हादसे पर जो सवाल खड़े हुए उन्हें The Sootr पहले ही उठा चुका था, पर नहीं ली सुध, नतीजा कलियासोत पुल का एप्रोच बहा

author-image
Rahul Sharma
एडिट
New Update
हादसे पर जो सवाल खड़े हुए उन्हें The Sootr पहले ही उठा चुका था, पर नहीं ली सुध, नतीजा कलियासोत पुल का एप्रोच बहा

Bhopal. मध्यप्रदेश में बारिश ने हालात बिगाड़ दिए है। नदी-नाले उफान पर है। इस बारिश ने निर्माण कामों की पोल खोलकर रख दी है। भोपाल-मंडीदीप रोड पर समरधा के पास  कलियासोत नदी पर बने पुल की मिट्‌टी धंस गई। जिससे पुल का हिस्सा बह गया, जबकि डेढ़ साल पहले ही 560 करोड़ रु. की लागत से बने हाईवे पर सीएसडी कंपनी ने ये पुल बनाया था। इस मामले में इंजीनियर को नोटिस थमाया गया है। वहीं निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है, लेकिन पुल टूटने से कई सवाल खड़े हुए है और इन सवालों को द सूत्र पहले ही उठा चुका था। सरकार और जिम्मेदारों को आगाह कर चुका था, लेकिन जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और नतीजा.. भयानक लापरवाही और नेशनल हाईवे—46 (NH-46) पर कलियासोत नदी पर बने इस पुल का एक हिस्सा पानी में बह गया।






लापरवाही, घटिया निर्माण और नदी के प्रेशर का अंदाज न होना हादसे की वजह



भोपाल में पिछले 72 घंटे से लगातार हो रही बारिश के बाद भोपाल का बड़ा तालाब फुल टैंक लेवल तक पहुंच गया। तालाब के फुल टैंक लेवल पर पहुंचने के बाद भदभदा डैम के गेट खोलना पड़े। जैसे ही भदभदा डैम के गेट खुले, कलियासोत डैम के सभी गेट भी खोलना पड़े और इसी कलियासोत नदी पर ये पुल बना था। पानी का प्रेशर इतना तेज था कि वो पुल की मिट्टी को अपने साथ बहा ले गया। गनीमत ये रही कि उस वक्त इस सड़क पर ट्रैफिक नहीं था वरना अंजाम बेहद बुरा होता, अब इस पुल के बहने के कारण क्या है...घटिया निर्माण, निर्माण में बरती लापरवाही और कलियासोत नदी के प्रेशर का अंदाजा न होना।




द सूत्र ने इन बिंदुओं पर की हादसे की पड़ताल...



1. भ्रष्टाचार की संभावना : घटिया निर्माण और निर्माण काम में भ्रष्टाचार की संभावना स्थानीय लोग जता रहे हैं। लोगों का साफ कहना है कि निर्माण घटिया था इसलिए पुल बह गया। कांग्रेस ने भी ऐसे ही सवाल उठाए और जांच की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ ने इसे लेकर ट्वीट किया। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता और नेता सुबह से ही इस मुद्दे को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं।




2. क्या निर्माण में लापरवाही बरती : अब दूसरा बिंदु है कि क्या निर्माण काम में लापरवाही बरती गई। इस मामले में द सूत्र ने पीडब्ल्यूडी के रिटायर चीफ इंजीनियर वीके अमर से बात की, तो उन्होंने इसमें निर्माण कार्य में बरती गई घोर लापरवाही बताया। सबसे बड़ी वजह ये है कि एप्रोच पर ब्लाक्स सही ढंग से नहीं लगाए गए। इससे पानी के कारण नीचे की मिट्टी फूल गई और एप्रोच टूट कर नीचे गिर पड़ा।




3. कलियासोत नदी का कितना संबंध : पड़ताल की तीसरा बिंदु था कि क्या पानी के प्रेशर का निर्माण करने वाली कंपनी को अंदाजा नहीं था। क्या कंपनी ने कोशिश ही नहीं की ये जानने की कि जब कलियासोत गेट के सभी गेट खुलेंगे तो कितने प्रेशर से पानी आ सकता है। दरअसल कलियासोत ऐसी नदी है जिसमें 365 दिन पानी नहीं होता। नदी में पानी का प्रवाह तब होता है जब इसपर बने डैम के सभी गेट खुलते हैं। अब पानी का प्रेशर इतना क्यों था तो कलियासोत पर हुआ अतिक्रमण इसकी सबसे बड़ी वजह कही जा रही है। कलियासोत के अतिक्रमण को लेकर याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद् सुभाष पांडे का साफ कहना है कि कलियासोत पर छोटे बड़े 5 हजार अतिक्रमण है और इसी की वजह से नदी का दायरा सिमटता जा रहा है और उन्होंने आशंका जताई कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं और भी सामने आ सकती है।




