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नेटफ्लिक्स की सीमित सीरीज Adolescence सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर नहीं है- ये एक जरूरी चेतावनी है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे इंटरनेट धीरे-धीरे युवाओं के मन में जहर घोल सकता है। खासकर तब जब वो अकेले हों, असुरक्षित महसूस कर रहे हों, और उन्हें समझने वाला कोई न हो। बच्चों की परीक्षाएं हो चुकी हैं, अगर आपके पास थोड़ा फ्री समय हो तो हमारी सलाह है कि Netflix की ये सीरीज जरूर देखें।
एक लड़का, एक लैपटॉप और एक एल्गोरिदम
सीरीज की शुरुआत होती है जेमी नाम के एक आम किशोर से- थोड़ा अकेला, थोड़ा भ्रमित, और बहुत जिज्ञासु। वह इंटरनेट पर अपने सवालों के जवाब ढूंढता है, लेकिन जल्द ही एल्गोरिदम उसे ऐसे कंटेंट की तरफ खींचने लगता है जो खुद को “सच्चाई” बताता है, लेकिन असल में नफरत और कट्टरपंथ का जाल होता है।
श्रृंखला के तीसरे एपिसोड में यह खास तौर पर दिखाया गया है कि कैसे जेमी धीरे-धीरे ‘मैनोस्फीयर’ नाम की एक ऑनलाइन दुनिया में फंस जाता है। यह नेटवर्क है महिला विरोधी विचारधाराओं, इनसेल फोरम्स और नकली 'अल्फा पुरुषों' का। जेमी की सोच बदलने लगती है, वह हर चीज को शक और गुस्से की नजर से देखने लगता है।
इंटरनेट: नई उम्र का गुरु या शिकारी?
‘किशोरावस्था’ एक खतरनाक सच्चाई को सामने रखती है- आज का इंटरनेट न सिर्फ जानकारी देता है, बल्कि धीरे-धीरे सोचने के तरीके को भी बदल सकता है। जब कोई लड़का "सफल पुरुषों की सोच" या "डेटिंग की सच्चाई" जैसे वीडियो देखने लगता है, तो एल्गोरिदम उसे और गहरे, और ज्यादा चरम विचारों की ओर धकेलता है। धीरे-धीरे वह खुद को ऐसे लोगों के बीच पाता है जो स्त्री-द्वेष, कट्टर विचारधाराएं और हिंसा को जायज ठहराते हैं।
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सिनेमा और कट्टरपंथ: अनजाने में मिले हुए साथी
सीरीज इस बात की भी पड़ताल करती है कि कैसे कुछ फिल्में, जो असल में चेतावनी थीं, आज ऑनलाइन दुनिया में रोल मॉडल की तरह इस्तेमाल की जा रही हैं। टैक्सी ड्राइवर का ट्रैविस बिकल, जोकर, फाइट क्लब का टायलर डर्डन या अमेरिकन साइको का पैट्रिक बेटमैन- ये सभी किरदार मूल रूप से मानसिक अशांति और हिंसा की आलोचना थे। लेकिन इंटरनेट पर इन्हें “सिग्मा पुरुषों” के आदर्श की तरह देखा जाने लगा है।
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क्यों जरूरी है Adolescence जैसी कहानियों का आना?
इस सीरीज की सबसे बड़ी ताकत इसकी ईमानदारी है। यह ना तो मुद्दों को जरूरत से ज्यादा नाटकीय बनाती है और ना ही कोई आसान समाधान पेश करती है। यह दिखाती है कि कैसे एक लड़के के अकेलेपन और इंटरनेट की चालाकी का मेल उसे धीरे-धीरे एक ऐसे रास्ते पर ले जाता है जहां से वापसी मुश्किल है।
श्रृंखला सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, एक पीढ़ी की कहानी है- एक ऐसी पीढ़ी जो YouTube, Reddit, Discord जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कंफर्ट ढूंढती है, लेकिन कई बार वहां उसे केवल और ज़्यादा असंतोष, भ्रम और गुस्सा मिलता है।
नेटफ्लिक्स की 'किशोरावस्था' जरूरी, परेशान करने वाली और गहराई से जुड़ी हुई कहानी है। यह हमें मजबूर करती है सोचने पर- क्या हम अपने बच्चों को अकेले इंटरनेट के हवाले कर सकते हैं? क्या हमारे समाज में युवाओं के लिए कोई बेहतर संवाद या सहारा बचा है? और सबसे अहम, क्या हम चेतावनी को समझ पाएंगे, या फिर सिर्फ अगली शॉक वैल्यू सीरीज का इंतजार करेंगे?
रेटिंग: 4.5/5
देखने लायक क्योंकि: यह हमें बताती है कि खतरा सिर्फ बाहर नहीं, हमारे घरों में, हमारी स्क्रीन पर भी है।
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