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BARWANI. 33 वर्षीय मंजू राठौर ने सरपंची पद छोड़ दिया। इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि शिक्षक बनने का सपना पूरा करना है। अंजड़ के ग्राम बिल्वारोड की महिला सरपंच ने पद छोड़ दिया। दरअसल उनका चयन शासकीय टीचर की वर्ग तीन की परीक्षा में हो गया है। मंजू ने बताया कि यह त्याग मैंने बच्चों के भविष्य के लिए किया है। मेरा सपना शुरू से ही टीचर बनने का था।
कुर्सी सपनों से बड़ी नहीं होती: मंजू
मंजू ने बताया कि 8 माह पहले हुए चुनाव में मैंने परिवार के कहने पर चुनाव लड़ा, जिसमें मुझे जीत भी हासिल हुई। लेकिन अब मेरा सिलेक्शन टीचर के लिए हो गया है, इसलिए अपने सपने को जीने के लिए मैंने सरपंच की कुर्सी छोड़ दी है। कुर्सी सपनों से बड़ी नहीं होती।
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अप्रैल 2018 में हुई थी शादी
मंजू की शादी अप्रैल 2018 को को हुई थी। परिवार में सास-ससुर और पति हैं। उन्होंने शादी के बाद एमए, बीएड किया है। वे MSW (मास्टर ऑफ सोशल वर्क) की पढ़ाई भी कर चुकी हैं।
13 जुलाई 2022 को बनी थी सरपंच
ग्राम बिल्वारोड में रहने वाली मंजू राठौर पति कान्हा राठौर 13 जुलाई 2022 को सरपंच पद पर नियुक्त हुई थी। बिल्वारोड ग्राम पंचायत में 1100 मतदाता हैं।1 जुलाई को हुए चुनाव में करीब 1000 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। 15 जुलाई को परिणाम आए, जिसमें मंजू की 256 मतों से जीत हुई थी। इस बीच मंजू का चयन 25 किमी दूर ग्राम दानोद के प्रायमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में हो गया। मंजू ने बताया कि अभी वर्ग 3 में चयन हुआ है, जबकि मैंने वर्ग 2 के लिए भी अप्लाई किया है।
पति ने भी पत्नी के फैसले पर जताई सहमति
मंजू के शिक्षक बनने से फैसले पर उनके पति कान्हा राठौर ने भी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी का सपना हमेशा से शिक्षिका बनने का रहा है। वह आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को अच्छे संस्कार और शिक्षा देकर उनका भविष्य बनाना चाहती है। जो भी आगामी समय में गांव का सरपंच बने वो निस्वार्थ भाव से काम करे और गांव को उन्नति पर ले जाए। जब संविदा वर्ग तीन में उनका चयन हुआ तो उन्होंने सोचा कि सरपंच बनकर वह सिर्फ एक गांव का विकास कर सकती है, लेकिन टीचर बनने के बाद कई बच्चों का भविष्य बना सकती है। उन्हें अच्छा इंसान बना सकती है, जिससे वो एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें।