देव श्रीमाली, GWALIOR. सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश के लगभग 10 हजार से अधिक डाक्टर तीन मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। इसमें उनका साथ नर्सिंग स्टाफ भी देगा। ऐसे में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बिगड़ना तय है। लेकिन ग्वालियर में डॉक्टर्स ने हर पेशेंट कर पर्चे पर प्रिस्क्रिप्सन से ऊपर यह लिखना शुरू कर दिया है कि हड़ताल पर जाने की वजह क्या है ? वे लिख रहे है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री अपने द्वारा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को दिए गए अपने वादे को पूरा करें।
इन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है डॉक्टर
प्रशासनिक दखलअंदाजी पर अंकुश, पुरानी पेंशन बहाली, सातवां वेतन आयोग जैसे अन्य मुद्दों पर मुखर डॉक्टरों की मांगे पूरी नहीं होने पर वे लंबे समय से आंदोलन कर रहे है। पहले उन्होंने आश्वासन के बाद अपनी हड़ताल वापिस ले ली थी, लेकिन आश्वासन पूरे न होने पर एक बार फिर से प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के लगभग 10 हजार डॉक्टर 3 मई से हड़ताल पर जाने की तैयारी कर चुके हैं।
यह खबर भी पढ़ें
दिग्विजय सिंह की मुश्किल बढ़ी, ग्वालियर में कोर्ट ने उनकी सीडी की जांच के आवेदन को किया खारिज
ओपीडी में मरीजों के पर्चे पर लिख रहे है हड़ताल की वजह
लेकिन उससे पहले सरकार को अपना दर्द बताते हुए आज 18 अप्रैल से 2 मई तक हर दिन स्मरण दिवस डॉक्टर मनाएंगे और अस्पतालों की ओपीडी और निजी प्रैक्टिस के दौरान आने वाले मरीजों को पर्चे पर दवा के साथ साथ अपना दर्द भी बयां करेंगे और इसकी शुरुआत ग्वालियर के जीआरएमसी के डॉक्टरों ने कर दी है। डॉक्टरों ने दवा के पर्चे पर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को अपना वादा याद दिलाते हुए लिखा है। वादा पूरा करे सरकार नहीं तो होगी हड़ताल।
यह है सरकार पर आरोप
बता दें कि सीएम द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति के प्रतिवेदन के आदेश निकालने में शासन के अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। इसी वजह से महासंघ ने फिर से आंदोलन करने का निर्णय लिया है। अग्रवाल ने बताया कि 17 फरवरी 2023 मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के आश्वासन पर डॉक्टरों ने आंदोलन स्थगित कर दिया गया था और उसी दिन गठित उच्च स्तरीय समिति को एक महीने में अपना प्रतिवेदन मुख्यमंत्री को देना था। तत्पश्चात उच्च स्तरीय समिति के प्रतिवेदन पर त्वरित शासन के आदेश निकालने की बात पर डॉक्टरों ने आंदोलन स्थगित किया था। लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई आदेश नहीं निकले गए हैं इसलिए महासंघ को सरकार को अपना वादा याद दिलाने के लिए आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है और इसके कारणों को हम मरीजों को भी अवगत करा रहे हैं।