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Jabalpur. जबलपुर में शहरी सीमा से लगे 100 गांवों में जमीन खरीदने बेचने पर कलेक्टर ने रोक लगा दी है। दरअसल यहां बनने वाली रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण की दिशा में काम तेज हो चुका है। जिला प्रशासन ने जबलपुर की 6 तहसीलों की सीमा में यह रोक लगाई है। कलेक्टर इलैयाराजा टी के निर्देश पर जिला पंजीयन कार्यालय के वरिष्ठ जिला पंजीयक ने सोमवार को संबंधित आदेश जारी किया है।
आदेश में जबलपुर के सभी पंजीयन कार्यालयों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अगले आदेश तक राजपत्र में प्रकाशित गांवों की जमीन का पंजीयन रोक दें। दीवाली के पहले अचानक आए इस आदेश से हड़कंप मच गया है। दरअसल कलेक्टर को एनएचएआई ने पत्र भेजकर निर्देशित किया था कि जो जमीनें अधिग्रहित की जानी हैं उनमें से अधिकांश में पंजीयन का काम चल रहा है। इस वजह से जमीन अधिग्रहण और उसका मुआवजा आवंटित करने में परेशानी होगी। दूसरी ओर जब बिल्डरों और भूमाफिया को रिंग रोड बनने की जानकारी लगी तो उन्होंने बड़े स्तर पर जमीन खरीदना शुरू कर दिया। यही वजह है कि अभी तक सिर्फ गांवों को ही चिन्हित किया गया है। खसरा नंबर के आधार पर जमीन चिन्हांकन का काम सार्वजनिक नहीं किया गया है।
जिला कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने बताया कि जबलपुर की 6 तहसीलों के उन गांवों की जमीनों के क्रय-विक्रय और नामांतरण-डायवर्सन पर रोक लगाई गई है जहां पर रिंग रोड बननी है। हालांकि जिन मामलों में पंजीयन आवश्यक होगा, उनमें संबंधित भूअर्जन अधिकारी से लिखवाकर लाना होगा कि संबंधित जमीन अधिग्रहण में नहीं आती है, इसके बाद पंजीयन किया जा सकता है। जमीन अधिग्रहण का काम होते ही रोक हटा दी जाएगी।
कलेक्टर के आदेश के बाद जिन गांवों में पंजीयन पर रोक लगाई गई है, उनमें अधिकांश क्षेत्र शहर की सीमा से लगे हुए हैं। यहां पर अधिकांश बिल्डरों के बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। अधिकांश कॉलोनियों को रेरा के तहत बनाया जा रहा है। इनमें डुमना से लेकर सालीवाड़ा, तिलहरी, परसवाड़ा, इमलिया, मानेगांव आदि क्षेत्रों के कई गांव हैं। आदेश में इन गांवों की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई है। रोक जमीन के खसरा नंबर के आधार पर नहीं बल्कि गांव के नाम के हिसाब से लगाई गई है।