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डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा को अपनी फिल्म 'एनिमल' के लिए काफी क्रिटिसिज्म का सामना करना पड़ा था। उनकी फिल्म पर न केवल आम लोग, बल्कि कई एक्सपर्ट्स और सोशल वर्कर्स ने भी अपनी राय दिया। इस क्रिटिसिज्म का जवाब देने के दौरान, संदीप ने पूर्व IAS अधिकारी विकास दिव्यकीर्ति के बारे में भी अपनी राय दी, जिन्होंने उनकी फिल्म के बारे में नेगेटिव कमेंट्स किया थी। संदीप ने एक पॉडकास्ट में कहा कि IAS बनना आसान है, लेकिन फिल्ममेकर बनना नहीं।
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संदीप के क्रिटिसिज्म का जवाब
संदीप रेड्डी ने गेम चेंजर्स पॉडकास्ट में अपनी फिल्म 'एनिमल' के बारे में बात करते हुए कहा कि विकास दिव्यकीर्ति जैसे लोग उनकी फिल्म पर टिप्पणी करते हैं। लेकिन उन्हें यह समझने की जरूरत है कि, फिल्मों के बारे में बात करना और फिल्मों के इफेक्ट का इवैल्यूएशन करना एक अलग मामला है।
उन्होंने कहा कि, विकास ने जो बातें की, उससे ऐसा लगा कि उन्होंने "कुछ क्रिमिनल काम किया है"। उनका मानना है कि समाज में हर तरह की फिल्में बननी चाहिए और एनिमल जैसी फिल्में समाज को आगे बढ़ने की बजाय पीछे नहीं खींच सकतीं।
IAS की पढ़ाई पर टॉन्ट
संदीप ने कहा कि IAS बनने के लिए केवल कुछ सालों की मेहनत और किताबों की पढ़ाई ही सुफ्फिसिएंट है। उन्होंने कहा, अगर कोई इंसान कुछ साल पढ़ाई करता है और आईएएस की परीक्षा देता है, तो वह IAS अधिकारी बन सकता है। संदीप ने साफ कहा कि, एक IAS अधिकारी बनने के लिए कोई बड़ा कठिन रास्ता नहीं है। इसके लिए बस समय, किताबें और मेहनत की जरूरत होती है।
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किताबों की लिमिटेडनेस पर सवाल
संदीप रेड्डी ने ये भी कहा कि IAS के लिए पढ़ाई की एक लिमिटेड रेंज है, जो कुछ किताबों तक सीमित रहती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि 15 सौ किताबें पढ़कर कोई भी पर्सन IAS परीक्षा पास कर सकता है और इस प्रोसेस में किसी भी तरह की कठिनाई नहीं होती। यह बयान उन्होंने फिल्ममेकर बनने की प्रक्रिया की तुलना में दिया, जिसमे उन्होंने कहा कि "कोई कोर्स या टीचर नहीं है" जो फिल्ममेकर और लेखक बना सके।
क्रिटिसिज्म पर संदीप का जवाब
बता दें कि, विकास दिव्यकीर्ति ने 2023 में आई फिल्म '12वीं फेल' के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था कि, फिल्म 'एनिमल' जैसी फिल्में समाज को पीछे ले जाती हैं। उन्होंने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि "ऐसी फिल्में नहीं बननी चाहिए" और यह समाज को 10 साल पीछे ले जाती हैं। इस पर संदीप ने कहा कि हर फिल्म का अपना मकसद और असर होता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई फिल्म केवल आर्थिक लाभ के लिए बनाई जा रही है तो यह समस्या हो सकती है, लेकिन फिल्में समाज के लिए सोच और प्रेरणा का भी जरिया हो सकती हैं।
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समाज के लिए फिल्में बनाने का महत्व
संदीप ने यह साफ किया कि उनके लिए फिल्में समाज के एक अंश को दिखाने का तरीका होती हैं। वे मानते हैं कि हर फिल्म का कला और मनोरंजन के अलावा समाज पर प्रभाव भी होता है। उनका मानना था कि 'एनिमल' जैसी फिल्में समाज को सोचने के लिए मजबूर करती हैं और यह समाज में बदलाव लाने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक फिल्म का असर समाज के बड़े मुद्दों पर होना चाहिए और यह सिर्फ आर्थिक लाभ के लिए नहीं बनाई जानी चाहिए।
फिल्म इंडस्ट्री में कंट्रोवर्सी
संदीप रेड्डी ने ये भी कहा कि फिल्म 'एनिमल' पर शुरू से ही कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ा है। लोग अक्सर उन्हें "खरी-खोटी" सुनाते रहते हैं, लेकिन वे अपनी थिंकिंग से समझौता नहीं करना चाहते। उन्होंने यह साफ कहा कि कंट्रोवर्सी के बावजूद उनका मकसद आर्ट के मध्यम से समाज में बदलाव लाना है।
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