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भारत में कई प्रकार के प्रतिष्ठित (prestigious) सरकारी स्कूल हैं, जिनमें सैनिक स्कूल (Sainik School) और राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (RMS- RASHTRIYA MILITARY SCHOOLS)। ये सरकारी स्कूल विशेष रूप से उन बच्चों के लिए आदर्श हैं, जो भविष्य में सशस्त्र बलों (armed forces) में शामिल होने का सपना रखते हैं।
इन स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को सैन्य जीवन के लिए तैयार करना और उन्हें डिसिप्लिन, लीडरशिप स्किल्स, फिजिकल फिटनेस में प्रशिक्षित (trained) करना है। हालांकि, सैनिक स्कूल और मिलिट्री स्कूल के नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि दोनों एक जैसे होते हैं, लेकिन इन दोनों के बीच कुछ जरूरी अंतर हैं।
चलिए आज हम इन दोनों के बीच के भेद को समझेंगे और साथ ही प्रवेश प्रक्रिया, योग्यता, परीक्षा पैटर्न और फीस के बारे में भी जानकारी देंगे।
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सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (RMS) का परिचय
हमारे देश में वर्तमान में कुल 33 प्रमुख सैनिक स्कूल हैं, जबकि राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (RMS) केवल 5 स्थानों पर स्थित हैं। दोनों प्रकार के स्कूलों का लक्ष्य बच्चों को सेना में भर्ती के लिए तैयार करना है, लेकिन उनकी स्थापना (establishment), लक्ष्य और कामकाजी तरीकों में अंतर है।
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सैनिक स्कूलों का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
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जबकि राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल का प्राथमिक लक्ष्य सेना के कर्मियों के बच्चों को क्लासिक शिक्षा देना है।
इस स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया
इनमें प्रवेश केवल कक्षा 6 और कक्षा 9 में ही होता है। आपको बता दें कि, इन दोनों स्कूलों में दाखिला केवल एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से ही होता है।
- सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा (AISSEE) का आयोजन होता है, जिसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) संचालित करती है।
- वहीं, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल (RMS) में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल सामान्य प्रवेश परीक्षा (RMS CET) आयोजित की जाती है। दोनों ही परीक्षा साल में एक बार आयोजित होती हैं और परीक्षा में सफल छात्र ही प्रवेश के पात्र होते हैं।
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इनके परीक्षा पैटर्न का अंतर
इनमें परीक्षा पैटर्न में भी कुछ अंतर होते हैं।
- सैनिक स्कूल में कक्षा 6 में प्रवेश के लिए 300 अंकों की परीक्षा होती है, जिसमें कुल 125 सवाल होते हैं और इसे हल करने के लिए 150 मिनट का समय दिया जाता है।
- वहीं, RMS में कक्षा 6 के लिए 200 अंकों की परीक्षा होती है जिसमें 200 सवाल होते हैं।
- दोनों ही परीक्षाओं का सिलेबस एक से ही होते हैं, जिसमें गणित से अधिकांश सवाल होते हैं।
- कक्षा 9 में दोनों ही स्कूलों की परीक्षा 400 अंकों की होती है, लेकिन RMS में अंग्रेजी विषय को पास करना जरूरी होता है।
- सैनिक स्कूल में लिखित परीक्षा के बाद कोई इंटरव्यू नहीं होता, जबकि RMS में लिखित परीक्षा के बाद एक इंटरव्यू भी आयोजित किया जाता है।
- दोनों स्कूल सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध (associated) होते हैं और दोनों के पाठ्यक्रम में सैन्य शिक्षा की झलक होती है।
सीटों का आरक्षण
- सैनिक स्कूलों का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा छात्रों को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित करना है, इसलिए इसमें 67% सीटें संबंधित राज्यों के बच्चों के लिए आरक्षित (reserved) रहती हैं।
- वहीं, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल में 70% सीटें सेना के कर्मचारियों (जैसे जेसीओ और जवान) के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं, जबकि शेष 30% सीटें सैन्य अफसरों और आम नागरिकों के बच्चों के लिए उपलब्ध होती हैं।
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फीस स्ट्रक्चर
- सैनिक स्कूल की फीस हर साल 1.50 लाख से 1.70 लाख रुपए तक होती है, जबकि सेना के जेसीओ के बच्चों के लिए यह फीस सिर्फ 18,000 रुपए प्रति वर्ष होती है।
- राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल की फीस सैनिक स्कूल से थोड़ी अधिक होती है, लेकिन इसका निर्धारण (allocation) भी छात्र की श्रेणी (सैनिक या नागरिक) के आधार पर किया जाता है।
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