रायसेन के बरेली में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना का कार्य 7 साल में नहीं हुआ पूरा, 26 करोड़ खर्च होने के बाद भी पानी को तरस रहे लोग

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Rahul Garhwal
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रायसेन के बरेली में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना का कार्य 7 साल में नहीं हुआ पूरा, 26 करोड़ खर्च होने के बाद भी पानी को तरस रहे लोग

पवन सिलावट, RAISEN. मध्यप्रदेश में इस समय विकास यात्राएं निकाली जा रही हैं। यात्राओं के जरिए बताने की कोशिश हो रही है कि मध्यप्रदेश में जो भी विकास हुआ है वो बीजेपी सरकार की देन है, मगर इन यात्राओं पर उस समय सवाल उठ जाते हैं जब 7 साल बीतने के बाद भी लोगों के पीने के पानी जैसी मूलभूत समस्या का निदान नहीं होता।



रायसेन के बरेली में 7 साल बाद भी नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा



रायसेन के बरेली में एक योजना शुरू हुई थी जिसमें 18 महीने में लोगों को नर्मदा का पानी मिलना चाहिए था, लेकिन 7 साल बाद भी नर्मदा का पानी नहीं पहुंचा। अब दावा किया जा रहा है कि 1 मार्च से पानी मिलना शुरू हो जाएगा, लेकिन क्या वाकई 1 मार्च से लोगों तक पानी पहुंचाने की सारी व्यवस्थाएं हो चुकी हैं। हमारे संवाददाता पवन सिलावट ने मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना जमीनी हकीकत जानी।



वीडियो देखें.. 26 करोड़ पानी में, फिर भी नहीं मिला पीने का पानी!



7 साल पहले बिछाई गई पाइपलाइन की हालत कंडम



बरेली नगर परिषद् के अध्यक्ष हेमंत चौधरी का दावा है कि बरेली के लोगों को 1 मार्च से नर्मदा का पानी मिलने लगेगा, लेकिन बरेली में पानी सप्लाई के हाल बेहाल हैं। ठेकेदार ने 5-7 साल पहले जो पाइपलाइन बिछाई थी वो टूटफूट गई है। लोगों के घरों के पास बिछाई गई पाइपलाइन की हालत कंडम हो चुकी है।



2016 में शुरू हुई थी मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना



बरेली की जनता को 7 साल पहले नर्मदा जल का सपना दिखाया गया था। 2016 में मुख्यमंत्री जल आवर्धन योजना के तहत यहां 26 करोड़ की लागत से प्लांट और पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था। इस योजना को 18 महीने में पूरा करके बरेली के 15 वार्डों में नर्मदा का पानी पहुंचाना था, लेकिन पानी पहुंचा ही नहीं। बीजेपी के नेता खुद कहते हैं कि योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।



काम पूरा नहीं फिर भी ठेकेदार को 90 फीसदी भुगतान



इस योजना का ठेका इंडियम ह्यूम पाइप को दिया गया था और ठेकेदार को 90 फीसदी भुगतान कर दिया गया है। अब सवाल उठता है कि जब काम पूरा ही नहीं हुआ तो भुगतान कैसे हुआ। नगर परिषद ने सिर्फ बगलवाड़ा जल शोधन संयंत्र को चालू करवाया है, लेकिन इसी प्लांट से पानी शहर की 3 टंकियों में आना था मगर टंकी तो 2 ही बनाई गई हैं। अब 2 टंकियों से 70 हजार की आबादी को पानी की सप्लाई कैसे होगी ये सबसे बड़ा सवाल है।



जल आवर्धन योजना का कांट्रैक्ट लेने वाली कंपनी ह्यूम पाइप के मैनेजर बबलू झा से सूत्र ने बातचीत की और सवाल किए तो सुनिए क्या जवाब मिले



1. प्रोजेक्ट 18 महीने में पूरा होना था लेकिन 7 साल बाद भी अधूरा है क्यों ?



जवाब - हमने अपनी तरफ से प्रोजेक्ट का काम पूरा कर दिया है। बरेली में बनाई गई टंकियों से नर्मदा के पानी की सप्लाई शुरू हो गई है।



2. शहर में सड़कों पर जगह-जगह पाइप उखड़े पड़े हैं, घरों में कनेक्शन ही नहीं हुए तो फिर पानी सप्लाई का दावा कैसे ?



जवाब - कुछ वार्ड में समस्या हो सकती है, 20 फरवरी से सभी वार्डों में पानी की सप्लाई शुरू हो जाएगी।



3. आरोप है कि प्रोजेक्ट का काम पूरा होने से पहले ही आपकी कंपनी को 90 फीसदी भुगतान हो गया है ?



जवाब - इस बारे में आप बरेली के मुख्य नगर पालिका अधिकारी से पूछिए। मैं कुछ नहीं कहूंगा।



बरेली के मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने नहीं दिया कोई जवाब



इस मामले में द सूत्र ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की। उनसे पूछा कि आखिरकार ठेकेदार ने काम पूरा नहीं किया और पेमेंट कैसे हो गया तो सीएमओ ने मैसेज को देखा जरूर मगर कोई जवाब नहीं दिया। यानी योजना पूरी तरह से भ्रष्टचार की भेंट चढ़ चुकी है और 1 मार्च को बरेली के लोगों को पानी मिलने का जो दावा किया जा रहा है वो कैसे पूरा होगा ये बड़ा सवाल है।


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