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INDORE. सरकारी स्कूल के प्राचार्य (Principal) के बेटे ने कॉलेज से छात्रवृत्ति लेने के लिए अपने पिता को सेल्समेन (Salesmen) बताया। बेटे ने फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाकर छात्रवृत्ति (Scholarship) ली । आरटीआई (RTI) से खुलासा होने के बाद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय महू (Mhow) के प्राचार्य नरेश वर्मा (Naresh Verma) ने पैसा सरकार को लौटाए। प्रमाण पत्र में रत्नेश वर्मा (Ratnesh Verma) के पिता की मूल वेतन 96 हजार रुपए बताई गई है। फर्जी आय प्रमाण पत्र (Income Certificate) बनाकर चमेली देवी कॉलेज इंदौर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 123640 रुपए की छात्रवृत्ति ली। आरटीआई से जानकारी सामने आने के बाद इस मामले की शिकायत इंदौर संभाग कमिश्नर पवन शर्मा से की गई।
मामले को किया रफा-दफा
मामले का खुलासा होते ही प्राचार्य नरेश वर्मा ने छात्रवृत्ति की पूरी राशि सरकारी खजाने में जमा करवा दी। इसके साथ प्राचार्य वर्मा ने आदिम जाति एवं अनुसूचित कल्याण विभाग में सेटिंग कर पूरे मामले का रफा-दफा भी करवा दिया। विभाग से अपने प्रकरण में लिखवा दिया कि रत्नेश वर्मा ने छात्रवृत्ति ली थी, जिसे बाद में लौटा दिया है। सरकार को जो आर्थिक नुकसान हुआ था उसकी भरपाई हो गई है।
निलंबन का आदेश जारी हुआ
प्राचार्य को क्लीनचिट देने के मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट संजय मिश्रा ने शिकायत की। इसके बाद फर्जी तरीके से ली गई छात्रवृत्ति की जांच शुरू हुई। जांच में पाया गया कि मामले में फर्जी दस्तावेज तैयार कर नरेश वर्मा ने अपने बेटे रत्नेश को लाखों रुपए की छात्रवृत्ति दिला कर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई है। इसी के साथ यह भी पाया गया कि जिस समय प्राचार्य नरेश वर्मा ने अपनी वार्षिक आय 96 हजार बताई थी, उस समय उनके वेतन से वार्षिक आय 334067 रुपए थी।
जिला पंचायत सीईओ ने प्राचार्य नरेश वर्मा के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई का आदेश जारी किया। राजनीतिक वरदहस्त के चलते वर्मा का अब तक निलंबन नहीं हुआ। ईओडब्ल्यू ने भी अपनी जांच में वर्मा को दोषी माना है, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया।