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आजकल की दुनिया में तकनीकी विकास ने मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है, और इसने वर्ककल्चर को भी पूरी तरह से बदल दिया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन की वजह से कई नौकरी की भूमिकाएं संकट में हैं, लेकिन एक नई शुरुआत हो रही है - फ्लेक्सिबल वर्क कल्चर।
क्या यह 9-5 की पुरानी कार्यशैली को समाप्त कर सकता है? आइए, इस बदलाव को समझते हैं और उसकी संभावनाओं को देखते हैं।
AI और नौकरियों का संकट: एक नई चुनौती
जब बात AI की आती है, तो इसके संभावित प्रभावों पर काफी चर्चा होती है। AI तकनीकी कार्यों में दक्ष है और कई उद्योगों में कर्मचारियों के लिए रिप्लेसमेंट की संभावना बढ़ रही है।
फिर भी, एक सकारात्मक बदलाव भी हो रहा है: फ्लेक्सिबल वर्क। एक ओर जहां AI नौकरियों को संकट में डालता है, वहीं यह लोगों को अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बना सकता है।
इसके अलावा, रिमोट और हाइब्रिड वर्किंग मॉडल ने कर्मचारियों को ऑफिस से बाहर रहने का विकल्प दिया है।
उभर रहा फ्लेक्सिबल वर्क कल्चर
आजकल, माइक्रोशिफ्टिंग (govt jobs 2025) जैसे नए कार्यशैली ट्रेंड उभर रहे हैं, जहां काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा जाता है।
लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार काम करने की आज़ादी मिल रही है, जैसे की सुबह जल्दी ईमेल चेक करना, दोपहर में जिम जाना, बच्चों को स्कूल से लाना और फिर रात में काम को पूरा करना।
इस नई कार्यशैली में फ्लेक्सिबल शेड्यूल सबसे महत्वपूर्ण तत्व बनकर उभरा है, जो कर्मचारियों को अपने जीवन को काम के अनुसार ढालने की सुविधा प्रदान करता है।
कैसे बदल रहे हैं 9-5 वर्क मॉडल?
1950 से 1970 के दशक में, 9-5 जॉब मॉडल बहुत प्रचलित था, खासकर फैक्ट्री कर्मचारियों के लिए। लेकिन आजकल का कार्य वातावरण पूरी तरह से बदल चुका है।
अब, खासतौर पर नॉलेज वर्क (Software, Marketing आदि) के क्षेत्र में, काम किसी असेंबली लाइन जैसा नहीं होता। ओवल लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब 63% कर्मचारी पूरी तरह से ऑफिस में काम कर रहे हैं, और हाइब्रिड वर्कर्स के इन-ऑफिस डेज भी बढ़ चुके हैं।
फिर भी, कई कर्मचारी 9-5 के पैटर्न को चुनौती दे रहे हैं, और फ्लेक्सिबल टाइमिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं।
क्या है फ्लेक्सिबल वर्क की बढ़ती हुई मांग?
फ्लेक्सिबल वर्क को लेकर एक ओर दिलचस्प ट्रेंड सामने आ रहा है। GEN-Z कर्मचारी सेवा उद्योगों में छोटे शिफ्ट्स ले रहे हैं ताकि वे अपनी पढ़ाई और साइड जॉब्स (Latest Sarkari Naukri) को भी बैलेंस कर सकें।
यह द बिग शिफ्ट: यूएस 2025 के सर्वे में सामने आया है कि अधिकतर कर्मचारी एक लचीला और सुरक्षित शेड्यूल चाहते हैं।
क्यों 9-5 अब काम नहीं आता?
आज के समय में 9-5 जॉब मॉडल की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक टाइमिंग है, जो प्रोडक्टिविटी में कोई योगदान नहीं करता है। खासकर बड़े शहरों जैसे मुंबई और दिल्ली में, जहां लोग काम पर पहुंचने के लिए घंटों ट्रैफिक में फंसे रहते हैं। इन समस्याओं को देखते हुए, फ्लेक्सिबल टाइमिंग को बढ़ावा देना ही स्मार्ट तरीका लगता है।
FAQ
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