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प्रयागराज महाकुंभ के दौरान सोशल मीडिया पर एक साध्वी की चर्चा जोरों से हो रही है। उनके साध्वी बनने की कहानी ने सोशल मीडिया यूजर्स का ध्यान खींचा है। जबकि कुछ लोग उनको ट्रोल भी कर रहे हैं। बता दें सोशल मीडिया पर जिस साध्वी की बात हो रही है उनका नाम हर्षा रिछारिया है। हर्षा रिछारिया पहले एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और एंकर थीं। उन्होंने 2 साल पहले अध्यात्म की तरफ रुख किया और साध्वी बनने का फैसला किया। इस समय वह काफी सुर्खियों में हैं। कुछ यूजर्स उनके साध्वी बनने पर सवाल उठा रहे हैं।
जानें कौन हैं हर्षा रिछारिया
बता दें हर्षा रिछारिया मध्य प्रदेश भोपाल की रहने वाली हैं। वह निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंदगिरी महाराज की शिष्या हैं। हर्षा ने खुद को 30 साल की बताते हुए सोशल मीडिया पर कहा है कि वह 2 साल पहले अध्यात्म का मार्ग अपनाने के बाद साध्वी बन गई थीं। हर्षा ने अपने करियर की शुरुआत एकरिंग, मॉडलिंग और इंस्टाग्राम कंटेंट क्रिएशन से शुरु की थी। वह सोशल मीडिया पर एक फेमस शख्सियत हैं। हर्षा धार्मिक और हिंदूवादी मुद्दों को पोस्ट करती हैं।
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हर्षा का साध्वी बनने तक का सफर
हर्षा ने 16 साल की आयु में अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए काम की शुरुआत की थी। हर्षा ने एक सुपरमार्केट में टूथपेस्ट के प्रमोशन एक्टिविटी में काम किया, जहां उनको रोजाना 150 रुपए मिलते थे। इसके बाद एंकरिंग का काम मिलने से उनकी जिंदगी में बदलाव आया। उन्होंने इसको अपना करियर बना लिया। धीरे-धीरे उनकी शोहरत बढ़ने लगी और वह सोशल मीडिया पर भी पॉपुलर हो गईं। इसके बाद हर्षा ने साल 2015 के बाद उन्होंने अपने पिता को एक कार गिफ्टी की थी।
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सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और सवाल
जब हर्षा रिछारिया ने 2 साल पहले साध्वी बनने का फैसला लिया तो सोशल मीडिया पर उनके इस फैसले को लेकर कई सवाल उठाए गए। यूजर्स का कहना है कि हर्षा केवल 2 साल में साध्वी कैसे बन गईं। जबकि कुछ महीने पहले ही वह इवेंट्स कर रही थीं और एंकरिंग का काम कर रही थीं। हर्षा के इंस्टाग्राम पेज पर जाने से पता चलता है कि वह पहले से ही सोशल मीडिया पर एक्टिव थीं और कई धार्मिक विषयों पर पोस्ट करती थीं। इसके बावजूद, कुछ यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।
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अध्यात्म की ओर हर्षा रिछारिया का कदम
हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ के समय अपने इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने सुकून और आत्म शांति की तलाश में अध्यात्म का मार्ग अपनाया है। उनका कहना है कि साध्वी बनने का उनका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शांति पाना था और वह इस यात्रा से खुद को बेहतर महसूस करती हैं।
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