कलियासोत नदी पर 5 हजार अतिक्रमण ने बढ़ा दिया नदी का प्रेशर



एनजीटी ने कलियासोत नदी के दोनों तरफ 33 मीटर जगह छोड़ने के लिए प्रशासन को कई साल पहले निर्देश दिए है, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। नदी का दायरा छोटा होता जा रहा है। दायरा छोटा होगा तो पानी का प्रेशर बढ़ेगा, ये वैज्ञानिक तथ्य है। किसी भी नदी पर पुल बनाने से पहले नदी में पानी के प्रेशर को देखा जाता है और उसी के हिसाब से पुल का निर्माण किया जाता है। कलियासोत नदी पर जितने भी पुल बने है वहां पानी का प्रेशर बारिश के मौसम में ही जांचा जा सकता है, जब सभी गेट खुलने के बाद नदी में पानी आता है, लेकिन पुल का निर्माण उस समय किया गया जब नदी में पानी उतने प्रेशर से था ही नहीं यानी कंपनी ने ये देखने की जहमत नहीं उठाई कि जब पूरे गेट खुलेंगे और नदी में पानी आएगा तो उसका प्रेशर क्या होगा। नतीजा सभी के सामने है...टूटा हुआ पुल।  




अब भी नहीं चेते तो होते रहेंगे हादसे



द सूत्र ने कलियासोत नदी पर हुए अतिक्रमण को लेकर पूरी मुहिम भी चलाई थी और दिखाया था कि भविष्य में नदी पर हो रहे अतिक्रमण का खामियाजा किस तरह से भुगतना पड़ेगा और उसका जीता जागता उदाहरण इस पुल के टूटने के रूप में सामने आ चुका है। इससे पहले 2020 में जब कलियासोत डैम के गेट खुले थे तो सेज ग्रुप के सागर प्रीमियम प्लाजा का एक हिस्सा पानी में बह गया था, यदि सरकार और प्रशासन अभी भी नहीं चेता तो आने वाले समय में और भी कई भयानक अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं मगर जिम्मेदार है कि जाग नहीं रहे।



सड़क NHAI की तो MPRDC के इंजीनियर को नोटिस क्यों?



मंडीदीप पुल के मामले में शासन ने तुरंत एक्शन लेते हुए निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की है। वहीं एक इंजीनियर को भी नोटिस थमाया गया है। जिस इंजीनियर को नोटिस थमाया गया वह एमपीआरडीसी का है। सवाल यह उठता है कि एनएचएआई की सड़क है तो फिर कार्रवाई एमपीआरडीसी के इंजीनियर पर क्यों? दरअसल एमएचएआई ने एमपीआरडीसी से निर्माण कराया था और इसलिए कार्रवाई एमपीआरडीसी के इंजीनियर पर हुई है।




पिछले साल बारिश में बह गए थे ग्वालियर—चंबल के 7 पुल



अब पुल को बनाते समय कितनी सावधानी रखी जाती है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल बारिश में ग्वालियर चंबल संभाग के सात पुल बह गए थे और इसके लिए जो जांच समिति बनाई गई थी। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बांधों से पानी तीन से चार गुना मात्रा में छोड़ा गया। इतना पानी छोड़ा जाएगा तो पुल इस प्रेशर को सहने की क्षमता रखते है या नहीं। समिति ने ये भी पाया कि पुलों की उंचाई कम थी जिसकी वजह से पुल टूटे जबकि ऊंचाई सही होती तो शायद पुल टूटते नहीं, कहने का मतलब ये है कि पुल के निर्माण में बेहद सावधानी की जरूरत होती है और अक्सर वो रखी नहीं जाती.. नतीजा जनता के टैक्स के पैसे की बर्बादी।


corruption dam Kaliasot कलियासोत NHAI Accident Negligence FLOOD नेशनल हाईवे River नदी NH-46 Bridge Approach Broken Road