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मध्य प्रदेश के महिला और बाल विकास विभाग द्वारा पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें महिला पर्यवेक्षक के 660 पदों पर आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं, खासकर आयु सीमा में दी गई छूट को लेकर।
उनका कहना है कि सरकार ने प्रदेश की 1.80 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सिर्फ 5 साल की छूट दी है, जबकि संविदा पर कार्यरत सुपरवाइजरों को 15 साल की छूट दी गई है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इससे उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केवल 5 साल की छूट
मध्य प्रदेश सरकार ने महिला पर्यवेक्षक के 660 पदों पर आवेदन के लिए आयु सीमा निर्धारित की है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष तक निर्धारित की गई है। जबकि एससी, एसटी, ओबीसी, शासकीय कर्मचारी, नगर सैनिक, नि:शक्तजन और महिलाओं के लिए 5 साल की आयु सीमा में छूट दी गई है।
इस प्रक्रिया में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केवल 5 साल की छूट दी गई है, यानी वे केवल 45 वर्ष तक ही आवेदन कर सकती हैं। इसके अलावा, संविदा पर कार्यरत सुपरवाइजरों के लिए 15 साल की आयु सीमा में छूट दी गई है, जिससे वे 55 वर्ष तक आवेदन कर सकती हैं।
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संविदा कर्मियों को 55 वर्ष तक की छूट
इस मामले में विवाद तब बढ़ा जब यह सामने आया कि संविदा पर काम करने वाली महिलाएं, जिन्हें 15 वर्ष की छूट दी गई है, वे 55 वर्ष तक आवेदन कर सकती हैं। इसके लिए नियम भी बनाए गए हैं, जिनके मुताबिक जिन कर्मचारियों ने संविदा पर काम किया है, उन्हें जितने वर्षों तक काम किया है, उतनी वर्षों की छूट दी जाएगी और यह अधिकतम 55 वर्ष तक की छूट हो सकती है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह भेदभावपूर्ण है क्योंकि उन्हें सिर्फ 45 वर्ष तक आवेदन करने का अवसर दिया गया है, जबकि संविदा कर्मियों को 55 वर्ष तक आवेदन करने का अवसर मिल रहा है।
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आंगनबाड़ी संघ का विरोध और कोर्ट की याचिका
इस मुद्दे को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इस भर्ती प्रक्रिया में समान अधिकार दिए जाएं। न्यायालय ने इस मामले में निर्देश दिया था कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को समान मौका दिया जाए। हालांकि, महिला और बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक राजेश प्रताप सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें कोर्ट का आदेश अभी तक नहीं मिला है और भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार चल रही है।
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विभाग की स्थिति और विरोध के कारण
महिला और बाल विकास विभाग की तरफ से भर्ती की प्रक्रिया की निगरानी कर रहे संयुक्त संचालक राजेश प्रताप सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे कोर्ट के आदेश को देखे बिना कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। भर्ती विज्ञापन में आवेदन की अंतिम तिथि 23 जनवरी थी और इसके बाद से ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा इस भर्ती में भेदभाव का विरोध शुरू हो गया था।
आंगनबाड़ी संघ की महामंत्री रंजना राणा ने कहा कि संविदा पर कार्यरत महिलाओं को इतनी बड़ी छूट क्यों दी गई, जबकि नियमित कार्य करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए केवल 5 वर्ष की छूट निर्धारित की गई है।
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