टंट्या भील की गौरव कलश यात्रा: CM ने की शुरूआत, महात्मा गांधी को लेकर ये बोल गए

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टंट्या भील की गौरव कलश यात्रा: CM ने की शुरूआत, महात्मा गांधी को लेकर ये बोल गए

खंडवा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टंट्या भील (Tantya Bhil Kalash Yatra) की 'क्रांति सूर्य गौरव कलश यात्रा' का शुभांरभ किया। उन्होंने कहा कि इस यात्रा में किसी मंत्री का स्वागत नहीं होगा। स्वागत होगा तो सिर्फ टंट्या मामा के वंशजों का होगा। उन्होंने कहा कि जब आजादी का इतिहास हमें पढ़ाया गया। तो वो इतिहास भी सही नहीं पढ़ाया गया। हमें बताया गया कि हिंदुस्तान को आजादी केवल महात्मा गांधी जी, नेहरू जी, इंदिरा जी ने दिलाई। मैं महात्मा गांधी को प्रणाम करता हूं। बापू विश्वबंध है। लेकिन कांग्रेस ने तो गलत इतिहास पढ़ाया। हम भूल गए टंट्या मामा को, हम भूल गए तात्या टोपे को। 27 नवंबर को सीएम खंडवा (Shivraj, Khandwa) में टंट्या भील की कलश यात्रा का शुभारंभ करने पहुंचे थे।

टंट्या की जन्मस्थली से कार्यक्रम शुरू

सीएम ने स्वतंत्रता आंदोलन (Freedom Movement) के क्रांतिकारी जननायक टंट्या मामा (Tantya Bhil) की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर से गौरव कलश यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा मालवा और निमाड़ के अनेक जिलों से होते हुए 4 दिसंबर को पातालपानी (Patalpani) पहुंचेगी। इस मौके पर शिवराज ने कहा कि 'हमने कानून बना दिया है कि बिना लाइसेंस लिए ऊंची ब्याज की दरों पर कोई किसी गरीब को कर्जा देगा तो 20 अगस्त तक का वैसा कर्जा माफ कर दिया जाएगा, अपने आप माफ हो जाएगा। हम गरीबों को लूटने की इजाजत नहीं देंगे।'

कौन थे टंट्या भील

टंट्या भील (Tantia Bhil Birth) का जन्म 1840 में खंडवा जिले की पंधाना तहसील के बडदा गांव में हुआ था। उनका असली नाम तांतिया भील था। क्रांतिकारी स्वभाव के कारण उनका नाम टंट्या पड़ा। टंट्या का शाब्दिक अर्थ होता है झगड़ा। उन्होंने 1857 की क्रांति (revolution of 1857) के नायक तात्या टोपे से गुरिल्ला युद्ध (guerrilla warfare) सीखा था। वह गुरिल्ला युध्द प्रणाली से अंग्रेजों की ट्रेनों को लूटते थे और लूट के सामान को गरीबों में बांटते थे। उनके इसी स्वभाव के कारण ही अंग्रेजों ने उन्हें इंडियन रॉबिनहुड का नाम दिया था। 

गोंडों के बाद भीलों पर BJP की नजर

बीजेपी ने हाल ही में रानी कमलापति के नाम पर हबीबगंज स्टेशन का नाम रखा है। इसके अलावा छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी के नाम को राजा शंकर शाह (Raja shankar shah) के नाम पर रखा जाएगा। ये दोनों गोंड जनजाति से आते हैं। गोंडों को साधने के बाद बीजेपी टंट्या मामा के नाम से भीलों को साधने की कवायद में जुट गई है। 

प्रदेश में भीलों की आबादी करीब 60 लाख (Bhil population) है, ये प्रदेश की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है। टंट्या मामा भीलों में पूज्यनीय है। इस कारण मध्यप्रदेश की राजनीति टंट्या मामा के नाम पर केंद्रित हो गई है। इससे पहले मंडला में सीएम ने ऐलान किया था कि  सरकार 61 करोड़ की लागत से बन रहे इंदौर के बस स्टैंड का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखेगी। इसके अलावा इंदौर का भंवरकुआं चौराहा और पातालपानी रेलवे स्टेशन भी टंट्या के नाम से जाना जाएगा।

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