भोपाल. पापा मैं क्या चल पाऊंगा, दूसरे बच्चों की तरह दौड़कर कब खेल पाऊंगा। ये शब्द भोपाल के रहने वाले आरुष के है। जो खड़े होने में असक्षम है क्योंकि उसे जानलेवा बीमारी ड्यूरेशन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है। उसे उठने- बैठने से लेकर खड़े होने तक की परेशानी होती है। आरुष को चलने के लिए भी रस्सी का सहारा लेना पड़ता है। परिवार उसका इलाज तो करवा रहा है, लेकिन बीमारी से लड़ने के लिए प्राईमरी खर्च ही 2 करोड़ है।
3 साल की उम्र में उसे बीमारी हुई थी
आरुष का इलाज जयपुर के एक अस्पताल में चल रहा है, साथ ही साथ भोपाल में उसके माता –पिता फिजियोथेरेपी करवा रहा है। आरुष के पिता धर्मेंद्र मीडिया को बताते है कि आरुष के लिए कई लोगों ने आर्थिक मदद की है। वो आगे कहते हैं कि आरुष का जन्म सामान्य ही हुआ था। 3 साल की उम्र तक वो चलता फिरता था, लेकिन बाद में उसके पैरों में दिक्कत आने लगी। 2020 में आरुष खड़ा हो पाता था, लेकिन लॉकडाउन लगने की वजह से उसकी फिजियोथेरेपी पर असर पड़ने लगा।
इस जानलेवा बीमारी से मौत हो जाती है
आरुष को पढ़ना और पेंटिग करना पसंद है। उसे पढ़ना और पेंटिग करना पसंद है। पढ़ाई के बाद वह गेम भी खेलता है और टीवी देखता है। शाम को रोज 3 घंटे एक्सरसाइज भी करते है। पापा कहते है कि वह एक्सरसाइज करेगा तो फिर चलने लगेगा। इस बीमारी की वजह से 11 से 21 साल के बच्चों की मौत हो जाती है।