती हैं जहां आपको तुरंत कोई समस्या पहचाननी होती है और उसका समाधान निकालना होता है। इसके लिए लॉजिकल थिंकिंग और एनालिटिकल स्किल्स की जरूरत होती है।
🛠️ कम्युनिकेशन (Communication):
- भले ही यह हैंड्स-ऑन जॉब्स लगें, इनमें टीम मेंबर्स, क्लाइंट्स या मरीजों के साथ बातचीत करना भी बहुत जरूरी होता है।
🛠️ एडेप्टेबिलिटी (Adaptability):
- टेक्नोलॉजी और काम करने के तरीके लगातार बदलते रहते हैं, इसलिए इन जॉब्स में नए स्किल्स सीखने और बदलावों के हिसाब से खुद को ढालने की क्षमता बहुत जरूरी है।
🛠️ सेफ्टी प्रोटोकॉल्स (Safety Protocols):
- कई पर्पल कॉलर जॉब्स में फिजिकल काम शामिल होता है, इसलिए सेफ्टी रूल्स और प्रोटोकॉल्स का पालन करना भी एक अहम हिस्सा होता है।
🙋♀️🙋♂️ कौन-कौन कर सकते हैं ये जॉब्स
पर्पल कॉलर जॉब्स के लिए कोई एक स्पेसिफिक एजुकेशनल बैकग्राउंड नहीं होता। ये उन लोगों के लिए बेहतरीन हैं जो:
🤔 हाथों और दिमाग का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं:
- अगर आपको प्रैक्टिकल काम करने में मजा आता है और आप साथ ही अपनी बुद्धि का भी इस्तेमाल करना चाहते हैं।
🤔 टेक्नोलॉजी में रुचि रखते हैं:
- जो लोग नई टेक्नोलॉजी सीखने और उसे अप्लाई करने के शौकीन हैं।
🤔 समस्याओं का समाधान ढूंढना पसंद करते हैं:
- जो लोग चैलेंजेस से नहीं घबराते और उनका हल निकालने में एक्सपर्ट हैं।
🤔 लगातार सीखना चाहते हैं:
- ये ऐसे प्रोफेशन हैं जहां आपको हमेशा कुछ नया सीखने को मिलेगा।
🤔 डाइवर्स वर्क एनवायरनमेंट पसंद करते हैं:
- अगर आप एक ही जगह बैठकर काम करने की बजाय अलग-अलग तरह के काम करना चाहते हैं।
इन जॉब्स के लिए अक्सर वोकेशनल ट्रेनिंग, डिप्लोमा कोर्सेज, या स्पेशलाइज्ड सर्टिफिकेट प्रोग्राम्स काफी उपयोगी होते हैं। कुछ पदों के लिए ग्रेजुएशन भी जरूरी हो सकती है, खासकर उन फील्ड्स में जहां टेक्निकल और मैनेजमेंट दोनों का मिश्रण होता है।
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💻🛠️ क्या हैं इसके करियर स्कोप
भारत में पर्पल कॉलर जॉब्स का करियर स्कोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हमारी इकॉनमी जैसे-जैसे डिजिटलाइज हो रही है और इंडस्ट्रीज मॉडर्नाइज हो रही हैं, वैसे-वैसे इन स्किल्स की डिमांड भी बढ़ रही है। सरकार की 'मेक इन इंडिया', 'स्किल इंडिया' जैसी पहलें भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही हैं। जैसे
🙋♀️ टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स (Technological Advancements):
- AI, ऑटोमेशन, IoT जैसी तकनीकों का उद्योगों में बढ़ता उपयोग।
🙋♀️ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (Infrastructure Development):
- सड़क, रेलवे, स्मार्ट सिटीज जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में कुशल टेक्निशंस की जरूरत।
🙋♀️ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ (Growth in Manufacturing Sector):
- भारत का मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का लक्ष्य, जिससे स्किल्ड लेबर की डिमांड बढ़ती है।
🙋♀️ सर्विस सेक्टर का विस्तार (Expansion of Service Sector):
हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस जैसी सेवाओं में तकनीकी और मैनेजमेंट स्किल्स वाले लोगों की जरूरत।
🙋♀️ स्किल डेवलपमेंट पर जोर (Emphasis on Skill Development):
- सरकार और प्राइवेट प्लेयर्स के स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में इन्वेस्टमेंट।
इन सभी कारणों से भारत में पर्पल कॉलर जॉब्स फ्यूचर के लिए एक बहुत ही प्रोमिसिंग करियर पाथ बन रही हैं।
💰 इसमें कौन-कौन से जॉब्स मिल सकते हैं
भारत में पर्पल कॉलर जॉब्स की एक लंबी लिस्ट है। यहां कुछ प्रमुख पद और उनकी अनुमानित मासिक सैलरी (अनुभव और लोकेशन के आधार पर भिन्न हो सकती है) दी गई है:
🏭 एडवांस मैन्युफैक्चरिंग तकनीशियन (Advanced Manufacturing Technician)
- क्या होता है: ये लोग आधुनिक मशीनों, जैसे CNC मशीनें, रोबोटिक आर्म्स, और ऑटोमेटेड सिस्टम्स को ऑपरेट और मेंटेन करते हैं। ये प्रोडक्शन प्रोसेस को ऑप्टिमाइज करने और क्वालिटी कंट्रोल में भी मदद करते हैं।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक (मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेकाट्रॉनिक्स), ITI से संबंधित ट्रेड्स वाले, या विशेष औद्योगिक ट्रेनिंग प्राप्त व्यक्ति।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹25,000 - ₹50,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
🤖 इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन इंजीनियर/टेक्नीशियन (Industrial Automation Engineer/Technician)
- क्या होता है: ये फैक्ट्रियों और इंडस्ट्रीज में ऑटोमेशन सिस्टम्स (PLC, SCADA, रोबोटिक्स) को डिजाइन, इंस्टॉल, प्रोग्राम और ट्रबलशूट करते हैं। इनका काम यह सुनिश्चित करना होता है कि मशीनों के बीच तालमेल सही रहे और प्रोडक्शन स्मूथली से चले।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन या मेकाट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा वाले।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹30,000 - ₹70,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
