BHOPAL. वन विभाग और ब्रिटेन कंपनी ओ फारेस्ट के बीच शनिवार को एमओयू में दस्तखत कर महुआ खरीदी-बिक्री पर करार किया गया है। जिसके बाद मध्यप्रदेश के उमरिया का महुआ अब सात समंदर पार भी जिले का नाम रोशन करेगा। वन मंडला अधिकारी और जिला लघु वन उपज संघ के प्रबंध संचालक मोहित सूद ने बताया कि शासन की तय की गई एक जिला-एक उत्पाद नीति के तहत उमरिया के महुआ फूल को चयनित किया गया है। इसे संग्रहित कर ब्रिटेन कंपनी ओ फारेस्ट को विक्रय किया जाएगा। इसका सीधा लाभ जिले के सैकड़ों संग्राहकों को होगा।
विक्रय राशि संग्राहकों के सीधे खाते में जाएगी
ऑर्गेनिक सर्टिफाइड महुआ संग्राहकों से 110 प्रति किलो की दर से क्रय किया जाएगा। विक्रय राशि संग्राहकों के सीधे खाते में जाएगी। जिससे संग्राहकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। वहीं वन क्षेत्रों में आगजनी जैसी दूसरी घटनाओं पर भी अंकुश लग सकेगा। डीएफओ मोहित सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि विभागीय स्तर पर संग्राहकों से 100 टन ऑर्गेनिक महुआ की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।
महुआ संग्रहण के लिए संग्राहकों को ग्रीन नेट दी जाएगी
ऑर्गेनिक महुआ संग्रहण के लिए संग्राहकों को ग्रीन नेट दी जाएगी, जो पेड़ के नीचे बांध दिया जाएगा, ताकि महुआ नीचे धूल और मिट्टी से बचा रहे। फिर इसे सूखा कर संग्रहण केंद्रों पर लाया जाएगा। जहां विधिवत जांच होगी। बताया गया कि जांच टीम के अप्रूवल के बाद महुए की खरीद और भुगतान की कार्रवाई की जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया ओ फारेस्ट की सहयोगी कंपनी मधु वन्या और वन विभाग की संयुक्त देखरेख में होगी। ब्रिटेन कंपनी के करार के बाद संग्राहकों को तीन गुने से अधिक का लाभ होने जा रहा है। पूर्व में वन विभाग 35 रुपए प्रति किलो की दर से संग्राहकों से महुआ खरीदी करता रहा है।
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अधिकारियों ने क्वालिटी और रखरखाव को लेकर दिया प्रशिक्षण
प्रदेश के उमरिया जिले में एक जिला एक उत्पाद (One District One Product) में महुआ फूल (Mahua Flowers) को चुना गया था। जिसके बाद लगातार महुआ से बने खाने के सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। आदिवासी जिला होने के कारण चारों ओर जंगलों से घिरे होने के साथ जिले भर में महुआ के पेड़ बहुतायत संख्या में हैं और आदिवासी और ग्रामीण जन गर्मियों के सीजन में महुआ के फूल को बीन कर उसे सुखाते हुए बाजार में बेच कर आमदनी प्राप्त करते हैं। उमरिया वन मंडल ने पहल की और महुआ के पेड़ों को चिन्हित कर महुआ बीनने का प्रशिक्षण दिया, जिससे कि महुआ की क्वालिटी ना खराब हो और महुआ को विदेश भेज जा सके। क्षेत्र में महुआ 30 से 35 रुपए किलो बिकता है और लंदन में महुआ 110 रुपए किलो की दर से बेचा जाएगा। इसके लिए अभी हाल में 5 गांव चिन्हित किए गए हैं।
1500 पेड़, 500 संग्राहक और 100 टन का लक्ष्य
बता दें कि ओ फारेस्ट और वन मंडल के बीच महुआ खरीद के करार के पूर्व शुक्रवार को कलेक्टर डॉ. केडी त्रिपाठी ने ग्राम मगरघरा में बैठक ली थी। जिसमें भारी तादात में संग्राहक सहित वन अधिकारी और ओ फारेस्ट प्रतिनिधि मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि जिले के करकेली, मगरघरा और ग्राम अचला से सटे वन क्षेत्र में 1500 के करीब महुआ पेड़ मौजूद हैं। विभागीय स्तर पर लक्ष्य के अनुरूप इन्हीं वन क्षेत्रों को महुआ संग्रहण के लिए चिन्हित किया गया है। इस क्षेत्र में लगभग 500 संग्राहक है, जिन्हें इस करार के बाद सीधा लाभ मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके लिए 100 टन का शुरुआती लक्ष्य रखा गया है।