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Jabalpur. जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल में लगी भीषण आग के बाद प्रदेश सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक सबने हर हाल में हर नियम के पालन की दुहाई दी। लेकिन अब घटना को कुछ माह का बीते सरकारी ढर्रा उसी रवायत पर चल रहा है। हम बात कर रहे हैं निजी अस्पतालों में मरीजों की जान की हिफाजत की। जी हां, भीषण अग्निकांड के बाद कई अस्पतालों के पंजीयन रद्द किए गए। सभी अस्पतालों को नियमों का पालन करने की ताकीद दी गई, लेकिन बात करें टेंपरेरी फायर एनओसी की तो दो माह बीतने के बाद केवल एक अस्पताल को ही टेंपरेरी फायर एनओसी हासिल हो पाई है।
बता दें कि जिले में 122 अस्पतालों ने प्रशासन को टेंपरेरी फायर एनओसी के लिए आवेदन दिया था लेकिन 2 माह में संबंधित विभाग द्वारा महज 70 अस्पतालों का ही निरीक्षण पूरा हो पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सीमित स्टाफ के चलते अस्पतालों के निरीक्षण में समय लग रहा है। देरी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को सभी दस्तावेज जमा करने दो बार अतिरिक्त समय दिया जा चुका है। जानकारी के अनुसार इलेक्ट्रिकल ऑडिट डिपार्टमेंट ने कुछ अस्पतालों को कंप्लायंस सर्टिफिकेट दिया है, जिसके बाद ये अस्पताल टेंपरेरी फायर एनओसी के लिए आवेदन दे सकेंगे। इधर फायर सेफ्टी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार केवल एक अस्पताल ने ही ऑनलाइन आवेदन किया है।
दरअसल मापदंड पूरे न करने पर अब तक 34 अस्पतालों के पंजीयन रद्द किए जा चुके हैं, वहीं कई अस्पतालों को दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।
व्यावसाइक भवनों को नगर निगम ने भेजा नोटिस
इधर नगर निगम ने शहर के बड़े व्यावसायिक भवनों को भी फायर एनओसी और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य कर दिया है। नगर निगम ने नोटिस भेजते हुए सभी व्यावसायिक भवनों के मालिकों को नियमों का पालन करने कहा है, लेकिन भवन मालिक जब इलेक्ट्रिकल सेफ्टी विभाग पहुंच रहे हैं तो अधिकारी उन्हें साफ कह रहे हैं कि व्यावसायिक भवनों के इलेक्ट्रिकल ऑडिट करने का आदेश उन्हें नहीं मिला है।
व्यावसायिक भवनों के मालिक जब नगर निगम पहुंच रहे हैं तो उन्हें इलेक्ट्रिकल सेफ्टी विभाग से एनओसी लाने कहा जा रहा है जबकि उक्त विभाग के अधिकारियों से संपक करने पर वे आदेश न होने का हवाला दे रहे हैं। सरकार के दो विभागों में समन्वय न होने के चलते व्यावसायिक भवनों के मालिक परेशान हैं। उनके सामने सवाल यही है कि वे आखिर करें तो करें क्या। इलेक्ट्रिकल सेफ्टी विभाग के सीनियर इंजीनियर अरविंद बोहरे ने बताया कि अभी उनके विभाग द्वारा अस्पतालों का ऑडिट कराया जा रहा है। व्यावसायिक भवनों का आदेश आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।