भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को बहुमत मिल गया है। संभवत एक बार फिर मोदी सरकार के आसार नजर आ रहे हैं।अबकी बार 400 पार के नारे के बीच में मोदी मंत्रिमंडल के सारे मंत्री जीत गए लेकिन अमेठी से स्मृति ईरानी हार गईं। अमेठी देश की उन हॉट सीटों में से थी, जिस पर बहुत से लोगों की निगाहें टिकी थीं।
जिस अमेठी सीट पर पिछले लोकसभा चुनावों में स्मृति इरानी के सिर गांधी परिवार का किला भेदने का सेहरा बंधा था, आज उसी अमेठी में वे गांधी परिवार के एक क्षेत्र प्रतिनिधि से पिछड़ गईं। कांग्रेस के किशोरी लाल ने स्मृति इरानी को एक लाख 67 हजार 196 मतों के बड़े अंतर से हराया है।
छह राज्यों में दिलाई 100 से ज्यादा सीट
बीजेपी को गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, आंध्र प्रदेश , छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से सर्वाधिक 111 सीट मिली हैं। इन छह राज्यों में कुल 118 लोकसभा सीट आती हैं।
दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक को सिर्फ केरल और तमिलनाडु से ही 80 फीसदी से ज्यादा सीट मिल सकी है। इंडिया ब्लॉक में तमिलनाडु की सभी 39 और केरल की 20 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की है।
NDA को सिर्फ दो राज्यों उड़ीसा और आंध्र प्रदेश में ही बंपर फायदा हुआ है , जबकि राजस्थान और महाराष्ट्र में जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ा।
NDA की अपेक्षा INDIA गठबंधन फायदे में रहा
राज्यों की तुलना की जाए तो एनडीए की अपेक्षा इंडिया गठबंधन फायदे में रहा है। इंडिया गठबंधन को महाराष्ट्र राजस्थान कर्नाटक और बिहार में जोरदार तरीके से सीट मिली हैं। इन पांचो राज्यों में इंडिया को 100 सीटों पर जीत मिली है। जबकि इन्हीं राज्यों में पिछले चुनाव में इंडिया को सिर्फ 18 सीटें मिली थी।
SC के लिए रिजर्व सीटों पर भी एनडीए को नुकसान हुआ है। SC बहुल 156 सीटों में से 57 पर एनडीए और 93 पर इंडिया ब्लॉक ने जीत दर्ज की है।
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जनता ने बसपा को नकारा, सपा का जोश हाई, राहुल की यात्राओं ने कांग्रेस को दिया बूस्टर डोज
18वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में जनता ने अपना अद्भुत फैसला सुनाया है। बीजेपी जीत कर भी हारने जैसी अवस्था में है, क्योंकि यह बहुमत से दूर है और इसका ग्राफ पिछले चुनाव से गिरा है।
दसरी तरफ बहुमत से दूर रहकर भी कांग्रेस को जीत जैसी खुशी मिली है। जनता ने विपक्ष के रूप में कांग्रेस को मजबूती दी है। बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को बहुमत का जादुई अंक तो हासिल हो गया है, लेकिन 400 पार सीट का नारा जनता को रास नहीं आया।
10 पॉइंट में जानिए नतीजों को
1. मतगणना के रुझानों में बीजेपी बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गई। ऐसे में एनडीए की सरकार बनेगी तो बीजेपी को अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा। पिछली बार बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला था। उसे 303 सीटें मिली थी।
2. देश में बीजेपी का वोट शेयर पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुआ है। 2019 में बीजेपी को 37.36% वोट मिले थे, इस बार यह कम होकर 36.56 हो गया है। यानी 0.80% कम। कांग्रेस के वोट शेयर 19.49% से बढ़कर 21.19% हो गया।
3. यह चुनाव क्षेत्रीय दलों के फिर से आभार के लिए भी जाना जाएगा। बिहार में जेडीयू, झारखंड में जेएमएम, महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना और यूपी में समाजवादी पार्टी को जनता का भरोसा मिला है।
4. इस बार हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी को तगड़ा नुकसान हुआ। बिहार और झारखंड में भी बीजेपी को झटका लगा है। हालांकि उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन बेहतर किया है।
5. देश को कांग्रेस मुक्त करने के सत्तापक्ष का लक्ष्य फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस ने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया है। 2019 की 52 सीट के मुकाबले इस बार कांग्रेस 99 सीट पर आगे है। कांग्रेस ने यह उपलब्धि तब हासिल की है, जब गठबंधन दलों के कारण कम सीटों पर चुनाव लड़ा।
6. चुनाव परिणामों में अयोध्या में ऐतिहासिक राम मंदिर बनाने के वादे को पूरा करने का सीधे तौर फायदा नहीं दिख रहा है। फैजाबाद सीट पर बीजेपी चुनाव हार गई है, जिसके अंदर अयोध्या आती है। यहां सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
7. देश की जड़ों से जुड़ने की कोशिश के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा की। राहुल को इन यात्राओं का फायदा मिला। जिन राज्यों में राहुल की यात्राएं हुई है, वहां कांग्रेस को फायदा हुआ।
8. यूपी में मायावती की बसपा की स्थिति खराब हो गई। मानों पार्टी पूरे नतीजों से बाहर हो गई। पिछले चुनाव बसपा को 10 सीटें मिली थीं और इस बार वोट प्रतिशत 19।43 फीसदी से घटकर करीब 9।37 फीसदी रह गया है।
9. 2019 में 103 मुस्लिम बहुल सीटों में बीजेपी ने 45 जीती थी। तब कांग्रेस को 11 और अन्य को 45 सीट मिली थी। इस बार इन सीटों में 34 पर भाजपा, 12 पर कांग्रेस और 55 सीट पर अन्य आगे हैं।
10. लोकलुभावन घोषणाएं हमेशा काम नहीं आतीं। मुफ्त में चीजें देकर केसीआर जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हुए। आंध्र प्रदेश में भी जगनमोहन रेड्डी को निराशा ही हाथ लगी। यानी जनता ने उन्हें नकार दिया।
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