जबलपुर में नर्मदा की सफाई पर सियासत, महापौर और नेता प्रतिपक्ष में हुई तू-तू मैं-मैं, BJP पार्षदों ने किया वॉकआउट

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में नर्मदा की सफाई पर सियासत, महापौर और नेता प्रतिपक्ष में हुई तू-तू मैं-मैं, BJP पार्षदों ने किया वॉकआउट

Jabalpur. आखिरकार जबलपुर में नगर सत्ता का राजतिलक होने के करीब 3 महीने बाद ही सही मैदान पर एक बार फिर बीजेपी कांग्रेस की नोंकझोंक दिखाई दी। हाल ही में कमलेश अग्रवाल को बीजेपी ने जबलपुर नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष बनाया है। त्यौहारों के चलते अभी तक सियासत का कोई अच्छा मौका विपक्ष में बैठी बीजेपी को मिल नहीं रहा था। तो नगर निगम द्वारा बुलाई नर्मदा तट पर स्वच्छता अभियान और वनभोज कार्यक्रम में बीजेपी के पार्षद बिफर पड़े। कारण वही एकमात्र था- हमें क्यों नहीं बताया, हमें क्यों नहीं बुलाया, ये क्यों नहीं किया, वो क्यों नहीं किया। कहां धारा 30 की बैठक में कांग्रेस-बीजेपी सभी ने मिलकर शहर हित में आपसी राजनीति को अलग रखकर काम करने का संकल्प लिया था और नर्मदा तट पर स्वच्छता अभियान की बात कही गई थी। जो कि बीजेपी पार्षदों के वॉकआउट के साथ ही कपोलकल्पित साबित हो गई। हालांकि बाद में कांग्रेस पार्षदों, एमआईसी सदस्यों और महापौर ने नर्मदा तट ग्वारीघाट पर साफ-सफाई की। 



नर्मदा के नाम पर चुनाव जीते, 3 महीने नहीं कराई सफाई- कमलेश



नेता प्रतिपक्ष कमलेश यादव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस मां नर्मदा की बात करके महापौर का चुनाव जीती है और पिछले 3 महीनों में महापौर को एक बार भी नर्मदा की याद नहीं आई। उन्होंने यह सवाल उठाया कि पिछले 3 माह में नर्मदा की साफ-सफाई क्यों नहीं हुई। कमलेश अग्रवाल यहां तक कह गए कि कांग्रेस और महापौर का यही रवैया रहा तो उन्हें कोई भी काम ठीक से करने ही देंगे। वे यहां इस बात को नजर अंदाज कर गए कि इस साल उम्मीद से कहीं ज्यादा बारिश भी हुई है और नर्मदा तट जलमग्न ही रहे। ऐसे में सफाई अभियान चलाने का क्या औचित्य रहता। कांग्रेसियों का कहना है कि कमलेश अग्रवाल को महज वॉकआउट की राजनीति करनी थी तो उन्होंने कर ली। 



बीजेपी पार्षदों की इच्छा के अनुरूप रखा कार्यक्रम



महापौर जगत बहादुर अन्नू ने कहा कि उन्होंने धारा 30 की बैठक के दौरान विपक्ष की इच्छा के अनुरूप वनभोज और स्वच्छता अभियान का कार्यक्रम रखा था। बैनर, फ्लैक्स में बकायदा अपनी फोटो के साथ निगम अध्यक्ष की फोटो लगवाई गई, बाद में एमआईसी सदस्यों को स्थान दिया गया। उसके बावजूद भी बीजेपी पार्षदों को नाराज होना था तो वे नाराज होकर चले गए। मैं हर निरीक्षण या काम में बीजेपी के लोगों को अपने साथ नहीं ले जा सकता। उन्हें जो करना है वो करें मुझे शहर हित में जो करना होगा मैं करता रहूंगा। 



करने आए थे सफाई, की केवल चिल्लाचोंट



इधर नगर निगम की ओर से बुलाए गए स्वच्छता अभियान के दौरान मची पक्षविपक्ष की चिल्लाचोंट को जिसने भी देखा वह हंसे बिना रह नहीं पाया। उधर राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह तो पक्ष-विपक्ष की परंपरा है, जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो वह भी ऐसा ही करती थी, अब ज्यादा संख्या बल के साथ बीजेपी विपक्ष में है तो पूरे 5 साल ऐसे नजारे देखने को मिलते रहेंगे। 


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