भोपाल. मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (mp panchayat election) टाले जा सकते हैं। इसके संकेत गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narrottam mishra on panchayat election) ने दिए हैं। मिश्रा ने कहा कि हमारे लिए वर्तमान में लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जान ज्यादा जरूरी है। जैसे वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court on election) का फैसला आया है। जैसे दिल्ली में क्रिसमस और न्यू ईयर के कार्यक्रमों पर दिल्ली सरकार ने रोक लगा दी है। नाइट कर्फ्यू (Night curfew) भी लागू हो गया है। इस कारण हम ओमिकॉन (omicron) की दहशत में पंचायत चुनाव बाद में भी करा सकते हैं। हालांकि, मिश्रा ने इसे अपने निजी राय बताया है। वहीं, हंगामे के चलते विधानसभा (MP Assembly winter session) को अनिश्चितकालीन समय तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
OBC पर नरोत्तम Vs जयवर्धन
चुनाव किसी की जिंदगी से बड़ा नहीं है। लोगों की जान हमारे लिए पहली प्राथमिकता है।
कोरोनाकाल में अन्य प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव से लोगों की सेहत पर खासा प्रभाव पड़ा था। इसलिए मेरी व्यक्तिगत राय है कि #Corona के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए पंचायत चुनाव को टाल दिया जाना चाहिए। pic.twitter.com/cKTxlIqkJw
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) December 24, 2021
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि OBC के आरक्षण मामले में कांग्रेस से पूरा पिछड़ा वर्ग नाराज है। ये चुनाव को रूकवाने के लिए क्यों कोर्ट में गए थे। कांग्रेस अपने आवेदन को वापस भी ले सकती थी। अगर इसके बाद भी कोर्ट ने फैसला दे दिया था तो रिव्यू याचिका भी लगा सकते थे। रिव्यू भी हम लगा रहे थे। चुनाव भी हम करा रहे थे। कांग्रेस ओबीसी के साथ सिर्फ विश्वासघात कर रही थी।
इधर, कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि हम तो पहले ही दिन से कह रहे हैं कि जो ऑर्डिनेंस सरकार लेकर आई थी। वो पूर्ण रूप से गलत है। विधेयक में नए रोटेशन की पूरी व्यवस्था होना चाहिए थी। जो रोटेशन 2014 में हुआ था, उसी के आधार पर 2021 का चुनाव होना चाहिए था। सरकार से पूछिए उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट- जान है तो जहान है
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओमिक्रॉन (Omicron) के बढ़ते केस को लेकर 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से अनुरोध किया था कि विधानसभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जाए। उनसे कहा जाए कि चुनाव प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से करें। पार्टियों की चुनावी सभाएं एवं रैलियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।
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