BHOPAL.
साहब के बंगले पर संतरी....
और मंत्री के बंगलों में संतरियों की फौज
यही कहानी है मध्यप्रदेश पुलिस( Madhya-Pradesh-Police )के जवानों की जो मूल ड्यूटी छोड़कर अफसरों और मंत्रियों के यहां चाकरी बजा रहे हैं। इस वजह से पुलिस बल के मूल काम बुरी तरह से प्रभावित है। द सूत्र ( TheSootra Special Story ) ने जब इस मामले की जांच-पड़ताल की तो पता चला कि 5500 पुलिसकर्मी ऐसे है,जो कुक, नाई, धोबी, मोची, स्वीपर जैसे अन्य काम बंगलों में कर रहे है। अगर ये पुलिसकर्मी अपनी मूल ड्यूटी करें तो तस्वीर ही बदल जाएगी, पुलिस बल में फौज बड़ जाएगी ( Reduction in MP police force )।
चाकरी पर हर महीने खर्च हो रहे 24.75 करोड़ रुपए
जानकारी के अनुसार 5300 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ( MLA Minister-MP recommendations ) का आरक्षक जीडी (जनरल ड्यूटी) में संविलियन करने की मांग ने फिर से तूल पकड़ लिया है। आरक्षक ट्रेड कैडर से भर्ती हुए ये पुलिसकर्मी ( MP policemen ) तकरीबन 5 साल की सेवा पूरी कर जिला पुलिस के सहयोगी बनने के पात्र हो गए हैं। दस साल से इनके जीडी में संविलियन पर रोक लगी है। इस वजह से ट्रेड में भर्ती हुए इन पुलिसकर्मियों को प्रमोशन बराबर मिल रहा है, लेकिन उन्हें छोटे-मोटे ही करने पड़ रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो पदोन्नति पाकर सब इंस्पेक्टर स्तर तक पहुंच गए, लेकिन अफसरों के घर पर काम कर रहे हैं। आरक्षक ट्रेड से भर्ती हुए नए सिपाही की तनख्वाह करीब 25000 रुपए होती है। इसी कैडर में पदोन्नत होकर एसआई बने पुलिसकर्मी को करीब 75 हजार रुपए सैलरी मिल रही है। सिपाही और एसआई के बीच पुलिसकर्मी हवलदार और एएसआई भी बने हैं, जिनकी तनख्वाह अलग-अलग है। अगर इन 5500 पुलिसकर्मियों का बिना भत्ते जोड़े भी औसत वेतन 45000 रुपए महीना माना जाए तो इन पर सरकार का खर्चा 24.75 करोड़ हो रहा है। ये खर्च हर महीने का है। इस सब के बावजूद भी ये लोग अफसरों-नेताओं के बंगलों पर ही काम कर रहे हैं।
ना बढ़ी फाइल, ना हुए प्रमोशन
मप्र के नए सीएम मोहन यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पुलिसकर्मियों को गुड न्यूज दी थी। उन्होंने कहा था कि उम्मीदें लगाकर बैठे हजारों पुलिस कर्मियों के अच्छे दिन अब जल्दी आने वाले हैं। मध्य प्रदेश के नए मुखिया मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने पुलिसकर्मियों के प्रमोशन को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी आगे कुछ भी नहीं हुआ, ना फाइल आगे बढ़ी और ना ही प्रमोशन हुए। वहीं 50 विधायक, मंत्री और सांसद इस संविलियन/स्थानांतरण के पक्ष में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी सिफारिश कर चुके हैं। इनमें मौजूदा सरकार के 50% जनप्रतिनिधि शामिल हैं।