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भोपाल. सेफर इंटरनेट डे के मौके पर चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी और यूनिसेफ मध्यप्रदेश ने मिलकर बच्चों और किशोरों के लिए एक अवेयरनेस ऑनलाइन सेशन आयोजित किया। इस सेशन में साइबर सेल के एसपी जितेन्द्र सिंह ने एक प्रेजेंटेशन के जरिए समझाया कि किस तरह से साइबर क्राइम होते हैं और उनसे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए। इस इन्टरएक्टिव सेशन में लगभग 250 लोगों ने भाग लिया, जिनमें 25 जिलों के करीब 200 बच्चे और किशोर शामिल थे।
साइबर सुरक्षा की शिक्षा जरूरी : कार्यक्रम की शुरूआत में चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने कहा कि बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं। यह जरूरी है कि बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को भी लगातार इस संबंध में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, क्योंकि क्राइम करने वाले भी नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। उपयुक्त होगा कि साइबर सुरक्षा को शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए।
सुरक्षा जरूरी है : कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए युनीसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि हम युवाओं और किशोरों को इंटरनेट पर खुद को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया की जानकारी दें। यह आज के समय की एक बहुत बड़ी जरूरत है। बच्चों की साइबर सुरक्षा के बारे में बोलते हुए युनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट पी.जे.लोलिचेन ने कहा कि हमें बच्चों और युवाओं को उनके विकास की जरूरतों के लिए सकारात्मक रूप से इन्टरनेट का उपयोग करने के लिए लगातार सशक्त बनाने की जरूरत है।
जानकारी के बिना इस्तेमाल नहीं करें : कार्यक्रम में मध्यप्रदेश पुलिस के इंदौर के साइबर सेल के एस.पी. श्री जितेन्द्र सिंह ने एक बेहतरीन प्रेजेन्टेशन के माध्यम से समझाया कि साइबर क्राइम क्या होता है और किस तरह बच्चे अनजाने में ही कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे वे साइबर सुरक्षा के लिए बने कानून का उल्लंघन कर बैठते हैं। उन्होंने बताया कि ताजा चलन के अनुसार बच्चों द्वारा सबसे ज्यादा फेक प्रोफाइल बनाने के मामले सामने आ रहे हैं। साइबर क्राइम के मामलों में निजता का हनन, रिवेंज पोर्न, ऑनलाइन गेमिंग, अश्लील सामग्री का प्रसारण और प्रकाशन गैर कानूनी है। आजकल कार्डिंग के अपराध सबसे अधिक हो रहे है जिसमें किसी और की डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उसकी जानकारी के बिना इस्तेमाल किया जाता है। इन अपराधों से शिकार होने से बचने के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड को उतना ही सुरक्षित रखें जितना नगद को रखा जाता है। जरा सी भी गलत गतिविधि इन्टरनेट या फोन पर होती है तो इसकी जानकारी तत्काल अपने पेरेंट्स, टीचर्स, मित्रों और पुलिस को देना चाहिए। उन्होंने सलाह भी दी कि भले ही कितना भी अच्छा दोस्त क्यों न हो उसके साथ लैपटॉप, मोबाइल और ईमेल आईडी आदि के पासवर्ड शेयर न करें।
ऐसे करें शिकायत : फन के लिए डेटिंग साइटस पर न जायें, वहाँ साइबर अपराधी मौजूद रहते हैं। सोशल मीडिया पर यथासंभव अपनी व्यक्तिगत जानकारी न डालें और अगर डालना ही हो तो प्राइवेसी सेटिंग्स को इस तरह से सेट करें कि दोस्तों के अलावा और कोई न देख पायें, गैर भरोसेमंद एप्स डाउनलोड न करें और ऐसे सर्च इंजन को अवॉइड करें जिनके बारे में आप नहीं जानते। उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि बच्चे इन्टरनेट का उपयोग किस प्रकार कर रहे हैं इस पर पालकों को उनकी निगरानी रखना बहुत जरूरी है। अगर कोई साइबर क्राइम आपके साथ होता है तो उसकी शिकायत www.cybercrime.gov.in पर तुरन्त दर्ज करायें। शिकायत में बच्चों की पहचान गुप्त भी रखी जाती हैं, अपराध की शिकायत पास के साइबर सेल या पुलिस स्टेशन में भी दर्ज कराई जा सकती है।