भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 2003 से लेकर 2018 तक हुई नियुक्तियों की खात्मा रिपोर्ट को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। ईओडब्ल्यू ने पूर्व कुलपति बीके कुठियाला, भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक संजय द्विवेदी समेत बीस नियुक्तियों की जांच में क्लीनचिट देकर विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कुछ बिंदुओं पर फिर से जांच करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने माना कि ईओडब्ल्यू ने इस मामले की जांच ठीक तरीके से नहीं की।
ये नियुक्तियां हैं आरोपों के घेरे में:
- बीके कुठियाला
ये है मामला
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय,भोपाल में हुईं अवैध नियुयक्तियों और अवैधानिक व्यय की जांच के लिए 18 जनवरी 2019 को कांग्रेस की तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने जांच समिति का गठन किया था। समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी थे जबकि सदस्य के रुप में भूपेंद्र गुप्ता और संदीप दीक्षित को शामिल किया गया था। समति ने 7 मार्च 2019 को जांच प्रतिवेदन पेश किया। कुल सचिव दीपेंद्र सिंह बघेल ने 11 अप्रैल् 2019 को ईओडब्ल्यू में जांच के लिए आवेदन दिया। आवेदन में कहा गया कि तत्कालीन कुलपति बीके कुठियाला ने अपने दो कार्यकाल में 19 लोगों की अवैध नियुक्तियां की गईं जिनमें भ्रष्टाचार कर यूजीसी के नियमों को ताक पर रख अपात्रों को शिक्षक के पद पर नियुक्ति देकर अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया गया। विशेष व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए अनावश्यक शिक्षण केंद्र खोले गए। यूनिवर्सिटी राशि का दुरुपयोग कर प्रदेश के बाहर एबीवीपी और आएसएस से संबंधित संस्थानों के आयोजनों पर राशि खर्च की गई। विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय ज्ञान संगम के लिए आठ लाख, साढ़े नौ लाख जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के लिए, श्री रविशंकर आश्रम के आयोजित संगम के लिए तीन लाख रुपए समेत अन्य खर्च कर यूनिवर्सिटी के 21 लाख 4 हजार 607 रुपए की हानि की गई। इसके अलावा विदेश यात्राएं, वाहन पर खर्च, हवाई यात्रा पर, आगंतुकों को शराब पिलाना और पत्नी को विदेश यात्रा का खर्च भी विश्वविद्यालय के फंड पर किया गया। ईओडब्ल्यू ने कोई अपराध नहीं पाया जाना बताते हुए खात्मा प्रतिवेदन तैयार किया था।
ये हैं कोर्ट के निर्देश
ईओडब्ल्यू ने जांच उचित तरीके से नहीं की गई। विशेष न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने लिखा है कि जांच अधिकारी विधिक प्रावधानों पर विचार करते हुए आगे की जांच विधि अनुसार करें। यूनिवर्सिटी में हुई नियुक्तियों के संबंध में फिर से जांच कर मूल दस्तावेजों का मिलान संबंधित विश्वविद्यालयों से करते हुए उनकी भर्ती के संबंध में दस्तावेजों एवं नियमों के पालन होने की जांच करें। विश्लेषण में आए तथ्यों के संबंध में भी जांच की जाए। अन्य साक्ष्यों को भी इकट्ठा किया जाए। केस डयरी आदेश की प्रति के साथ वापस की जाए। प्रकरण का परिणाम दर्ज करते हुए अन्य प्रपत्र अभिलेखागार में जमा कराए जाएं।