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मोदी पर हुई Ph.D., उज्जैन की अंकिता ने 5 साल तक CM से लेकर PM कार्यकाल तक रिसर्च की, जानें थीसिस में किन बातों का जिक्र

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BP Shrivastava
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मोदी पर हुई  Ph.D., उज्जैन की अंकिता ने 5 साल तक CM से लेकर PM कार्यकाल तक रिसर्च की, जानें थीसिस में किन बातों का जिक्र

संजय गुप्ता, INDORE. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीएम से लेकर पीएम तक के सफर और इस दौरान किए गए कार्यों के आधार पर उज्जैन की महिला अभ्यर्थी ने पांच साल की मेहनत कर उन पर पीएचडी पूरी की है। भारतीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका एक विशलेषणात्मक अध्ययन विषय को लेकर यह पीएचडी अंकिता त्रिपाठी ने की है और यह डिग्री उन्हें बुधवार (23 मार्च) को उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय में हुए दीक्षांत समारोह में दी गई। उन्होंने यह पीएचडी वीरेंद्र चावरे (गाइड) के मार्गदर्शन में पूरी की है। 





मोदी के रूप में मिला सशक्त नेतृत्व





इसमें मुख्य तौर पर सामने आया है कि मोदी के रूप में देश को सशक्त नेतृत्व करने वाला प्रधान सेवक मिला है, जिसने पूरी दुनिया में शान बढ़ाई है, उन्होंने योजनाओं को जनआंदोलन, जनअभियान का रूप देकर लोगों को उनके साथ जोड़ा है। खुद को प्रधान सेवक के रूप में पेश किया है, उनकी लोकप्रियता का कोई सानी नहीं है, इसका फायदा राज्यों में भी बीजेपी को हुआ और विजय हासिल की। पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने से मोदी और सशक्त हुए हैं, लेकिन इस दौरान उनके कार्यकाल को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की तरह भी देखा जाता है, संसद में बिना चर्चा के कानून पास होने और अधिक अध्यादेश लाकर इन्हें लागू कराने के चलतो लोकतंत्र की छवि पर असर हुआ है। बीते दो सालों में उनकी लोकप्रियता में कमी आई है, उन्हें फिर से विश्वास को बढाना होगा, जिससे साल 2024 में फिर वह अपार सफलता के साथ पीएम पद पर आ सकें। 





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स्वच्छता, उज्ज्वला, नोटबंदी, ट्रिपल तलाक से लेकर जीएसटी जैसे काम

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पीएचडी के दौरान शोधार्थी अंकिता ने पांच साल तक उनके सीएम से लेकर पीएम तक के कामों का अध्ययन किया, लोगों के इंटरव्यू लिए। इस दौरान पाया कि गुजरात सीएम रहते हुए उन्होंने यथार्थवादी और अभिनव योजनाएं लागू की, मजबूत गुजरात, मजबूत भारत की विचारधारा पर रहकर काम किया। जिससे पूरे देश में गुजरात के विकास मॉडल की बात होने लगी। पीएम बनने के बाद उन्होंने गुजरात की तर्ज पर मजबूत भारत की मंशा से काम शुरू किया। स्वच्छता अभियान, नोटबंदी, उज्ज्वला योजना, ट्रिपल तलाक, धारा 370 की समाप्ति, जीएसटी लागू करने के साथ डिजिटल भारत, आयुष्मान योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं और कामों के जरिए उन्होंने पूरे देश और ग्लोबल स्तर पर अपनी अमिट पहचान बनाई है।





बीजेपी को ब्राह्मण, बनिया की पार्टी से गरीबों की पार्टी बनाया





मोदी के केंद्र में आने से पहले बीजेपी को मुख्य तौर पर ब्राह्मण, बनिया की पार्टी माना जाता रहा है, लेकिन पीएम मोदी के आने के बाद जिस तरह से पार्टी ने काम किया है, वह आम लोगों की गरीबों की पार्टी बन गई। एक के बाद एक गरीब हितैषी योजनाएं लागू की गई। चाहे वे उनके स्वरोजगार के लिए हों, कृषि सेक्टर में हों या सामाजिक सेक्टर में। इसी कारण बीजेपी पूरे बहमुत के साथ केंद्र में दो बार आई, तो वहीं अधिकांश राज्यों में भी अपनी विजयी पताका लहराई। 

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विदेश नीति पर किया फोकस, ग्लोबल लीडर बने





मोदी ने पहले कार्यकाल के दौरान विदेश नीति पर बहुत फोकस किया और लगातार कई देशों की यात्राएं कीं। इसके चलते उनकी पहचान ग्लोबल लीडर के तौर पर हुई है। चाहे सार्क देशों को साथ लाना हो या अमेरिका, जापान, रूस जैसे देशों को। उन्होंने सशक्त भारत की छवि को गढ़ा है और अब पूरी दुनिया भारत के रूख पर नजर रखती है। 





नोटबंदी सफल नहीं हुई, जीएसटी जल्दबाजी में आया

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शोधार्थी के शोध मे सामने आया कि कई योजनाओं को लागू करने के दौरान वैसी सफलता नहीं मिली, जैसे मिलनी चाहिए थी। जैसे- स्वच्छता अभियान के बाद भी कई राज्यों में और गांवों में ओडीएफ को लेकर अभी भी काम होना बाकी है। मैदानी हकीकत पूरी वैसी नहीं है। उज्ज्वला योजना में महंगे सिलेंडर के चलते समस्या आ रही है। नोटबंदी योजना विफल हुई। 98.6 नोट वापस चलन में आ गए। नोट बदलवाने के दौरान लगी भीड़, कतार में लोगों की मौत हुई। कृषि कानून बिना बहस के लागू हुए। जिसके चलते वापस लेने पड़े। जीएसटी को बिना चर्चा के एकदम से लागू किया गया। जिससे शुरुआती दौर में छोटे, मंझोले कारोबारियों को काफी परेशान होना पड़ा। रियल एस्टेट एक्ट (रेरा) लागू हुआ, लेकिन राज्यों में अभी तक यह ढंग से लागू नहीं हो पाया और ना ही ग्राहकों को इससे वास्तविक लाभ मिल रहा है। आधार को वृहद स्तर पर लागू करने और डेटा एकत्र करने से प्राइवेसी को लेकर लोग आपत्ति ले रहे हैं। 





इस तरह किया गया शोध





अंकिता ने द सूत्र को बताया कि पांच साल तक उनकी रिसर्च चली है। जिसके बाद यह पूरी हुई। इस दौरान उन्होंने मोदी पर लिखी हुई 25 से ज्यादा विविध किताबों का अध्ययन करने के साथ ही उन पर लिखे विविध आर्टिकल, न्यूज का अध्ययन किया। कई लोगों के इंटरव्यू लिए। पीएमओ को भी सवाल भेजे थे, जहां से फिर जवाब आया कि आप इन सवालों के जवाब खुद रिसर्च में ढूंढेंगी तो बेहतर होगा। उनके पूरे राजनीतिक सफर का बारीकी से अध्ययन किया। खासकर विषय के संदर्भ में उन्होंने क्या फैसले लिए औऱ् इससे भारतीय लोकतंत्र पर क्या असर हुआ? इसके बाद यह रिसच पूरी हुई है। अंकिता ने पीजी पॉलिटिकल साइंस और सोशियोलॉजी में किया है। अंकिता परिवार के साथ इंदौर में रहती हैं, पीएचडी उज्जैन से की है। वे उत्तर प्रदेश के फतेहपुर (कानपुर के पास) में पैदा हुई थीं। पति हितेंद्र त्रिपाठी सरकारी वकील हैं।



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