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BHOPAL. गोविंदा और नीलम का एक पुराना और हिट सॉन्ग है मय से मीना से न साकी से। सुना होगा आपने। एक जनरेशन पुराने हैं तो इस पर लटके झटके भी दिखाए होंगे। अब अगर ये सोच रहे हैं कि शुरूआत तो गंभीर मसले के साथ की थी फिर अचानक ये फिल्मी बातें कहां से शुरू हो गईं। इस कनेक्शन को समझना है तो जरा गाने की कुछ आगे की लाइन गुनगुनाइए। अगली लाइन है दिल बहलता है मेरा आप के आ जाने से। ये लाइन मध्यप्रदेश के बड़े-बड़े सियासी सूरमाओं को परेशान कर रही है। पर जरा से चेंज के साथ। वो इस लाइन को कुछ यूं सुन रहे हैं कि दिल दहलता है मेरा आप के आ जाने से। क्या आप समझे मेरा इशारा किस की तरफ है। अरे, आप की तरफ है, आप की तरफ। आप से मतलब है आम आदमी पार्टी जो पंजाब, गुजरात में झंडे गाड़ने के बाद अब एमपी का रुख कर चुकी है और जिस अंदाज में अरविंद केजरीवाल घोषणाएं करके गए हैं। उसे सुनकर लगता है कि वो पूरा नहीं तो थोड़ा मैदान मार ही लेंगे।
अरविंद केजरीवाल का चुनावी आगाज
अरविंद केजरीवाल ने चुनावी साल में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से चुनावी आगाज किया। चुनावी हुंकार उन्होंने उसी जंबूरी मैदान से भरी जिसे बीजेपी पिछले कुछ सालों से अपने लिए लकी मानने लगी है। जिसका हर छोटा बड़ा आमोखास कार्यक्रम इसी मैदान में होता है। उसी मैदान में सीएम शिवराज सिंह चौहान की जगह खड़े अरविंद केजरीवाल ने पूरे प्रदेश में अर्जी लगा दी है कि एक मौका तो देकर देखो।
आम आदमी पार्टी की सिग्नेचर घोषणाएं
आम आदमी पार्टी की सिग्नेचर घोषणाएं करने से भी केजरीवाल नहीं चूके। बिजली, पानी, शिक्षा और इलाज सब मुफ्त देने का वादा भी कर दिया। वैसे इन घोषणाओं से पहले ही मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में आप का दबदबा बढ़ रहा है। एक फोन नंबर के जरिए चंबल से बहुत तेजी से लोग आम आदमी पार्टी से जुड़ रहे हैं। हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान के वर्चस्व वाले क्षेत्र सीहोर में आप पैर जमाने में नाकाम हो रही है। लेकिन चंबल में लगता है आप, कांग्रेस और बीजेपी का मजबूत विकल्प बन सकती है।
दिल्ली में बुरी तरह घिरी है आप
अरविंद केजरीवाल का ये कॉन्फिडेंस उस वक्त नजर आ रहा है जब दिल्ली में उनकी सरकार बुरी तरह घिरी हुई है। उनके सबसे खास मंत्री सलाखों के पीछे हैं और उन्हें घेरने की तैयारियां तेज हैं। इसके बावजूद आत्मविश्वास से लबरेज अरविंद केजरीवाल वही घोषणाएं दोहराकर गए हैं जिन्हें फ्री की रेवड़ियां बताकर खूब सियासत हुई। इन रेवड़ियों का असर पंजाब और गुजरात में तो दिखा। और जैसा उन्होंने खुद कहा कि एमपी में भी ट्रेलर दिख ही चुका है। बीजेपी कांग्रेस लाख दावे कर ले कि आम की आमद से कोई फर्क नहीं पड़ता। असल हकीकत ये है कि उन्हें अपनी रणनीति आम आदमी पार्टी को मद्देनजर रखते हुए ही तैयार करनी होगी।
सिंगरौली नगर निगम चुनाव जीत चुकी आप
आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में सिंगरौली की नगर निगम जीत चुकी है। उसके बाद से हौसले सातवें आसमान पर हैं। वैसे आसमान की सवारी तो आम आदमी पार्टी पंजाब में अपने दम पर सरकार बनाने और गुजरात जैसे राज्य में पांच सीटें जीतने के बाद से ही करने लगी थी। मध्यप्रदेश तो उनके लिए बोनस साबित हुआ। प्रत्यक्ष रूप से नजर आने वाले आंकड़े तो यही कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का प्रदेश में एक महापौर और चालीस पार्षद है। लेकिन पार्टी से जुड़े लोग कुछ अलग ही दावा करते हैं। पार्टी के एक नेता ने दावा किया कि गैर दलीय आधार पर हुए पंचायत चुनावों में ‘आप’ समर्थित उम्मीदवारों ने जिला पंचायत सदस्यों के 10 पदों, 23 जनपद सदस्यों, 103 सरपंचों और 250 पंचों पर जीत हासिल की है। कार्यकर्ताओं को जोड़ने के मामले में भी आम आदमी पार्टी तयशुदा लक्ष्य से कहीं आगे चल रही है। आप ने एमपी में एक लाख कार्यकर्ता बनाने का लक्ष्य रखा था। जबकि अब तक दो लाख से ज्यादा कार्यकर्ता पार्टी से जुड़ चुके हैं। जिसमें शिक्षितों की संख्या सबसे ज्यादा है।
बीजेपी की प्लानिंग
आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में बीजेपी के हथियार से ही बीजेपी को शिकस्त देने की प्लानिंग कर रही है। डिजिटाइजेशन में बीजेपी सबसे आगे है। लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि आसान रास्ता आप ने चुना है। कार्यकर्ताओं की फौज बढ़ाने के लिए आप ने एक फोन नंबर जारी कर दिया है। जिस पर फोन लगाते ही लोग आप के कार्यकर्ता बन सकते हैं। बस आम आदमी पार्टी के लिए इतना ही काफी है। इस नंबर पर कॉल कर सदस्य बनने के मामले में ग्वालियर चंबल के लोग सबसे आगे हैं। जबकि पार्टी को अब तक सबसे कम रिस्पॉन्स सीहोर से मिला है। इस रिस्पॉन्स को देखते हुए क्या ये माना जा सकता है कि ग्वालियर चंबल में पार्टी की पैठ मजबूत हो रही है।
कांग्रेस पर भारी पड़ेगी आम आदमी पार्टी
फिलहाल आंकलन जो भी हो फिलहाल आम आदमी पार्टी की मुफ्त की घोषणाएं और सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान ने कांग्रेस बीजेपी में खलबली मचा दी है। एमपी में आम आदमी पार्टी किस दल पर भारी पड़ेगी ये कहना मुश्किल है। लेकिन पिछला ग्राफ देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आप की आमद कांग्रेस पर ही भारी पड़ती है। पंजाब में किसानों का साथ देकर आप ने कांग्रेस सरकार को साफ कर दिया। गुजरात में व्यापारियों का साथ देकर पांच सीटें अपने नाम कर ली। दिल्ली पर तो आम आदमी पार्टी राज कर ही रही है। हिमाचल प्रदेश में शांत रही तो कांग्रेस की सरकार बन सकी। इस मान से तो मायने यही निकलते हैं कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस की राह का रोड़ा बनेगी। अब ये माना जा रहा है कि आप की नजरें फिलहाल कांग्रेस और बीजेपी के असंतुष्टों पर है। जिन प्रत्याशियों को बीजेपी या कांग्रेस अनदेखा करती है और उन्हें आप के जरिए नया विकल्प मिल सकता है। बिना किसी जनाधार के चुनावी मैदान में उतरने वाली आम आदमी पार्टी को एक जमाजमाया नेता।
झाड़ू किस पार्टी का करेगी सफाया?
आम आदमी पार्टी फिलहाल बीजेपी और कांग्रेस के बीच के रास्ते पर चल रही है। नपे तुले अंदाज में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रही है। कांग्रेस पर भी सोच समझ कर निशाना साध रही है। दिल्ली के स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर औऱ शिक्षा की बात करके पढ़े लिखे वर्ग और युवाओं पर बड़ा दांव भी लगा रही है। इन सब के बीच जब आम आदमी प्रत्याशी चुनावी मैदान में प्रत्याशी फाइनल करेगी। उसके बाद ये तस्वीर साफ होगी कि आप की झाड़ू किस पार्टी का सफाया करने वाली है।