सचिन त्रिपाठी, Satna. सतना में आज 7 अगस्त को नगर निगम का शपथ गृहण समारोह होगा। उसके दूसरे दिन निगम के स्पीकर व अपील समिति के चार सदस्यों का भी चुनाव होगा। इसी के साथ लगभग दो सालों बाद एक बार फिर से नई परिषद काम करना शुरू कर देगी। लगभग दो सालों बाद आ रहे नए महापौर की पारिवारिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को देखते हुए शहरवासियों को उनके विकास की ढेर सारी उम्मीदें हैं। नए महापौर को शहर विकास के लिए खुला आसमान है तो उन विकास कार्यों को सबको साथ लेकर जमीन पर उतारने की पहाड़ सी चुनौतियां भी हैं।
पात्र लोगों को योजनाओं का लाभ मिले
नगर निगम के पिछले ढाई दशक के कार्यकाल में पांच महापौर देख चुके शहरवासी सतना को भी विकास के मामले में रीवा से आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं। नव निर्वाचित महापौर की पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर तो यही अंदाजा अभी लगाया जा सकता है कि समाज के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति को शासन की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले और सतना विकास के मामले में प्रदेश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो जिनकी मिसालें दी जाती हैं। इसमें योगेश ताम्रकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। बहरहाल अब उनकी निगाहें नगर निगम शपथ ग्रहण समारोह, स्पीकर के निर्वाचन और एमआईसी के गठन पर आकर टिक गई हैं।
क्या कह रहे हैं नागरिक
सतना विकास के मामले में कहीं और होता, आज जब हम अपने पड़ोसी जिले को देखते हैं, तो मन में एक टीस सी उठती है। सड़क, बिजली, पानी, यातायात जैसी कई बुनियादी सुविधाओं को और बेहतर तरीके से लोगों को उपलब्ध करवाया जा सकता है। लगभग ढाई दशक के इस दौर में कई बदलाव हुए हैं, बावजूद इसके विकास की कई असीम संभावनाएं हैं। जरूरत है तो इस बात की सामूहिक प्रयास के साथ शहर के विकास के लिए काम किया जाए। मुझे उम्मीद है कि नवनिर्वाचित महापौर शहर के विकास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। जनप्रतिनिधियों का बड़ा काम होता है, जनता को राहत देना और शहर की जनता इन दिनों सम्पत्ति कर के बोझ से दबी है, उसे इस बोझ से राहत दिलवाने की आवश्यकता है।
राजाराम त्रिपाठी, पूर्व महापौर (कांग्रेस)
विकास एक सतत प्रक्रिया है, यह लगातार जारी रहता है। मेरे कार्यकाल में मात्र तीन सीसी सड़कें थी आज पूरे शहर में सड़कों का जाल है। शहर में वैसे तो बहुत सारी समस्याएं हैं। जिनका निदान धीरे-धीरे हो ही जाएगा पर सबसे बड़ी समस्या शहर में पानी की है,मात्र एक एनीकट को सारे शहर की प्यास बुझाई जाती है। इसके लिए करोड़ों की योजनाएं हैं। बावजूद इसके बाणसागर से पानी मंगाना पड़ता है। मेरे कार्यकाल में यही स्थिति थी आज भी यही हालात हैं। शहर में पेयजल संकट को दूर करने के लिए एक और एनीकट की आवश्यकता है। यह एनीकट सोहावल की तरफ सतना नदी में बनाया जा सकता है।
विमला पांडेय, पूर्व महापौर (भाजपा)
शहर की समस्याओं को गिनाने बैठ जाएंगे तो काफी हैं। यहां सबसे पहले समस्या तो मल जल हो या वर्षा जल दोनों के निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बस स्टैंड के साथ-साथ पॉश कालोनियों में वर्षा का जल भर जाता है। सीवरेज लाइन के काम ने मोहल्लों की सड़कों को बर्बाद कर दिया है। इसके अलावा शहर में ही तीन या चार बस स्टैंड होने चाहिए। सड़कों में जाम आम है। इस समस्या को प्रमुखता से रखना चाहिए।
केशव तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार
ये कुछ प्रमुख समस्याएं
- जल निकासी,कई वार्डों व कॉलोनियों में जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।