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कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यहां करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, यह आयोजन हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। हाल ही में प्रयागराज में महाकुंभ मेले का समापन हुआ, जिसमें 62 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। अब सभी की नजरें अगले कुंभ मेले पर टिकी हैं। जानिए, 2027 में कहां और कब होगा अगला कुंभ मेला और इसकी क्या खासियत होगी।
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अगला कुंभ मेला कहां होगा
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, प्रयागराज के बाद अगला कुंभ मेला महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित किया जाएगा। यह कुंभ 17 जुलाई 2027, दिन शनिवार से शुरू होगा। वहीं इसका संपन्न 17 अगस्त 2027, दिन मंगलवार को होगा। नासिक कुंभ मेला गोदावरी नदी के तट पर आयोजित किया जाता है, जिसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है।
यहां होगा अगला कुंभ
बता दें कि, नासिक में पिछली बार कुंभ मेला 2015 में लगा था और 12 साल बाद यह भव्य आयोजन दोबारा होने जा रहा है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु भारत के कोने-कोने से आएंगे और गोदावरी नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, नासिक में आयोजित होने वाले कुंभ मेले को सिंहस्थ कुंभ भी कहा जाता है क्योंकि यह तब होता है जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।
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कुंभ मेले की तिथि कैसे तय होती है
कुंभ मेले की तिथि वैदिक ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर तय की जाती है। इसमें सूर्य और बृहस्पति की चाल को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों की स्थिति के मुताबिक ही यह तय किया जाता है कि कुंभ मेला किस स्थान पर लगेगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक,
- जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और बृहस्पति वृषभ राशि में होता है, तब कुंभ मेला प्रयागराज में लगता है।
- जब सूर्य सिंह राशि में और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं, तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित किया जाता है।
- जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
- जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं, तब उज्जैन में कुंभ मेला लगता है।
- इसी गणना के आधार पर 2027 में नासिक में कुंभ मेले का आयोजन होगा।
नासिक कुंभ का धार्मिक महत्व
नासिक कुंभ मेला केवल आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की महान परंपरा का प्रतीक भी है। गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा कहा जाता है। इसकी पवित्रता का विशेष उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। इस नदी में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि, नासिक का त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कुंभ मेले की पवित्रता को और बढ़ाता है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को समर्पित है और इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कुंभ मेले के दौरान यहां आने वाले श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर विशेष आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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कुंभ में होने वाले आयोजन
नासिक कुंभ मेले में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें संतों और अखाड़ों की शोभायात्रा, धार्मिक प्रवचन, कथा, भजन-कीर्तन और यज्ञ जैसे आयोजन होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण आयोजन शाही स्नान होता है, जिसमें अखाड़ों के साधु-संत और श्रद्धालु गोदावरी नदी में स्नान करते हैं। माना जाता है कि, यह स्नान बेहद शुभ माना जाता है और इसे करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। इसके अलावा कुंभ मेले में विभिन्न आध्यात्मिक शिविर, योग सत्र और सत्संग भी होते हैं, जहां देशभर से आए संत महात्मा धर्म और जीवन के रहस्यों पर प्रवचन देते हैं।
नासिक कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल
नासिक कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। सरकार मेले की व्यवस्थाओं को लेकर विशेष तैयारियां कर रही है, ताकि सभी श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिल सकें। ट्रैफिक व्यवस्था, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और ठहरने की व्यवस्था को लेकर प्रशासन अभी से काम कर रहा है। कुंभ मेले में विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं, जो भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को नजदीक से देखने और समझने का अवसर पाते हैं। नासिक का कुंभ मेला सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक आयोजन बन चुका है।
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यात्रा की योजना कैसे बनाएं यात्रा की योजना
- जो भी श्रद्धालु नासिक कुंभ मेले में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें पहले से अपनी यात्रा की योजना बना लेनी चाहिए।
- नासिक महाराष्ट्र में स्थित है और देशभर से रेल, सड़क और हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- ठहरने की व्यवस्था के लिए होटल, धर्मशालाएं और टेंट सिटी तैयार की जाती है।
- सरकार विशेष ट्रेनों और बस सेवाओं का भी संचालन करेगी, ताकि यात्री आसानी से पहुंच सकें।
- कुंभ मेले के दौरान खाने-पीने की विशेष व्यवस्था की जाती है और लंगर सेवा भी उपलब्ध होती है।
- मेले में जाने से पहले स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों की जानकारी जरूर लें।
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