बेहतरीन एडिटिंग से मिला अवॉर्ड, ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री के एसोसिएट एडिटर हैं UP के एकेश्वर, 4 साल से घर नहीं गए

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Jitendra Shrivastava
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बेहतरीन एडिटिंग से मिला अवॉर्ड, ऑस्कर विजेता डॉक्यूमेंट्री के एसोसिएट एडिटर हैं UP के एकेश्वर, 4 साल से घर नहीं गए

MUMBAI. द एलीफेंट व्हिसपरर्स ने ऑस्कर अवार्ड जीतकर भारतीय प्रोडक्शन के लिए इतिहास रच दिया। इस उपलब्धि में मेरठ के लाल एकेश्वर चौधरी का बहुत ही बड़ा हाथ है। फिल्म को बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री का अवार्ड उसकी पटकथा और एडिटिंग की बदौलत मिला। एकेश्वर भी उसी एडिटिंग टीम के सदस्य हैं। उन्होंने मूवी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्य किया है। फिल्म की निर्माता गुनीत मोंगा ने सोशल मीडिया पर बधाई देते हुए एकेश्वर सहित पूरी टीम का शुक्रिया अदा किया।



पिता राकेश चौधरी खेती करते हैं और मां सुमन गृहणी हैं



मेरठ में रोहटा रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले एकेश्वर चौधरी ने गंगानगर स्थित ट्रांसलेम एकेडमी से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश से आर्ट्स में स्नातक किया। पिता राकेश चौधरी खेती करते हैं और मां सुमन चौधरी गृहणी हैं। बेटे की इस उपब्धि से परिवार में जश्न का माहौल है और रिश्तेदारों ने भी सोमवार सुबह से फोन घुमाने शुरू कर दिए। पिता राकेश ने बताया कि वह मूलरूप से बुलंशदहर के गुलावठी क्षेत्र के ग्राम भटौना के रहने वाले हैं। एकेश्वर के दादा बाद में खरखौदा के निकट स्थित प्रथमगढ़ में आकर बस गए थे। पिता ने बताया कि काम के जुनून के चलते एकेश्वर पिछले 4 साल से मेरठ नहीं आ पाए हैं।



2007 में मुंबई चले गए थे एकेश्वर



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फिल्म इंडस्ट्री में रूचि होने के चलते एकेश्वर 2007 में ही मुंबई चले गए थे। जहां उन्होंने सुभाष घई के इंस्टीट्यूट से क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्स किया। इससे पूर्व उन्होंने अहमदाबाद के मुद्रा इंस्टीट्यूट में एक साल एडिटिंग का कोर्स और गुरुग्राम में एक साल एडिटिंग की नौकरी भी की। लेकिन अपने सपने का पीछा करते हुए वह मुंबई के विसलिंग वुड इंस्टीट्यूट जा पहुंचे। जहां 2007 से 2010 तक क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्स पूरा किया।



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सुभाष घई के इंस्टीट्यूट से क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्स किया



एकेश्वर ने सुभाष घई के फिल्म इंस्टीट्यूट मुंबई से एडिटिंग कोर्स की शिक्षा ली है। उससे पहले मेरठ के ट्रांसलैम एकेडमी से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश के कॉलेज में एडमिशन लिया। वहां से ग्रेजुएशन करने के बाद उनका आगे की पढ़ाई में मन नहीं लगा। वह फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहते थे। इसके लिए शुरू से ही उनमें जुनून था, इसलिए वह मुंबई चले गए। सुभाष घई के फिल्म इंस्टीट्यूट में प्रवेश ले लिया और क्रिएटिव डायरेक्टर का कोर्स किया। उसी के बाद उन्हें मौका मिल गया और कई प्रोडक्शन हाउस से जुड़ गए।



एजुकेशन लोन लेकर एकेश्वर ने मुंबई में पढ़ाई की



पिता ने बताया कि एजुकेशन लोन लेकर एकेश्वर ने अपने सपने पूरा करने के लिए मुंबई में पढ़ाई की। इससे पहले अहमदाबाद मुद्रा इंस्टीट्यूट से एक साल का एडिटिंग कोर्स किया था। फिर जॉब करने के लिए गुड़गांव गए। वहां एक साल एडिटिंग का जॉब किया। उन्होंने बताया, 3 साल के कोर्स के बाद एकेश्वर फिल्मों और सीरियल की एडिटिंग करने लगे। कुछ कहानियां भी लिखीं। तब से अब तक लगातार एडिटिंग कर रहे हैं। अपनी एक फिल्म भी बनाई है। और भी कई प्रोजेक्ट्स उनके पास हैं। मां भी अपने बेटे की इस कामयाबी के लिए भावुक होकर हमसे बात करती हैं। वह कहती हैं कि उनके बेटे ने काफी चुनौतीपूर्ण फील्ड चुनी। लेकिन, आज उन्हें अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व हो रहा है। वह कहती हैं कि परेशानियां ये थीं कि हमेशा सफलता नहीं मिलती। एकेश्वर के सामने भी बहुत से चुनौतियां आईं, लेकिन मेरा बेटा रुका नहीं।


4 साल से घर नहीं आए एसोसिएट एडिटर हैं UP के एकेश्वर बेहतरीन एडिटिंग से मिला अवॉर्ड द एलीफेंट व्हिसपरर्स को ऑस्कर अवार्ड did not come home for 4 years Ekeshwar of UP is Associate Editor The Elephant Whispers received the Oscar Award for Best Editing