राजकुमार राव की श्रीकांत फिल्म ( rajkumar rao movie shrikant ) को 10 मई को रिलीज कर दिया गया है। इस फिल्म का इंतजार फैंस को काफी समय से था। फिल्म में राजकुमार राव ने एक चैलेंजिंग रोल प्ले किया है। इस फिल्म में राजकुमार ने दृष्टिहीन बिजनेसमैन श्रीकांत बोला का किरदार निभाया है। कैसी है ये फिल्म और क्यों आपको देखनी चाहिए, जानिए हमारे रिव्यू में
फिल्म- श्रीकांत
जॉनर-बायोपिक ( biopic )( इंडस्ट्रीलिस्ट - श्रीकांत बोला )
डायरेक्टर- तुषार हिरानंदानी
ड्यूरेशन- 2 घंटे 14 मिनट
स्टार कास्ट- राजकुमार राव, अलाया एफ ज्योतिका, शरद केलकर और अन्य
क्या है फिल्म की कहानी?
राजकुमार राव की लेटेसेट मूवी ( rajkumar rao latest movie ) श्रीकांत एक फीलगुड फिल्म है, जो एहसास कराती है कि शारीरिक कमियां इच्छाशक्ति के सामने कुछ भी नहीं हैं। कहानी की शुरुआत आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में एक किसान परिवार में नेत्रहीन बच्चे के जन्म से होती है। पिता ने बिना उसका चेहरे देखे उसका नाम क्रिकेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत के नाम पर श्रीकांत रख दिया, लेकिन कुछ ही पलों में बेटे के नेत्रहीन होने का पता चलने पर उनका दिल टूट जाता है। सबने कहा बच्चे को भगवान को वापस दे देना ही ठीक है। जीवन की कठिनाइयों की कल्पना करके पिता अपने नवजात बेटे को जिंदा जमीन में गाड़ने जाता है, लेकिन पत्नी की बेटे के प्रति ममता उसे रोक लेती है। जैसे- जैसे श्रीकांत बड़ा होता है, उसकी बुद्धिमत्ता सामने आती है।
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फिल्म में राजकुमार राव की बात करें तो......
इसमें कोई शक नहीं है कि राजकुमार राव एक उम्दा एक्टर हैं। असल जिंदगी में एक नेत्रहीन कैसे बात करता है, आंखों की मूवमेंट कैसे होती है, राजकुमार ने इसे बखूबी पकड़ा है। उनकी एक्टिंग टॉप क्लास की है।
फिल्म में अन्य कलाकारों की एक्टिंग कैसी है?
एक्ट्रेस ज्योतिका को कुछ वक्त पहले ही अजय देवगन और आर माधवन के साथ फिल्म शैतान में देखा गया था। उस फिल्म में ज्योतिका ने बेबस मां का किरदार निभाया था, लेकिन श्रीकांत में वो देविका का किरदार निभा रही हैं। देविका एक ऐसी टीचर का रोल निभा रही हैं जो एक बच्चे को किसी से कम नहीं मानती और उसकी काबिलियत दुनिया को दिखाना चाहती हैं। इसलिए वो उसका हर कदम पर साथ देती हैं। श्रीकांत की लव इंटरेस्ट के किरदार में अलाया एफ प्यारी लगी हैं। श्रीकांत के दोस्त में रोल में शरद केलकर भी जमे हैं। मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के रोल में जमील खान का काम भी शानदार है।
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फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
फिल्म कयामत से कयामत तक के गाने पापा कहते हैं को यहां री-क्रिएट किया गया है। फिल्म के सीक्वेंस के हिसाब से यह गाना जंचता है।
डायरेक्शन कैसा है?
फिल्म का डायरेक्शन तुषार हीरानंदानी ने किया है। अमूमन देखा जाता है कि बायोपिक वाली फिल्मों में इमोशनल सीन्स ज्यादा होते हैं, लेकिन यहां इमोशंस थोपे नहीं गए हैं। फिल्म में संघर्ष तो दिखाया गया है, लेकिन बहुत पॉजिटिव अंदाज में। फिल्म के डायलॉग्स काफी दमदार हैं। पहला हाफ प्योर एंटरटेनिंग है, लेकिन दूसरे हाफ में कुछ सीन्स कहानी की रफ्तार को स्लो कर देते हैं। हालांकि, क्लाइमेक्स के बाद आप अच्छा फील करके ही थिएटर से निकलेंगे।
कुल जमा फिल्म हर एंगल से पैसा वसूल है।