BHOPAL. चुनाव आयोग ( Election Commission ) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसबीआई से इलेक्टोरल बांड ( Electoral Bond ) पर मिली नई जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इससे पहले चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक किया था। इसमें कंपनियों द्वारा खरीदे गए इलेक्टोरल बांड ( Electoral Bond ) और पार्टियों के इसके जरिए मिले चंदे का जिक्र था। दरअसल, केंद्रीय चुनाव आयोग ( Central Election Commission ) ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बांड पर जमा रिपोर्ट मिलने के बाद उसे सार्वजनिक किया है। यह वह जानकारी है जो राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के अप्रैल 2019 के एक अंतरिम आदेश के बाद उनको इलेक्टोरल बांड के जरिए मिले चंदे के बारे में चुनाव आयोग को सौंपी थी। चुनाव आयोग ने इसे तत्कालीन कानून के हिसाब से गोपनीय रखते हुए सील्ड लिफाफे में रखी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने यह जानकारी अदालत को सौंप दी थी।
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क्या कहना है चुनाव आयोग का ?
चुनाव आयोग ने यह डेटा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) को दिया था। चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ फिजिकल प्रतियां वापस कर दी हैं। भारत के चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा अपलोड कर दिया है। आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया है।
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आयोग के डेटा में बीजेपी को सबसे अधिक चुनावी बांड कैश
चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, सबसे अधिक बीजेपी ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपए के चुनावी बांड कैश कराए हैं। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2 हजार 555 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, DMK को इलेक्टोरल बांड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं।
चुनावी बांड को लेकर सरकार पर विपक्ष हमलावर
चुनावी बांड को लेकर विपक्षी दल लगातार केंद्र की BJP सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने इसे सबसे बड़ी लूट की साजिश करार दिया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की सख्ती के बाद स्टेट बैंक ने 12 मार्च को चुनावी बांड से संबंधित डाटा इलेक्शन कमिशन को सौंपा था, जहां से इसे सुप्रीम कोर्ट को दिया गया था। कोर्ट ने इसे अपलोड करने का आदेश चुनाव आयोग को दिया था।
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स्कीम क्या है चुनावी बांड ?
चुनावी या इलेक्टोरल बांड स्कीम 2017 के बजट में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।