BHOPAL. मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से बड़ी खुशखबरी मिली है। यहां बाघिन धवाझंडी (DJ) ने पांच शावकों को जन्म दिया है। बाधिन और उसके बच्चों को देखने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंच भी रहे हैं। साथ ही उनकी चहलकदमी को कैमरे में करते दिख रहे हैं। बाधिन और उसके शावकों की कुछ तस्वीरें और वीडियो भी सामने आया है।
देश-विदेशी सैलानी बाघिन व उसके शावकों की झलक देखने को बेताब
इन दिनों मध्य प्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व बाघ शावकों की चहलकदमी से सुर्खियां बटोर रहा है। देश और विदेशी से आने वाले सैलानियों को बाघ के साथ-साथ बाघिन व उसके शावकों की झलक देखने को मिल रही है। पर्यटक इन पलों को कैमरे में कैद करते दिख रहे हैं।
पार्क प्रबंधन इसे टी-27 के रूप में जानता है
ऐसा कहा जा रहा है कि कान्हा रिजर्व के इतिहास में पहली बार किसी बाघिन को 5 शावकों के साथ स्पॉट किया गया है. इसे आधिकारिक रूप से पार्क प्रबंधन टी-27 के रूप में जानता है, लेकिन इस बाघिन को धवाझंडी फीमेल या DJ कहकर भी पुकारा जाता है।
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पहली बार दिखे DJ के साथ शावक
कान्हा टाइगर रिजर्व, मंडला की डिप्टी डायरेक्टर ऋषिभा सिंह नेताम ने बताया कि जो वीडियो सामने आया है वो दो दिन पुराना है। इसमें दिख रही टाईग्रेस धवाझंडी ने पांच बच्चों को जन्म दिया है। टाईग्रेस को हम लोग प्यार से DJ भी पुकारते हैं। उसके बच्चों की उम्र 2 से 3 महीने है। ये बच्चे हमें पहली बार दिसंबर दिखे थे। उस समय डीजे ज्यादा बाहर नहीं निकलती थी।
पहली बार है कि डीजे ने पांच बच्चों को जन्म दिया है
ऋषिभा सिंह नेताम ने बताया कि पिछले दो-तीन दिनों से पर्यटकों को डीजे और उसके बच्चों को देखने का मौका मिल पा रहा है। कोई भी टाईग्रेस ऑन एन एवरेज तीन से चार बच्चों को जन्म देती है, लेकिन यह पहली बार है कि डीजे ने पांच बच्चों को जन्म दिया है। पांचों बच्चों का सर्वाइव करना हमारे लिए बड़ी अचीवमेंट होगी। उन्होंने आगे बताया कि इस सीजन पेट्रोलिंग करने वाले हमारे स्टाफ के अनुसार कोर और बफर मिलाकर करीब 25 बाघ शावक हैं। इनकी उम्र करीब 1 माह से 8 माह तक की है।
2018 की बाघ गणना के अनुसार मध्य प्रदेश में आंकड़ा 700 पार जा सकता है
मध्य प्रदेश में बाघों की गणना का पहला चरण पूरा हो गया है। इसमें मिले बाघ उपस्थिति के प्रमाण के आधार पर वन अधिकारी मान रहे हैं कि आंकड़ा 700 पार जा सकता है। प्रदेश के जंगलों में बाघ धारण की मौजूदा क्षमता भी लगभग इतनी ही है। अब प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना के चलते विभिन्न टाइगर रिजर्व के बीच कारिडोर बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। प्रदेश में अब यदि कारिडोर विकसित नहीं किए गए तो आने वाले समय में बाघों के बीच संघर्ष बढ़ेगा, वे जंगल से बाहर निकलेंगे और उनकी मौत का ग्राफ भी बढ़ सकता है। कारिडोर विकसित करने के लिए रास्ते के खेतों व मैदानों में जंगल उगाना होंगे।
इतने बाघों की गई जान
वर्तमान में मध्य प्रदेश में एक भी ऐसा कारिडोर नहीं है, जो बगैर मानवीय दखल के एक से दूसरे संरक्षित क्षेत्र को जोड़ता हो। इसी कारण प्रदेश बाघों की मौत के मामले में भी अव्वल रहा। वर्ष 2021 में प्रदेश में 46 बाघों की मौत हुई थी। वर्ष 2018 के बाघ आकलन में मध्य प्रदेश में 526 बाघ मिले थे। बाघों की संख्या बढ़ना प्रदेश के गौरव और पर्यटन के लिहाज से तो ठीक है, पर बाघों के अच्छे रहवास के लिहाज से इसे बेहतर नहीं कहा जा सकता। प्रदेश की बाघ धारण क्षमता में पिछले वर्षों में वृद्धि नहीं हुई है।