ग्वालियर. नगर निगम (Gwalior Muncipal corportation) ने शहर को साफ रखने के लिए 51 रुपए के इनाम (51 Rupees prize) का ऐलान किया था। इस इनाम को जीतने के लिए लोगों को एक वॉट्सऐप नंबर पर कचरा डालने वाले की फोटो भेजनी थी। 20 दिसंबर से ये नियम लागू कर दिया था। शहर के लोगों ने अब तक 450 फोटो और वीडियो बनाकर निगम के नंबर पर भेजे, लेकिन इनाम किसी को नहीं मिला। नाही किसी जिम्मेदार अधिकारी से फाइन वसूली गई। इसके पीछे प्रशासन ने तर्क दिया कि इनमें से 95 फीसदी मामले कचरे के ढेर के हैं। बाकी 5 प्रतिशत में फेंकने वाला साफ नजर ही नहीं आ रहे हैं। इस कारण अभी तक कोई इनाम नहीं जीत पाया है।
वॉट्सऐप नंबर पर फोटो या वीडियो भेजे
PRO जनसंपर्क ग्वालियर ने बताया कि टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर शहर में स्वच्छता प्रोत्साहन अभियान (cleanliness promotion campaign) चलाया जा रहा है। जिसमें शहर में किसी भी गली, मोहल्ले, मुख्य मार्ग एवं कॉलोनी में कचरे के ढेर का फोटो एवं उस जगह के सही नाम के साथ SBM सेल के वॉट्सऐप नंबर 9406915779 पर भेजे। जो व्यक्ति इसका फोटो या वीडिया भेजेगा उसके खाते में फोन पे, गूगल पे या PAYTM के माध्यम से तत्काल 51 रुपए प्रोत्साहन राशि के रुप में भेजे जाएंगे।
जिम्मेदारों से वसूलेंगे फाइन
साथ ही उस वार्ड के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी या डब्ल्यूएचओ की सैलरी से 101 रुपए की फाइन वसूली जाएगी। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को जो स्थाई कचरे ठिए हैं उन पर संबंधित व्यक्ति द्वारा कचरा डालते हुए व्यक्ति का फोटो या वीडियो बनाकर भेजना होगा।
स्वच्छता सर्वेक्षण में फिसड्डी ग्वालियर
स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 (Cleanliness Survey 2021) का जो नतीजा रहा है, उसमें ग्वालियर की स्थिति काफी खराब रही। देशभर के शहरों में ग्वालियर 14 वें नंबर से खिसककर 42वें नंबर पर पहुंच गया। ग्वालियर में सफाई पर हर साल 140 करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। ये पैसा सिर्फ कचरा उठाने और लैंडफिल साइट तक ले जाने पर खर्च किया जाता है। कचरा प्रोसेसिंग पर अलग से पैसा खर्च किया जा रहा है।
इतने कर्मचारी फिर भी फेल अधिकारी
ग्वालियर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग (Gwalior Health department) में 3075 कर्मचारी हैं, जिसमें 975 नियमित, 1150 विनियमित और 950 ठेके पर हैं। इन सफाई कर्मचारियों के वेतन पर 50 से 60 करोड़ रु. खर्च होते हैं। स्वास्थ्य विभाग में 282 वाहन लगे हुए हैं। इनके संचालन में 60 से 65 करोड़ खर्च होते हैं। रोड स्वीपिंग मशीन समेत बाकी संसाधनों पर भी सालाना 10 करोड़ रु. खर्च होते हैं। शौचालयों के जीर्णोद्धार समेत पुताई और जागरूकता अभियान पर 4 से 5 करोड़ रु. खर्च होते हैं।
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