शिप्रा में प्रदूषण: पीने लायक तक नहीं बचा पानी, अनशन पर बैठे संत की बिगड़ी तबीयत

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शिप्रा में प्रदूषण: पीने लायक तक नहीं बचा पानी, अनशन पर बैठे संत की बिगड़ी तबीयत

उज्जैन. मोक्षदायिनी शिप्रा नदी (Shipra River) का प्रदूषण लेवल डी ग्रेट पर पहुंच गया है। यानी अब नदी का पानी पीने लायक नहीं बचा है। इसका खुलासा प्रदूषण विभाग (pollution department report on shipra) की रिपोर्ट में हुआ है। वहीं, शिप्रा के शुद्धिकरण के लिए अनशन पर बैठे महामंडलेश्वर संत ज्ञानदास (Mahamandaleshwar Gyandas) की तबीयत बिगड़ गई है। वो 27 दिन से अनशन पर बैठे है। उन्होंने कहा कि मेरी आखिरी इच्छा है कि मां शिप्रा पवित्र हो। उज्जयिनी (Ujjain) पवित्र नगरी बने, यही मेरी इच्छा है।

ये है प्रदूषित होने के कारण

इसका सबसे बड़ा कारण कान्ह नदी (Kanhan River) का प्रदूषण। कान्ह नदी में इंदौर के इंडस्ट्रियल एरिया (Indore industrial area) का वेस्ट और गंदा पानी मिलता है। कान्ह नदी फिर शिप्रा में मिलती है। साथ ही देवास के इंडस्ट्रियल एरिया से गुजर रही नदी का पानी भी शिप्रा में ही मिल रहा है। इसके अलावा उज्जैन का घरेलू कचरा और सीवरेज का पानी भी शिप्रा को प्रदूषित कर रही है। प्रदूषण विभाग ने पानी को A से E ग्रेड में मापा है। जिसमें शिप्रा का पानी D ग्रेड का निकला है। यानी सबसे गंदे से थोड़ा सा कम। 

संत ज्ञानदास का अनशन

नदी को बचाने और सफाई के लिए संत महामंडलेश्वर ज्ञानदास 16 नवंबर से अनशन कर रहे हैं। उन्होंने 27 दिन से अन्न त्याग रखा है। वे मंगलनाथ रोड पर भगवान अंगारेश्वर मंदिर के पास दादू आश्रम में अनशन पर बैठे हैं। कल रात उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था। उन्होंने वहां भी अन्न जल ग्रहण करने से मना कर दिया। इस कारण उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई।

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