Jabalpur. जबलपुर में श्मशान में एक स्वीपर द्वारा गर्भवती महिला का पोस्टमार्टम किए जाने के सनसनीखेज मामले की जांच में पुलिस को काफी चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं। पनागर थाना इलाके में हुई इस घटना के बाद पुलिस अब इस उधेड़बुन में है कि आखिर किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए। मायका पक्ष और ससुराल पक्ष मौत की एमएलसी नहीं कराने के लिए एकदूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं। वहीं दोनों पक्षों के बयान से यह भी सामने आया है कि मृतका का पेट श्मशान में केवल बच्चे को दफनाने के लिए नहीं चीरा गया था, बल्कि यह पता लगाना भी एक उद्देश्य था कि कहीं मौत जहर से तो नहीं हुई थी।
मेडिकल चेकअप में बिल्कुल फिट थी राधा
मृतक गर्भवती राधा की मां गौराबाई का कहना है कि मौत से कुछ दिन पहले ही गर्भवती बेटी का चेकअप आंगनबाड़ी में कराया गया था। उस वक्त उनकी बेटी और गर्भस्थ शिशु पूरी तरह सकुशल थे। नवंबर माह में डिलीवरी की डेट मिली थी। सब कुछ सामान्य होने के बावजूद 17 सितंबर को उनकी बेटी की अचानक मौत हो गई। जिसके बाद यह सब हुआ।
एक दिन पहले हुआ था विवाद
मृत राधा की मां ने यह भी बताया है कि 16 सितंबर को उनकी राधा से बात हुई थी तब उसने घर में कुछ अनबन होने की बात बताई थी। मां परिवार के कुछ लोगों के साथ पनागर जाकर सुलह समझौता कराने की तैयारी में थी कि अगले ही दिन बेटी की मौत की खबर आ गई। गौराबाई ने दहेज प्रताड़ना के भी आरोप लगाए हैं जबकि ससुराल पक्ष दहेज की मांग के आरोपों को सिरे से नकार रहा है।
एकदूसरे पर मढ़ रहे आरोप
उधर मौत की एमएलसी नहीं कराने को लेकर भी मायके पक्ष और ससुराल पक्ष एकदूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मायके पक्ष का कहना है कि राधा के पति सोहन और ससुर गोपी ने साफ धमकी दी थी कि यदि पीएम हुआ तो फिर वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। वहीं ससुराल पक्ष का कहना है कि मायके पक्ष ने ही बेटी का पीएम कराने से इनकार कर दिया था।