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दीपेश कौरव, भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों (MP Govt Schools) में हाल ही में नियुक्त किए गए करीब 12 हजार 269 शिक्षकों की नौकरी खतरे (Teacher's Job in Danger) में पड़ सकती है। इसकी वजह शिक्षक भर्ती 2018 के रिजल्ट की वैधता (Validity of Result) की अवधि बढ़ाने के लिए समय पर संशोधन जारी नहीं करना है। सरकार की इस लापरवाही के कारण यह मामला कानूनी पेंच में फंस सकता है। कानून के जानकारों के अनुसार, शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पात्रता परीक्षा की वैधता खत्म होने के बाद नया नोटिफिकेशन जारी नहीं करना और समय सीमा में नियुक्ति नहीं करना गंभीर चूक है। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय विभाग का कोई भी जिम्मेदार अफसर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
ये है मामला: दरअसल, मप्र राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग), सेवा शर्तें नियम 2018 एवं मप्र जनजातीय एवं अनुसूचित जाति शिक्षण संवर्ग (सेवा एवं भर्ती) नियम 2018 के अनुसार, शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की गई पात्रता परीक्षा के रिजल्ट की वैधता, 2 साल या अगली पात्रता परीक्षा आयोजित होने तक, यानी इनमें से जो भी पहले हो, होगी। लेकिन दोनों ही विभागों ने पात्रता परीक्षा के रिजल्ट की निर्धारित अवधि गुजर जाने के बाद अब तक कोई संशोधित नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। इसके विपरीत स्कूल शिक्षा विभाग ने दो साल की अवधि खत्म होने के करीब एक महीने बाद 8 हजार 342 उच्च माध्यमिक शिक्षकों (Higher Secondary Teachers) के नियुक्ति आदेश जारी किए हैं। इसी प्रकार जनजातीय कार्य विभाग ने भी 1 हजार111 उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियुक्ति आदेश पात्रता परीक्षा की वैधता खत्म होने के ढाई महीने बाद और 2816 माध्यमिक शिक्षकों के नियुक्ति आदेश 4 महीने की देरी से जारी किए हैं।
12 हजार 624 पात्र उम्मीदवारों का भविष्य खतरे में: स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) में प्रथम चरण में शिक्षकों की नियुक्तियां होने के बाद अब बाकी पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है। लोक शिक्षण संचालनालय इसके लिए अब एक बार फिर से बाकी उम्मीदवारों के दस्तावेजों का परीक्षण करा रहा है। वहीं जनजातीय कार्य विभाग ने भी बाकी पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन कितने पदों पर नियुक्ति होगी इसको लेकर विभागीय अधिकारी अभी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। हांलाकि पहले चरण की नियुक्तियां होने के बाद अब स्कूल शिक्षा विभाग में उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक के करीब 8 हजार 627 और जनजातीय कार्य विभाग में उच्च माध्यमिक और माध्यमिक शिक्षक के करीब 3हजार 997 पद बाकी हैं, जिन पर नियुक्तियां की जानी है। ऐसे में यदि सरकार के राजपत्र (Gazette) में संशोधन किए बगैर नई नियुक्तियां की जाती हैं तो चयनित शिक्षकों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
सितंबर 2018 में शुरू हुई थी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया: सितंबर 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग ने माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक के कुल 30 हजार 594 पदों पर पात्रता परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें स्कूल शिक्षा विभाग में उच्च माध्यमिक के करीब 17 हजार और माध्यमिक शिक्षक के 5 हजार 670 पद थे। वहीं जनजातीय कार्य विभाग में उच्च माध्यमिक शिक्षक के करीब 2 हजार 220 एवं माध्यमिक शिक्षक के 5 हजार 704 पदों पर एक ही पात्रता परीक्षा के माध्यम से भर्ती की जानी थी। उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षकों के लिए ऑनलाइन पात्रता परीक्षा कार्यक्रम दिसंबर 2018 में प्रस्तावित था, लेकिन परीक्षा फरवरी और मार्च 2019 में आयोजित की गई। इसके बाद मई 2019 तक भी परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने का काम शुरू नहीं हो सका। जून से परीक्षा परिणाम तैयार करने का काम शुरू हुआ लेकिन विडंबना देखिए कि ऑनलाइन परीक्षा करवाने के बावजूद फरवरी 2019 में हुई उच्च माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को जारी किया गया। इसी प्रकार मार्च में हुई माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा कर परिणाम 26 अक्टूबर 2019 को जारी किया गया।
ऐसे हुए नियुक्ति आदेश जारी: स्कूल शिक्षा विभाग ने 5 से 6 अक्टूबर 2021 तक 12 हजार 043 चयनित शिक्षकों के नियुक्ति आदेश जारी किए। इसमें 8 हजार 342 उच्च माध्यमिक और 3 हजार 701 माध्यमिक शिक्षक शामिल हैं। वहीं, जनजातीय कार्य विभाग ने 18 नवंबर 2021 को उच्च माध्यमिक के 1111 पदों पर नियुक्ति आदेश और 29 से 30 दिसंबर 2021 तक माध्यमिक शिक्षकों के करीब 2 हजार 816 के नियुक्ति आदेश जारी किए।
सरकारी स्कूलों में अभी भी 50 हजार शिक्षकों की जरूरत: यू-डाइज डाटा 2019-20 के मुताबिक, प्रदेश में पहली से बारहवीं तक के स्कूल शिक्षा विभाग के 67 हजार 84 और जनजातीय कार्य विभाग के 32 हजार 104 सरकारी स्कूल है। इन स्कूलों में करीब साढे़ तीन लाख शिक्षक कार्यरत हैं, वहीं अभी भी 50 हजार से ज्यादा शिक्षकों की जरूरत है।
कोर्ट में चुनौती देने पर अवैध हो जाएंगी नियुक्तियां: हाईकोर्ट जबलपुर के सीनियर एडवोकेट विकास महावर ने बताया कि मप्र राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग), सेवा शर्तें नियम 2018 एवं मप्र जनजातीय एवं अनुसूचित जाति शिक्षण संवर्ग, (सेव एवं भर्ती) नियम 2018 के नियम 11 में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि जो पात्रता परीक्षा की वैधता 2 साल या फिर अगली परीक्षा होने तक, जो भी इसमे पहले रहे, वह वैधता इसमें तय की गई है। इसी परीक्षा परिणाम के आधार पर शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं। यदि संबंधित विभागों ने रिजल्ट की वैधता को नियमानुसार नहीं बढ़ाया और इसको लेकर नया नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया, तो यह नियुक्तियां अवैध हैं। इन्हें कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
नियुक्ति का इंतजार: उम्मीदवार ब्रजेश पटेल का कहना है कि नियुक्ति को लेकर हम तीन साल से विभाग से प्रताड़ित हैं। चार साल बाद भी विभाग द्वारा नियुक्ति नहीं दी गई है और प्रक्रिया कागजों में ही उलझी हुई है, जिसके चलते हम बेरोजगार है। विभाग और शासन ने हमारी बेरोजगारी का मजाक बना दिया है। प्रदेश की शिक्षा और दिशा सुधारने के लिए चयनित शिक्षकों की जल्द नियुक्ति होनी चाहिए। उम्मीदवार यास्मिन शेख का कहना है कि अगर सिस्टम से काम होता और सही से सिलेक्शन लिस्ट बनती तो आज हम स्कूलों में होते और नौकरी कर रहे होते। अब हम 8 हजार 27 उम्मीदवार अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। 4 महीने में वेटिंग क्लीयर कराने के लिए कई आंदोलन कर चुके हैं, ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन हमारी बात कोई सुन नहीं रहा।
चयनित शिक्षकों को जल्द मिले नियुक्ति: पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण संघ, मप्र के संयोजक रंजीत गौर का कहना है कि मप्र में करीब दस साल के बाद स्थाई शिक्षक भर्ती शुरू हुई है, जो भारी विसंगतियों के साथ चल रही है। प्रदेश में करीब 87 हजार शिक्षकों की कमी है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षक पात्रता परीक्षा में पास होने के बाद भी डीएड-बीएडधारी आज बेरोजगार सड़कों पर घूम रहे हैं। हमारी मांग है कि शिक्षकों के पदों में बढ़ोतरी की जाए और जो चयनित हैं, उनको जल्द नियुक्ति दी जाए।