ग्वालियर में 2 मंत्रियों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही किया विकास, कांग्रेस नाराज और बीजेपी के नेता भी दुखी

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Rahul Garhwal
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ग्वालियर में 2 मंत्रियों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही किया विकास, कांग्रेस नाराज और बीजेपी के नेता भी दुखी

देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश में विकास यात्रा के 15 दिन पूरे हो गए हैं। 5 फरवरी से शुरू हुई ये यात्रा अभी निरंतर जारी है। इसमें मंत्री और विधायक रोज उद्घाटन और शिलान्यास के नारियल फोड़ रहे हैं, लेकिन इस विकास से कांग्रेस के नेता तो नाराज हैं ही साथ ही बीजेपी में भी असंतोष है। खासकर उन विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले दोनो दलों के नेता जहां अभी कांग्रेस के विधायक हैं।



कांग्रेस ने बताया विनाश यात्रा



कांग्रेस तो बीजेपी की विकास यात्रा को विनाश यात्रा बताते हुए कह ही रही है कि ये सरकारी पैसे पर बीजेपी नेताओं का चुनाव प्रचार अभियान है और इस बात को जनता अच्छी तरह से जानती भी है। बीजेपी के नेता इसलिए दुखी है कि जिलेभर के विकास कार्यों का पैसा और योजनाओं पर जिले के सिर्फ 2 मंत्रियों ने कब्जा कर लिया है। बाकी 4 विधानसभाओं में काम नहीं हो रहे हैं और इसका असर एक बार फिर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा। इस एक पखवाड़े में हुए उद्घाटन और भूमिपूजन के आंकड़े भी इसी असंतुलन को दिखा रहे हैं।



सबसे ज्यादा नारियल मंत्रियों के इलाके में ही फूटे



15 दिन की विकास यात्रा के आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा आयोजन ग्वालियर ग्रामीण और ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में हो रहे हैं। इसमें भूमिपूजन के नाम पर नारियल फोड़ने के काम में ऊर्जा मंत्री और सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न तोमर आगे हैं। उनके क्षेत्र में 133 भूमिपूजन हो चुके हैं। जबकि 49 पहले से पूर्ण हो चुके कामों का वे लोकार्पण कर चुके हैं। विभिन्न योजनाओं के लाभ के लिए इस दौरान उन्हें 5252 आवेदन मिले जिनमें से 4147 स्वीकृत हो चुके हैं जबकि 960 अभी भी लंबित हैं।



उद्घाटन में भारत सिंह आगे



इस मामले में दूसरे नंबर पर हैं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक और प्रदेश के उद्यानिकी और फूड प्रोसेसिंग मंत्री भारत सिंह कुशवाह। ये अपने ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अब तक 69 लोकार्पण करवा चुके हैं और इतने ही भूमिपूजन। इन्हें अब तक काम के लिए 5396 आवेदन मिले जिनमें से 3819 स्वीकृत हो चुके हैं और 1260 लंबित हैं।



पूर्व, दक्षिण और डबरा की हालत खराब



जिन क्षेत्रों में कांग्रेस विधायक हैं, उनमें विकास यात्रा महज रस्म अदायगी बनकर रह गई है। यहां कुछ नेता इकट्ठे होकर कुछ गलियों में जनसम्पर्क जैसा करके लौट आते हैं क्योंकि वहां ना तो कोई उद्घाटन शेड्यूल होता और ना ही लोकार्पण।



ग्वालियर पूर्व



ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र को ही ले लें। यहां उपचुनाव कांग्रेस के सतीश सिकरवार ने जीता है और सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल को यहां विकास अभियान की कमान दे दी गई है जबकि वे फिलहाल किसी निर्वाचित संवैधानिक पद पर नहीं हैं। यहां बीजेपी नेताओं ने अपने को अलग-सा कर रखा है। विकास कार्य के मामले में इसकी हालत दयनीय है। बीते 15 दिन में इसमें सिर्फ 56 लोकार्पण हुए और महज 42 भूमिपूजन। यहां आवेदन भी 3532 ही लिए गए जिनमें से 3143 स्वीकृत हुए।



ग्वालियर दक्षिण और डबरा में सन्नाटा



ग्वालियर दक्षिण में भी कांग्रेस के विधायक हैं प्रवीण पाठक। ये क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है। बीजेपी और संघ कार्यालय भी इसी इलाके में है। यहां से 4 बार से नारायण सिंह कुशवाह जीतते आ रहे थे और शिवराज कैबिनेट में भी थे, लेकिन 2018 में वे महज 181 मतों से कांग्रेस के प्रवीण पाठक से हार गए। अब इस क्षेत्र में बीजेपी में सबसे ज्यादा प्रत्याशी हैं, लेकिन विकास यात्रा की कमान किसी को ना सौंपे जाने से हालत खराब है। बीते 15 दिन में यहां महज 3 लोकार्पण हुए और 25 भूमिपूजन। यही हाल डबरा सुरक्षित का है। यहां उपचुनाव में इमरती देवी हार गई और कांग्रेस के सुरेश राजे एमएलए बन गए। यहां केवल 102 लोकार्पण हुए और 71 भूमिपूजन।



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कांग्रेस बोली कमलनाथ सरकार के कामों का कर रहे उद्घाटन



डबरा के विधायक सुरेश राजे कहते हैं कि विकास यात्रा में सरकार पक्षपात कर रही है। कांग्रेस के क्षेत्र में तो वे मुंह दिखाने की  स्थिति में नहीं हैं और आगे भी नहीं रहेंगे, क्योंकि जब वोट मांगने आएंगे तो जनता पूछेगी कि विकास यात्रा में उसे अलग क्यों रखा। राजे ये भी कहते हैं कि इनमें जो उद्घाटन हो रहे हैं, वे कमलनाथ सरकार द्वारा स्वीकृत काम हैं। इसके अलावा जो भूमिपूजन हो रहे हैं वे पार्षदों के काम हैं। इससे पार्षद भी दुखी और नाराज हैं।



बीजेपी नेता भी दुखी



विकास कार्यों के मंत्रियों द्वारा अपने विधानसभाओं तक सीमित कर देने से बीजेपी नेता भी दुखी हैं, हालांकि वे कैमरे के सामने नहीं बोल पा रहे हैं। सबसे ज्यादा वे नेता परेशान हैं जो अगले चुनाव में दावेदारी कर रहे हैं। उनकी चिंता है कि जब वोटर्स पूछेंगे तो वे जवाब क्या देंगे ? कांग्रेस तो पक्षपात का आरोप लगाते घूम ही रही है।


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