🏥 बायोमेडिकल इक्विपमेंट तकनीशियन (Biomedical Equipment Technician)
- क्या होता है: हॉस्पिटल्स और क्लिनिक्स में उपयोग होने वाले मेडिकल इक्विपमेंट्स (जैसे ECG मशीनें, MRI स्कैनर्स, वेंटिलेटर्स) को इंस्टॉल, कैलिब्रेट, मेंटेन और रिपेयर करते हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि उपकरण सही ढंग से काम कर रहे हैं।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: बायोमेडिकल इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा/डिग्री, या विशेष बायोमेडिकल इक्विपमेंट ट्रेनिंग वाले।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹20,000 - ₹45,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
🌐 डेटा सेंटर तकनीशियन (Data Center Technician)
- क्या होता है: डेटा सेंटर्स में सर्वर, नेटवर्किंग इक्विपमेंट्स और स्टोरेज सिस्टम्स को मैनेज, इंस्टॉल, मेंटेन और ट्रबलशूट करते हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि डेटा सेंटर 24/7 काम करता रहे।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: कंप्यूटर साइंस, IT, या इलेक्ट्रॉनिक्स में डिग्री/डिप्लोमा, या नेटवर्क/सर्वर एडमिनिस्ट्रेशन में सर्टिफिकेट वाले।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹25,000 - ₹55,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है) ।
☀️🍃 रेन्युएबल एनर्जी तकनीशियन (Renewable Energy Technician)
- क्या होता है: सोलर पैनल, विंड टर्बाइन, और अन्य रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम्स को इंस्टॉल, मेंटेन और रिपेयर करते हैं। ये एनर्जी एफिशिएंसी को ऑप्टिमाइज करने में भी मदद करते हैं।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: इलेक्ट्रिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, या विशेष रेन्युएबल एनर्जी ट्रेनिंग वाले।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹20,000 - ₹45,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
📈 डिजिटल मार्केटिंग स्पेशलिस्ट (Digital Marketing Specialist)
- क्या होता है: ये ऑनलाइन मार्केटिंग कैंपेन्स (SEO, SEM, सोशल मीडिया, कंटेंट मार्केटिंग) को प्लान, एग्जीक्यूट और एनालाइज़ करते हैं। इसमें क्रिएटिविटी और एनालिटिकल स्किल्स दोनों की ज़रूरत होती है।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: मार्केटिंग, कम्युनिकेशन या किसी भी क्षेत्र में ग्रेजुएट्स, जिनके पास डिजिटल मार्केटिंग में सर्टिफिकेट या प्रैक्टिकल अनुभव हो।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹20,000 - ₹60,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है) ।
🔒 साइबरसिक्योरिटी एनालिस्ट (Cybersecurity Analyst)
- क्या होता है: ये कंपनियों के नेटवर्क और डेटा को साइबर हमलों से बचाते हैं। इसमें सिस्टम्स को मॉनिटर करना, कमजोरियों की पहचान करना और सिक्योरिटी प्रोटोकॉल्स लागू करना शामिल है।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: कंप्यूटर साइंस, IT, या संबंधित क्षेत्र में डिग्री/डिप्लोमा, और साइबरसिक्योरिटी में स्पेसिफिक सर्टिफिकेशन्स (जैसे CompTIA Security+)।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹35,000 - ₹80,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
🌾🚜 एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजिस्ट (Agricultural Technologist)
- क्या होता है: ये मॉडर्न एग्रीकल्चरल टेक्निक्स, जैसे प्रेसिजन फार्मिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और फार्म मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का उपयोग करके एग्रीकल्चरल प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में मदद करते हैं।
- 🛠️ कौन कर सकते हैं: एग्रीकल्चरल साइंस में डिग्री/डिप्लोमा, या एग्री-टेक में विशेष ट्रेनिंग।
- 💰 सैलरी (estimated): ₹20,000 - ₹40,000+ प्रति माह (एंट्री-लेवल के लिए कम और एक्सपीरियंस के साथ बढ़ती है)।
🤔🟣 भारत में इन जॉब्स का भविष्य बहुत अच्छा है क्योंकि हमारी इंडस्ट्रीज और टेक्नोलॉजी तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हें कोई भी कर सकता है जिसे सीखने और प्रैक्टिकल काम करने में मजा आता है, खासकर अगर उनके पास डिप्लोमा या खास ट्रेनिंग हो।
इन जॉब्स में एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमेशन, बायोमेडिकल इक्विपमेंट मेंटेनेंस जैसे कई पद शामिल हैं। इन नौकरियों में अच्छी सैलरी भी मिलती है जो आपके अनुभव के साथ बढ़ती जाती है। कुल मिलाकर, पर्पल कॉलर जॉब्स आज के जमाने के लिए एकदम फिट हैं।
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