पिछले कुछ समय से अपने आध्यात्मिक रुझान और समाजसेवा के कारण चर्चा में रहीं हर्षा रिछारिया के बारे में एक नई और रोचक जानकारी सामने आई है। हर्षा को सोशल मीडिया पर 'सुंदर साध्वी' के रूप में पहचाना जा रहा था, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि वह साध्वी नहीं हैं। वे स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज की शिष्या हैं।
साध्वी के कपड़ों में देखकर रो पड़ी थीं मां
हर्षा की मां किरण रिछारिया ने मीडिया को बताया कि जब उन्होंने पहली बार अपनी बेटी को साध्वी के कपड़ों में देखा तो वह रो पड़ीं। हालांकि हर्षा ने उन्हें समझाया कि वह साध्वी नहीं हैं और न ही उनका संन्यास लेने का कोई इरादा है। उन्होंने अपनी मां को बताया कि वह स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज की शिष्या हैं और केवल आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही हैं और उनका संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है।
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हर्षा ने एनजीओ से की शुरुआत
हर्ष के पिता दिनेश रिछारिया ने बताया कि केदारनाथ यात्रा के बाद हर्ष का झुकाव आध्यात्म की ओर हुआ। यात्रा के बाद हर्ष ने समाज सेवा में रुचि दिखाई और अपना स्वयं का एनजीओ शुरू किया। उनके पिता ने यह भी कहा कि हर्ष का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना और दूसरों की मदद करना है। हर्षा रिछारिया के पिता दिनेश ने स्पष्ट किया कि हर्षा ने कभी संन्यास नहीं लिया है और वह केवल धर्म और भक्ति में रुचि रखती हैं।
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आपको बता दें कि हर्षा की मां सिलाई और घरेलू काम करती हैं जबकि पिता कंडक्टर का काम करते हैं। हर्षा एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। हर्षा रिछारिया ने बीबीए की पढ़ाई की और फिर एंकरिंग का कोर्स भी किया। हर्षा आचार्य महामंडलेश्वर की शिष्या हैं और महाकुंभ में वह निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हैं।
ट्रोलिंग पर परिवार की अपील
हर्षा को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की गलतफहमियां और ट्रोलिंग हो चुकी हैं। कई लोग उन्हें साध्वी समझकर उनका मजाक उड़ा रहे हैं। इस पर दिनेश रिछारिया ने लोगों से अपील की है कि वे हर्षा को साध्वी कहकर ट्रोल करना बंद करें। उन्होंने कहा कि हर्षा ने संन्यास नहीं लिया है, वह एक सामान्य लड़की है जो धर्म और भक्ति में रुचि रखती है।"
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हर्षा की शादी की तैयारियां
हर्षा के आध्यात्मिक रुझान की जहां चर्चा हो रही है, वहीं उसके परिवार ने शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। हर्षा की मां ने कहा कि जब वह दूसरों की बेटियों को शादी के जोड़े में देखती हैं तो क्यों न अपनी बेटी को भी पहनाएं। उन्होंने बताया कि हर्षा ने अभी तक किसी लड़के को पसंद करने की बात नहीं कही है, लेकिन परिवार उसकी शादी की तैयारियों में पूरी तरह से जुटा हुआ है।
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क्या है पूरा मामला
प्रयागराज महाकुंभ में हर्षा रिछारिया के रथ पर बैठने को लेकर विवाद बढ़ गया था। 14 जनवरी को निरंजनी अखाड़े के जुलूस में 30 वर्षीय मॉडल हर्षा रिछारिया साधु-संतों के साथ रथ पर नजर आईं, जिसके बाद धार्मिक और सामाजिक नेताओं की ओर से विरोधी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसे गलत कदम बताते हुए कहा कि धर्म को ऐसे प्रदर्शनों का हिस्सा बनाना खतरनाक हो सकता है और इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। उन्होंने कहा कि साधु-संतों को ऐसी घटनाओं से बचना चाहिए, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह ऐसी परंपरा है, जिससे सनातन धर्म की गरिमा प्रभावित हो सकती है।
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हर्षा रिछारिया ने खुद को किया स्पष्ट
इस विवाद के बीच हर्षा रिछारिया ने खुद को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह साध्वी नहीं हैं। महाकुंभ के दौरान जब पत्रकारों ने उनसे साध्वी बनने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्होंने शांति की तलाश में यह जीवन चुना है और उन्होंने हर उस चीज का त्याग किया है जो उन्हें आकर्षित करती है। हर्षा ने कहा कि वह सिर्फ दीक्षा ले रही हैं, उन्होंने संन्यास नहीं लिया है।