इंदौर में यशवंत क्लब सहित 20 पर निगम का 52 करोड़ का टैक्स बकाया, एमपीसीए प्रेंसीडेंट ने ली चुटकी

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इंदौर में यशवंत क्लब सहित 20 पर निगम का 52 करोड़ का टैक्स बकाया, एमपीसीए प्रेंसीडेंट ने ली चुटकी

संजय गुप्ता, INDORE. देश का पहला ग्रीन बांड लाने जा रहे नगर निगम की माली हालत खराब है। मप्र शासन पर 450 करोड़ की राशि लंबे समय से बकाया है, जो आ नहीं रही है। शहर के बड़े 20 बकायादारों पर 52.75 करोड़ से ज्यादा का प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। इसी टैक्स को ही लिंक कर निगम बांड ला रहा है और गारंटी के तौर पर यही प्रॉपर्टी टैक्स है। बड़े बकायादारों में पिंटू छाबड़ा के ट्रेजर माल पर ही 12 करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है। इसके अलावा यशवंत क्लब पर एक करोड़ 28 लाख का टैक्स बाकी है।



अभिलाष खांडेकर ने क्या कहा ?



बकायादारों की सूची आने के बाद एमपीसीए के प्रेसीडेंट अभिलाष खांडेकर ने द सूत्र से चर्चा करते हुए चुटकी ली। उन्होंने कहा कि अब क्या नगर निगम की टीम इन सभी के यहां जाकर टैक्स की वसूली करेगी। उन्होंने कहा कि इससे फिर मेरे आरोप साबित होते है कि निगम के अधिकारी वनडे मैच से एक दिन पहले केवल हमारे पास टिकट, पास का दबाव बनाने के लिए आए थे, क्योंकि टैक्स तो हमें मैच के बाद भरना था। अब यह बकायादार तो किसी मैच के टिकट नहीं देते हैं, इसलिए इन पर टीम जाकर दबाव बनाकर टैक्स नहीं लें रही है।



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बकायादारों की लिस्ट



द नेशनल टेक्सटाइल- 13.60 करोड़ रुपए, टीआई माल- 12 करोड़, रतन सिंह पिता भागीरथ चौहान वाईल्ड फ्लावर कॉलोनी- 6.11 करोड़, देवी अहिल्या न्यू क्लाथ मार्केट- 3.95 करोड़, आरकेडीएफ कॉलेज- 2.73 करोड़, अग्रवाल पब्लिक स्कूल- 2.56 करोड़, संतोष डेवकान (केशव नाचानी)-2.48 करोड़, खालसा हायर सेकेंडरी स्कूल- 1.69 करोड़, इंडस ग्लोबल एजुकेशन सोसायटी जीआर शिवहरे- 1.38 करोड़, यशवंत क्लब- 1.28 करोड़, रमेश बदलानी- 85 लाख, ब्रिलियंट कन्वेंशन मेसर्स चौधरी बिल्डर्स- 82 लाख, जीएसआईटीएस- 71 लाख, त्रिलोकचंद फादर हंसराज यादव- 66 लाख, रमेश मंगल- 48 लाख, अग्रवाल चेरिटेबल- 37 लाख, जागरण सोसायटी डीपीएस- 36 लाख, महाराजा रणजीत सिंह कॉलेज- 28.80 लाख, फैनी कोऑपरेटिव – 24 लाख, कैलाश विरांग- 12.65 लाख।



निगम की हालत क्यों हो रही है खराब



निगम को राज्य शासन से चुंगी क्षतिपूर्ति, स्टाम्प ड्यूटी आदि मद से 450 करोड़ की राशि लेना बाकी है। इसके लिए लगातार निगम द्वारा पत्र लिखे जा रहे हैं। सरकार निगम को हर माह इसके लिए राशि जारी करती है, जो 40 करोड़ से ज्यादा होती है, लेकिन इस बार तो निगम की राशि में से 35 करोड़ काटकर बिजली कंपनी को दे दिए गए, क्योंकि निगम उन्हें यह राशि नहीं दे रहा था। तब बिजली कंपनी ने सीधे भोपाल में एप्रोच कर वहां से यह राशि अपने खाते में शिफ्ट करा ली। निगम पर बिजली बिल का 80 करोड़ से ज्यादा बकाया है। निगम को हर माह वेतन में ही 29 करोड़ से ज्यादा देना होता है। वहीं निगम की हर माह की औसत आय 60 करोड़ रुपए है। 



एमपीसीए और निगम का क्या था विवाद?



चार अक्टूबर को टीम इंडिया और श्रीलंका के बीच होने वाले वनडे मैच के एक दिन पहले तीन अक्टूबर को निगम की उपायुक्त लता अग्रवाल और उनकी टीम छापामार स्टाइल में एमपीसीए के दफ्तर पहुंच गई थी और बकाया टैक्स की मांग की थी। पहले रोड सेफ्टी सीरीज के मैच का टैक्स मांगा, जिस पर एमपीसीए प्रेसीडेंट खाडेंकर ने बताया कि वह आयोजन एमपीसीए का नहीं था। फिर मैच का मनोरंजन कर मांगा, जिस पर बताया गया कि यह टैक्स भरने के लिए 31 दिसंबर तक का समय है। इसी विवाद के बीच एमपीसीए ने टैक्स की राशि का एक चेक भी निगम को दिया। लेकिन विवाद इतना बढ़ा कि एमपीसीए ने इसे लेकर मुख्य सचिव तक को पत्र लिखकर निगम की कार्यशैली की शिकायत की थी।


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