हरीश दिवेकर, Bhopal. मध्यप्रदेश में नगरीय चुनाव की प्रक्रिया को लेकर 'द सूत्र' की 19 मई की एक्सक्लूसिव खबर शत-प्रतिशत सही साबित हुई है। इस खबर में 'द सूत्र' ने खुलासा किया था कि शिवराज सरकार प्रदेश में 16 नगर निगमों के महापौर के चुनाव प्रत्यक्ष तरीके यानी सीधे जनता से कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है। जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी चुने हुए पार्षदों के माध्यम से कराए जाएंगे।
'द सूत्र' की 19 मई की एक्सक्लूसिव खबर
MP में सिर्फ महापौर का चुनाव जनता करेगी और नगर पालिका अध्यक्ष अब पार्षद चुनेंगे
मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा अध्यादेश
सरकार ने बुधवार, 25 मई की रात हूबहू यही अध्यादेश राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेज दिया है। नए अध्यादेश के मुताबिक प्रदेश में अब सिर्फ महापौर के चुनाव सीधे जनता से कराए जाएंगे। नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे। सूत्रों के मुताबिक संशोधित अध्यादेश को 26 मई की दोपहर तक राज्यपाल की मंजूरी मिल जाएगी।
अब कलेक्टर को नपा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के निर्वाचन का अधिकार
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक सरकार नगर पालिका के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के निर्वाचन का अधिकार जिला कलेक्टर को देने जा रही है। अभी ये अधिकार राज्य निर्वाचन आयोग के पास है। इसके लिए सरकार अध्यादेश के जरिए नगर पालिका अधिनियम 1961 में संशोधन करने जा रही है। इसके अलावा सरकार नगर पालिका क्षेत्र की सीमाएं बढ़ाने की निर्धारित अवधि में भी बदलाव करने जा रही है। अभी ये अवधि नगर पालिका परिषद का कार्यकाल खत्म होने से 2 माह पहले तक है। इसे बढ़ाकर अब 6 महीने किया जा रहा है।
बीजेपी कार्यालय में हुई बैठक के बाद हुआ था फैसला
उल्लेखनीय है कि नगरीय चुनाव की प्रक्रिया को लेकर मंगलवार, 24 मई की रात प्रदेश बीजेपी कार्यालय में सरकार और पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक के बाद ये जानकारी सामने आई थी कि प्रदेश में नगर निगम महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव सीधे जनता से कराएं जाएंगे। सोशल मीडिया में यह सूचना भी तेजी से वायरल हुई कि सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से कराने के लिए नया अध्यादेश रात में ही मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेज दिया है। बुधवार, 25 मई को सुबह अखबारों में भी नगरीय निकायों के चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से कराने और इसके लिए जरूरी अध्यादेश राज्यपाल को भेजे जाने की खबरें छपने के बाद सुबह गृह मंत्री एवं सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने अध्यादेश राज्यपाल को भेजे जाने का खंडन जारी किया। उन्होंने बयान देकर स्पष्ट किया कि सरकार ने नगरीय और पंचायत चुनाव से जुड़ा कोई भी अध्यादेश राजभवन को नहीं भेजा है।
अध्यादेश को लेकर क्यों हुई गफलत
सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक मंगलवार, 24 मई की रात अध्यादेश को लेकर सारी गफलत नगरीय प्रशासन विभाग के स्तर पर हुई है। दरअसल प्रदेश बीजेपी कार्यालय में सरकार और पार्टी संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में सिर्फ नगर निगम महापौर के चुनाव ही प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे जनता से कराने का फैसला लिया गया था। जबकि नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी पार्षदों के माध्यम से ही कराने का निर्णय लिया गया था। लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग में गफलत के कारण महापौर के साथ नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के चुनाव भी सीधे जनता से कराने के प्रावधान का अध्यादेश मंजूरी के लिए राजभवन को भेज दिया गया। दूसरे दिन सुबह अखबारों इस बारे में खबरें छपने पर सरकार की आंखें खुलीं और आनन-फानन में राजभवन से फिर अध्यादेश वापस बुलाया गया। इसके साथ ही अध्यादेश को लेकर गृह मंत्री से स्पष्टीकरण जारी कराया गया।
राज्यपाल की सहमति के बाद जारी होगी अधिसूचना
मध्यप्रदेश में नगर निगम महापौर के चुनाव सीधे जनता से कराने के प्रावधान का संशोधित अध्यादेश सरकार ने नए सिरे से बुधवार, 25 मई की रात को राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा। सूत्रों के मुताबिक इस पर गुरुवार, 26 मई को दोपहर तक राज्यपाल की सहमति की मुहर लग जाएगी। इसके बाद सरकार इस बारे में विधिवत अधिसूचना जारी कर देगी।