भिंड के दंदरौआ सरकार में जुटे लाखों भक्त, बुलडोजर और मकान बनाने में काम आने वाले मिक्सर से बना रहे भंडारे की भोजन प्रसादी

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Jitendra Shrivastava
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भिंड के दंदरौआ सरकार में जुटे लाखों भक्त, बुलडोजर और मकान बनाने में काम आने वाले मिक्सर से बना रहे भंडारे की भोजन प्रसादी

देव श्रीमाली, GWALIOR. इस समय यूपी के बाद मध्यप्रदेश में भी जेसीबी और बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है। अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की चर्चाएं आम है। बुलडोजर वैसे तो तोड़फोड़ और खुदाई के काम आता है लेकिन अगर हम आपसे कहें कि बुलडोजर और गिट्टी सीमेंट को मिक्स कर मकान बनाने  में काम आने वाला मिक्सर किचिन अप्लायंसेस के तहत काम कर करने लगा है तो आप चौंक तो जरूर जाएंगे लेकिन यह बात भले ही आश्चर्य की हो लेकिन है सोलह आने सच। बुलडोजर आलू की सब्जी को बनाने में मदद कर रहा है और मिक्सर बूंदी बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इन दोनों उपकरणों के ये नए रूप देखने को मिल रहे हैं भिंड जिले के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर दंदरौआ धाम में जहाँ इन दिनों भव्य उत्सव चल रहा है जिसमें बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री हनुमत कथा करने भी पहुंचे हैं। 



कैसे पहुंचते हैं डॉक्टर हनुमान तक 



भिंड जिले में मेहगांव से मौ की तरफ जाने वाले मार्ग पर स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर ग्राम दंदरौआ के समीप स्थित है।  इन्हे दंदरौआ सरकार कहा  भी  जाता है और इनकी ख्याति डॉक्टर हनुमान के रूप में भी है। दंदरौआ धाम पर हर मंगलवार यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं जिसमें बड़ी संख्या में बीमार निरोगी होने की कामना से यहां पहुंचते हैं। दंदरौआ ग्वालियर से लगभग 57 किमी है और यहां से सीधे साधन उपलब्ध  हो जाते हैं।  इसी तरह जिला मुख्यालय से इसकी दूरी महज 40 किमी है। 



अभी चल रहा है विशाल उत्सव 



दंदरौआ धाम पर बीते एक सप्ताह से बड़ा धार्मिक उत्सव चल रहा है जिसमें दर्शन और कथा सुनने के लिए लाखों लोग रोज देश भर से यहाँ पांच रहे हैं। यहां पहुंचने वालों में देश भर के अनेक मंत्री, राजनेता और प्रशासनिक अफसर भी शामिल है। यहां हनुमत कथा कहने पहुंचे धीरेन्द्र शास्त्री बागेश्वर धाम का दरबार भी सजाते हैं जहां लोग अपनी परेशानियों के बारे में पूछताछ करने पहुंच रहे हैं। 



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    वैसे तो यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन चलता रहता है एल्कीन इस समय विशेष उत्सव चल रहा है और परसादी पाने वालों की संख्या अनगिनत हो रही है इसलिए रात दिन भोजन बनाने का काम चल रहा है। भंडारे में चम्बल की प्रसिद्ध घुटमा आलू, बेसन की बूंदी और पूड़ियाँ खाने को दी जातीं है। चूंकि इतने लोगों को नियमित खाना बनाने के बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत होती है सो हजारों की संख्या में कार्यकर्ता लगे हैं और हलवाई भी काम कर रहे हैं लेकिन भोजन  बनाने में मशीनों का उपयोग भी किया जा रहा है। 



    50 बीघा में बनी भोजनशाला में 20 हजार लोग एक साथ बैठकर लेते हैं प्रसादी, 5000 सेवक करते हैं सेवा



    50 बीघा जमीन पर भक्तों को प्रसादी ग्रहण करने के भोजन शाला का निर्माण किया गया है, भोजन शाला में 5.5 हजार लोगों के बैठने की लिए 4 सेक्टरों का निर्माण किया गया है जिसमें 20 हजार लोग एक साथ बैठकर भोजन प्रसादी ग्रहण कर सकते हैं। भोजन प्रसादी बनाने के लिए 500 से अधिक खाना बनाने वाले हलवाईयों का बेड़ा लगा हुआ है, वही भक्तों को खाना खिलाने के लिए 5000 से अधिक सेवक सुबह 9 बजे से रात 11ः00 बजे तक खाना परोस रहे हैं। खाना बनाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, सब्जी और खीर निर्माण के लिए गंगा और जमुना नाम के दो बड़े-बड़े कड़ाहे उपयोग हो रहै हैं इन कड़ाहों में एक बार मे 10 क्विंटल से अधिक आलू की सब्जी बनाई जाती है वहीं दूसरे कढ़ाई में खीर का निर्माण हो रहा है। खीर के लिए एक टैंकर दूध प्रतिदिन भोजन शाला में पहुंच रहा है। वहीं बड़े-बड़े कढावे  से सब्जी निकालने के लिए जेसीबी मशीन का उपयोग किया जा रहा है जेसीबी मशीन के पंजे द्वारा सब्जी निकालकर ट्रालीयों मैं लोड की जा रही है तो वही पूडी बनाने के लिए भवन निर्माण में काम आने वाली सीमेंट कंक्रीट को मिक्स करने वाली मिक्सर मशीन को आटा गूंथने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है।



    कांक्रीट मिक्सर से बन रही है बूंदी 



    भंडारे में मिष्ठान के रूप में बूंदी का वितरण होता है।  इसके लिए भगौनों में बेसन को पानी में  घोलना पड़ता है, लेकिन यहां दो बोरी बेसन और शक़्कर का घोल बनाना पड़ रहा है इसलिए यहां के हलवाइयों ने नई जुगत निकाली है। यहां दर्जनों मिक्सर मंगवाए गए हैं। यह मिक्सर बिल्डिंग निर्माण के दौरान गिट्टी, रेत और सीमेंट को मिक्स करने के लिए उपयोग में लाया जाता है जो बिजली से चलता है, लेकिन यहां इन मिक्सरों से बेसन और पानी का घोल बनाकर बूंदी बनाई जा रही है इससे समय की बहुत बचत हो रही है इसके अलावा चाशनी के लिए शक़्कर का घोल भी इन्हीं मिक्सरों से बनाया जा रहा है। 



    बुलडोजर का उपयोग आलू की सब्जी बनाने में 



    इसके अलावा यहां अनेक जेसीबी मशीन भी दिन रात काम कर रही हैं। इन मशीनों का उपयोग भंडारे के लिए आलू की सब्जी तैयार करने के लिए किया जा रहा है। जेसीबी का जो पंजा गड्ढे खोदने और इमारतों को ढहाने के काम आता है वह यहां श्रद्धालुओं के लिए आलू की सब्जी में आलू मसलने और उनको कड़ाही में उलटने-पलटने का काम कर रहा है।

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