सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, एमबीबीएस छात्रों को गांवों में देनी होगी सेवा

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मेडिकल का कोई छात्र क्या सिर्फ इसलिए एक साल की सार्वजनिक ग्रामीण सेवा करने के नियम से छूट मांग सकता है कि उसने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की है।

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Ravi Singh
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Supreme Court to MBBS Students
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Supreme Court MBBS Students : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने कर्नाटक सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है, और कहा है कि क्या ग्रेजुएशन कर रहा कोई मेडिकल स्टूडेंट सिर्फ इसलिए एक साल की जरूरी ग्रामीण सेवा से छूट मांग सकता है क्योंकि उसने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज ( Private Medical College ) से पढ़ाई की है। यह सवाल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों - न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय करोल की अवकाश पीठ की ओर से आया, जो कर्नाटक में एक डीम्ड यूनिवर्सिटी की निजी सीटों से ग्रेजुएशन कर रहे 5 MBBS स्टूडेंट्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

SC ने लगाई फटकार

जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, सिर्फ इसलिए आप ग्रामीण इलाकों में जाने से छूट चाहते हैं कि आप अमीर हैं, और निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। आपको ऐसे विचार कैसे आते आ सकते हैं। क्या आप सोचते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेजों को ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं है। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, सिर्फ इसलिए किसी को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से छूट नहीं देंगे कि वह निजी कॉलेज में पढ़ता है। क्या निजी संस्थाओं पर राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं है।

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क्या इसलिए छूट दे दी जाए कि आप निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बैंडविड्थ और भाषा का इश्यू होता है, तो जस्टिस नरसिम्हा ने कहा तो क्या हुआ, यह बहुत अच्छी बात है कि आप कहीं और जाकर काम करें। आप देश में आते-जाते हैं और अलग - अलग ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं। ऐसा करना बहुत अच्छा काम होता है।

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सभी के लिए जरूरी है एक साल की ग्रामीण सेवा

सरकारी वकील ने मेडिकल पाठ्यक्रम अधिनियम 2012 का जिक्र करते हुए कहा कि प्रत्येक MBBS स्नातक, स्नातकोत्तर या सुपर स्पेशियलिटी विद्यार्थियों को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा पूरा करना जरूरी है, जिन्होंने सरकारी विश्वविद्यालय या किसी निजी/डीम्ड यूनिवर्सिटी में सरकारी सीट पर पाठ्यक्रम पूरा किया है। इसके बाद ही अनापत्ति प्रमाण पत्र ( NOC ) जारी किया जाएगा और याचिकाकर्ता कर्नाटक मेडिकल काउंसिल के साथ स्थायी पंजीकरण के लिए पात्र हो सकेगा।

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