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विजय नीमा, BADNAGAR. उज्जैन के बड़नगर में बीजेपी की विकास यात्रा में कवि प्रदीप का अपमान किया गया। बड़नगर में बीजेपी की विकास यात्रा निकाली जा रही थी और सबसे आगे एक कचरा वाहन था। कचरा वाहन पर आगे विकास यात्रा का बैनर और पीछे कवि प्रदीप की जयंती का पोस्टर लगाया गया था। 6 फरवरी को कवि प्रदीप की जयंती है, पोस्टर में उन्हें नमन किया गया है। कचरा गाड़ी पर पोस्टर देखकर जनता ये कहने पर मजबूर हो गई कि ये बीजेपी की विकास यात्रा थी या अपमान यात्रा।
बीजेपी ने विकास यात्रा में किया देश के गौरव का अपमान
बीजेपी की विकास यात्रा के लिए बकायदा वाहनों को सजाया गया और उन्हें नगर में भी घुमाया गया। वाहनों के पीछे जनप्रतिनिधि नेता, अधिकारी और कार्यकर्ता पैदल चले। नेता और अधिकारी विकास यात्रा को सफल बनाने की जद्दोजहद में देश के गौरव का अपमान कर बैठे। अपने विकास का बखान करने के चक्कर में किसी ने ये नहीं देखा कि कवि प्रदीप की जयंती का पोस्टर कचरा गाड़ी पर लगा हुआ है।
पोस्टर लगाने के लिए बीजेपी को कचरा गाड़ी ही मिली
बीजेपी के आयोजनों में कई वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। सरकारी वाहन कम पड़ने पर निजी वाहनों को भी किराए पर ले लिया जाता है, लेकिन बीजेपी को बड़नगर में विकास यात्रा निकालने के लिए वाहनों की कमी पड़ गई। क्या बीजेपी को पोस्टर लगाने के लिए कचरा गाड़ी ही मिली। ऐसे कई सवाल जनता के मन में उमड़ रहे हैं।
आगे पीएम मोदी और सीएम शिवराज, पीछे कवि प्रदीप का पोस्टर
बड़नगर में बीजेपी की विकास यात्रा में सबसे आगे जो गाड़ी चल रही थी उस पर घर-घर कचरा संग्रहण वाहन लिखा हुआ था। आगे विकास यात्रा का पोस्टर था जिस पर पीएम मोदी और सीएम शिवराज की तस्वीर लगी हुई थी। वहीं पीछे कवि प्रदीप की जयंती का पोस्टर लगा हुआ था।
कवि प्रदीप का लिखा गीत सुनकर रो पड़े थे पंडित नेहरू
कवि प्रदीप भारतीय कवि और गीतकार थे। उन्होंने देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों लिखा था। 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कवि प्रदीप ने ये गीत लिखा था। 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जब लता मंगेशकर ने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाया था, तब तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे। कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की थी।
'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है'
कवि प्रदीप ने 1943 की हिट फिल्म किस्मत में दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है गीत लिखा था। इस गीत ने कवि प्रदीप को देशभक्ति गीत के रचनाकारों में शुमार कर दिया। इस गीत के अर्थ से नाराज होकर तात्कालीन ब्रिटिश सरकार ने कवि प्रदीप की गिरफ्तारी का आदेश दिया था। इसके बाद कवि प्रदीप को अंडरग्राउंड होना पड़ा था।
रामचंद्र द्विवेदी कैसे बने प्रदीप ?
कवि प्रदीप का नाम रामचंद्र द्विवेदी था। उन्होंने मुंबई आकर अपना नाम बदल लिया था। कवि प्रदीप एक कवि सम्मेलन के लिए मुंबई आए थे तब उनका परिचय बॉम्बे टॉकीज में जॉब करने वाले एक व्यक्ति से हुआ। वो व्यक्ति रामचंद्र द्विवेदी की कविता से प्रभावित हुआ। उसने हिमांशु राय से कवि प्रदीप की मुलाकात कराई। हिमांशु राय भी कवि प्रदीप की कविता से प्रभावित हुए और 200 रुपए प्रतिमाह की नौकरी दे दी। हिमांशु राय का ही सुझाव था कि रामचंद्र द्विवेदी बड़ा लंबा नाम है, तभी से रामचंद्र द्विवेदी ने अपना नाम प्रदीप रखा लिया।
प्रदीप से कवि प्रदीप बनने की कहानी
उन दिनों मुंबई में अभिनेता प्रदीप कुमार काफी प्रसिद्ध थे। एक शहर में एक कवि और एक अभिनेता। एक शहर में 2 प्रदीप होने से डाकिया चिट्ठी देने में गड़बड़ कर देता था। अभिनेता प्रदीप की चिट्ठी कवि प्रदीप के पास पहुंच जाती थी और कवि प्रदीप की चिट्ठी अभिनेता प्रदीप के पास पहुंच जाती थी। इस दुविधा से बचने के लिए प्रदीप अपने नाम के आगे कवि लिखने लगे और कवि प्रदीप के नाम से मशहूर हो गए।
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जिम्मेदारों ने क्या कहा ?
कचरा गाड़ी पर कवि प्रदीप के पोस्टर को लेकर बीजेपी जिलाध्यक्ष बहादुर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे विकास यात्रा में हैं और उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। वहीं बड़नगर के नगर पालिका अध्यक्ष अभय टोंगिया का कहना था कि वो कचरा गाड़ी जरूर है लेकिन उसमें कचरा संग्रहण नहीं किया जाता है। वो गाड़ी सामान लाने के काम आती है, लेकिन फिर भी हमने कचरा गाड़ी से फोटो और बैनर हटा दिया है।