छत्तीसगढ़ में मनहूस माने जाते हैं ये‍ विभाग‍, इनके मंत्री नहीं जीत पाते अगला चुनाव, जानें कौन-कौन से हैं ये डिपार्टमेंट

author-image
Jitendra Shrivastava
एडिट
New Update
छत्तीसगढ़ में मनहूस माने जाते हैं ये‍ विभाग‍, इनके मंत्री नहीं जीत पाते अगला चुनाव, जानें कौन-कौन से हैं ये डिपार्टमेंट

गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने के बाद 2023 का विधानसभा चुनाव पांचवां है। इस दौरान कई विभाग उस विभाग के मंत्री के लिए भारी पड़ते रहे हैं। हारने के लिहाज से सबसे मनहूस विभागों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सबसे आगे है। राज्य की पहली सरकार में अमितेष शुक्ल पंचायत मंत्री थे। 2003 का चुनाव वे हार गए। पहली बीजेपी सरकार में पंचायत मंत्री रहे अजय चंद्राकर 2008 का चुनाव हार गए। बीजेपी की दूसरी सरकार में पहले रामविचार नेताम उसके बाद हेमचंद यादव पंचायत मंत्री रहे। दोनों ही 2013 का चुनाव हार गए। हालांकि, बीजेपी की तीसरी सरकार में पंचायत मंत्री रहे अजय चंद्राकर 2018 में चुनाव जीत कर ट्रेड को तोड़ दिया, अभी कांग्रेस सरकार में रविंद्र चौबे पंचायत मंत्री हैं, उनके सीट पर बीरनपुर हादसे के पीड़ित ईश्‍वर साहू को टिकट दे दिया गया है। बीजेपी इस हादसे को चुनाव में भुनाना चाहती है। अगर बीरनपुर हादसे के बहाने साहू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो यह सीट रविंद्र चौबे केलिए खासी मुश्किल पैदा कर सकती है।

महिला बाल विकास मंत्री का पद भी

प्रदेश में महिला बाल विकास मंत्री का भी पद भी हार का रिकार्ड कायम करता रहा है। पहली सरकार में गीता देवी सिंह के पास इसकी जिम्मेदारी थी। 2003 का चुनाव वे हार गईं। बीजेपी की पहली सरकार में रेणुका सिंह को महिला बाल विकास की जिम्मेदारी दी गई। 2008 का चुनाव हार गईं। दूसरी सरकार में लता उसेंडी को यह जिम्मेदारी मिली। लगातार दो बार की विधायक उसेंडी 2013 का चुनाव हार गईं। बीजेपी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं रमशीला साहू को पिछली बार टिकट ही नहीं मिला। वर्तमान में कांग्रेस सरकार में अनिला भेड़िया महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं।

हर बार हारे विधानसभा अध्‍यक्ष

बीजेपी सरकार में अब तक जितने भी विधानसभा अध्यक्ष हुए हैं कोई भी लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाया। पहली सरकार में अध्यक्ष रहे प्रेम प्रकाश पांडेय 2008 का चुनाव हार गए। दूसरी सरकार में धरमलाल कौशिक अध्यक्ष बने और 2013 का चुनाव हार गए। इसके बाद बीजेपी नेता गौरीशंकर अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष रहे वह भी 2018 का चुनाव हार गए। अभी कांग्रेस के नेता डॉ. चरणदास महंत अध्यक्ष हैं। वे कद़दावर नेता है, कांग्रेस के इंटर्नल सर्वे में भी उनकी पोजीशन अच्‍छी रही।

चार नेता प्रतिपक्ष चुनाव हारे, सिंहदेव ने बनाया रिकार्ड

पिछले चुनावों में नेता प्रतिपक्ष दूसरी बार सदन में नहीं पहुंच पाए। 2000 में बीजेपी के नंदकुमार साय नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। 2003 में जोगी के खिलाफ मरवाही सीट से चुनाव लड़े और हार गए। 2003 में बीजेपी की पहली सरकार बनी तब कांग्रेस के महेंद्र कर्मा नेता प्रतिपक्ष बने। कर्मा 2008 का चुनाव हार गए। 2013 के चुनाव से पहले ही झीरम नक्सली नरसंहार में वह बलिदान हो गए। 2008 में कांग्रेस ने रविंद्र चौबे को नेता प्रतिपक्ष बनाया। साजा विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले चौबे 2013 का चुनाव हार गए। हालांकि, 2018 के चुनाव में नेता प्रतिपक्ष रहे कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने इस परंपरा को तोड़ी वह चुनाव भी जीते और प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री भी बने।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

राजनीति शास्‍त्र के प्रोफेसर डॉ. अजय चंद्राकर का मानना है कि किसी भी सरकार में विभागों को लेकर इस तरह का ट्रेड बनना नुकसान देह है। ऐसे में कोई भी विधायक उस विभाग को मनहूस मानकर विभाग का प्रभार लेने से कतराने लगेंगे। ऐसे में विभागों का बंटवारा सरकार के लिए कठिन काम हो सकता है।

छत्तीसगढ़ Chhattisgarh CG News सीजी न्यूज ill-fated departments of Assembly ministers of these departments do not win the next elections know which are these departments विधानसभा के मनहूस‍ विभाग‍ इन विभाग के मंत्री नहीं जीतते अगला चुनाव जानें कौन से हैं ये डिपार्टमेंट