योगेश राठौर, INDORE. भूमाफिया दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया, करोड़ों के फर्जीवाड़े में एक-दो नहीं पूरी छह एफआईआर दर्ज, रासुका भी लगी और अब सातवीं एफआईआर गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा के नाम का फर्जी पत्र देकर गिफ्तारी से बचने की कोशिश की। इन एफआईआर में एक-दो नहीं, आईपीसी की पूरी नौ अलग-अलग धाराएं लगी हुई है। इन सभी मामलों में अग्रिम जमानत ले ली या फिर गिरफ्तारी से रोक लगवा ली, लेकिन इन मामलों में कोर्ट ने शर्त दी थी कि जांच में पूरा सहयोग करेगा और जांच अधिकारी जब भी थाने बुलाएगा तो वह जाएगा।
दीपक मद्दा को गिरफ्तार करना तो दूर, पुलिस उसे जांच के लिए थाने भी ना बुला सकी
लेकिन दीपक मद्दा को गिरफ्तार करना तो दूर, पुलिस उसे जांच के लिए ना थाने बुला सकी और ना ही ढंग से पूछताछ कर सकी। करोड़ों की धोखाधड़ी में वह मात्र एक लाख के बाउंड पर बाहर है। अब एक फरवरी में इन केसों की संभावित सुनवाई है। वहीं गृह विभाग के फर्जी पत्र में दर्ज एफआईआर में खजराना पुलिस को जवाब देना है। विधिक जानकारों के अनुसार पुलिस यदि यही बता सके कि गृह विभाग में दर्ज एफआईआर पूर्व में दर्ज 6 एफआईआर से अलग है और यह शासन के नाम पर धोखाधड़ी की है और जमानत की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है तो पुलिस के सामने गिरफ्तारी का रास्ता खुल सकता है।
पहले देखते हैं किन धाराओं में कितने केस हैं मद्दा पर
जमीन धोखाधड़ी को लेकर-
- खजराना थाने में- क्राइम नंबर 159, 160, 161 और 162 के तहत चार केस दर्ज है, जो साल 17-18 फरवरी 2021 में हुए। यह केस पुष्पविहार कॉलोनी (मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था) की जमीन की धोखाधड़ी से जुडे हुए है।
गृहविभाग के माध्यम से दर्ज हुआ केस-
खजराना थाने में- क्राइम नंबर 1214 दर्ज है जो आठ दिसंबर 2022 को हुआ, जिसमें गृह विभाग के फर्जी पत्र और इसमें कूटरचित हस्ताक्षर कर रासुका से गिरफ्तारी से बचने का षडयंत्र था, यह रासुका जमीन धोखाधड़ी को लेकर जिला प्रशासन ने फरवरी 2021 में लगाई थी। इसमें पुलिस ने उस पर 420, 467, 468 औऱ् 471 की धारा लगाई है।
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अब देखते हैं कि पुलिस ने क्या किया
17-18 फरवरी को दीपक मद्दा के साथ ओमप्रकाश वाधवानी, नसीम हैदर, केशव नाचानी, दीपेश वोरा (जैन) और कमलेश जैन पर केस दर्ज हुए। पुलिस ने नाचानी को 17 मार्च, नसीम को 19 मार्च, धनवानी को 23 जून, वोरा को 21 जून और कमलैश जैन को नौ अगस्त को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मद्दा पर दस हजार का ईमाम घोषित होने के बाद भी पुलिस उसे छू नहीं पाई और वह फरारी में लगातार कोर्ट में जमानत याचिकाएं लगाता रहा।
कोर्ट में अब तक यह हुआ
लोअर कोर्ट के बाद हाईकोर्ट पहुंची जमानत याचिकाएं 21 अक्टूबर 2021 को क्राइम नंबर 159 व 161 में खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने इस तर्क को माना का इन भूमाफियाओं के कारण इंदौर में मशरूम की तरह अवैध कॉलोनियां कट रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में कुछ क्राइम केस में 16 अप्रैल 2022 में एसएलपी मंजूर हुई और मद्दा को अग्रिम जमानत मिलते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगी। वहीं 11 मई 2022 को हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में एक लाख के बांड पर उसे गिरफ्तारी से छूट मिली, इस शर्त पर कि वह जांच में सहयोग करेगा और पूछताछ के लिए जांच अधिकारी के बुलाने पर उपस्थित होगा। लेकिन इसके बाद मद्दा ने खजराना थाने में रासुका से बचने के लिए एसीएस का फर्जी पत्र थमा दिया, जिसमें दिसंबर 2022 को नया केस दर्ज हो गया। इसमें पुलिस गिरफ्तार करती, इसके पहले वह फिर कोर्ट की शरण में पहुंच गया। फिलहाल उसकी गिरफ्तारी पर रोक है और अब पुलिस से जवाब मांगा गया है।