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देव श्रीमाली, GWALIOR. जिस जमीन के एक हिस्से पर बीजेपी ने लंबी लड़ाई लड़ने के बाद अपनी पार्टी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोपवे को बनाने का बड़ी धूमधाम से निर्माण कार्य शुरू कराया था। सीएम शिवराज सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर तक सब शिलान्यास करने आए थे और तब भाषणों में तंज भी कसा था कि कुछ लोग ग्वालियर के विकास कार्य मे सालों से बाधा बने रहे लेकिन अब ये बाधा दूर हो गई है, लेकिन अब प्रदेश में और देश में दोनों जगह बीजेपी की सरकार है लेकिन रोपवे का काम तो अटक ही गया अब किले पर स्थित वह करोड़ों की कीमत वाली जमीन को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की देखरेख वाले सिंधिया स्कूल को ही देने की तैयारी है।
डॉ. गोविंद सिंह ने किया विरोध
बीजेपी में इसको लेकर कसमसाहट है लेकिन बोल नहीं पा रहे जबकि कांग्रेस मजे ले रही है। नेता प्रतिपक्ष ने तंज कसा कि मैं सिंधिया को बधाई देता हूं कि ग्वालियर को हड़पने का उनका सपना पूरा हो रहा है। हालांकि डॉ. गोविंद सिंह ने इसका विरोध किया।
सिंधिया स्कूल ने मांगी 16 बीघा से ज्यादा जमीन
सिंधिया परिवार की सरपरस्ती में चलने वाले सिंधिया बॉयज स्कूल फोर्ट को संचालित करने वाली संस्था द सिंधिया एजुकेशन सोसाइटी ग्वालियर ने राजस्व विभाग से किले पर स्थित 16.53 बीघा राजस्व भूमि अर्थात लगभग 3 लाख 72 हजार 108 वर्गफीट जगह का और आवंटन मांगा है। करोड़ों रुपए मूल्य की ये बेशकीमती भूमि ग्वालियर फोर्ट पर स्थित है। सोसाइटी ने ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के यहां आवेदन लगाया है जिसके अनुसार आहुखाना कलां मौजे के सर्वे क्रमांक 772/2 2.100 हेक्टेयर और आहुखाना खुर्द मौजे के सर्वे नम्बर 99 में 1.357 हेक्टेयर सोसाइटी ने अपने लिए डिमांड की है। नजूल अधिकारी ने ये आवेदन आगे बढ़ा दिया है और 31 जनवरी तक दावे आपत्ति मांगे हैं। इसी तरह सर्वे नम्बर 777/2 में सोसाइटी ने किले पर स्थित 17.577 हेक्टेयर में से 2.100 हैक्टेयर जमीन का आवंटन देने की मांग की है।
पहले से ही सिंधिया स्कूल के पास 295 बीघा से ज्यादा जमीन
राजस्व दस्तावेज बताते हैं कि इस सोसाइटी के पास पहले से ही राजस्व की 295 बीघा (59.015 हेक्टेयर) से भी ज्यादा जमीन पहले से ही काबिज है। ये जमीन सर्वे क्रमांक 9/2 ,345/2,346/2, 350/4क और ख, 345/3,346/2,350/2, 777/1 और 2 की कुल 59.015 हेक्टेयर जमीन है।
कमलनाथ सरकार ने किया था आवंटन
इस जमीन का आवंटन कमलनाथ सरकार ने 2019 किया था वो भी महज 100 रुपए भाटक यानी डायवर्सन शुल्क सालाना देने की शर्त पर किया गया था। तब बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया था पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व मंत्री ने तो भूमाफिया ही बता दिया था, लेकिन अब उन्ही की पार्टी बाकी की भूमि लीज पर देने जा रही है।
बीजेपी में निराशा क्यों ?
इस मामले पर बीजेपी भले ही खुलकर नहीं बोल पा रही लेकिन उसमे अंदर ही अंदर ज्वालामुखी का लावा खदबदा रहा है। इसकी वजह है पार्टी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोपवे का न बन पाना। दरअसल सिंधिया संस्थान ने जो जमीन लीज पर मांगी है बीजेपी के ड्रीम प्रोजेक्ट रोपवे के एक स्टैंड के लिए आरक्षित और आवंटित भूमि भी शामिल है। सर्वे क्रमांक 777/ 2-3 की 4 हजार हेक्टेयर भूमि इसके लिए आरक्षित थी, लेकिन अब यहां से स्टैंड का प्रपोजल ही हटा दिया गया। इससे बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक निराश और हताश है।
इस जमीन पर रोपवे बनाने के सपना देख रहे थे बीजेपी नेता
जनसंघ और फिर बीजेपी के नेता रोपवे बनाने का सपना देख रहे हैं। योजना के मुताबिक इसका एक स्टैंड फूलबाग पर तो दूसरा ऐतिहासिक किले पर बनना प्रस्तावित था। वो सिरा सिंधिया स्कूल के प्राचार्य के बंगले के पीछे खुलना था जो सिंधिया परिवार को नापसंद था। बीजेपी नेता बीते 50 साल से सिंधिया परिवार यानी पहले माधव राव और फिर उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया पर इसके मार्ग में बाधा डालने का आरोप लगाते रहे। किला पर एएसआई की इजाजत मिलना जरूरी है और केंद्र की कांग्रेस सरकार में सिंधिया परिवार के ताकतवर होने से वह हासिल नहीं हो पाती थी लेकिन एक वक्त ऐसा आया कि नगर निगम, प्रदेश और देश में तीनों जगह बीजेपी की ही सरकार बनी तो तत्कालीन मेयर विवेक नारायण शेजवलकर ने काफी प्रयास कर शिवराज और तोमर की मदद लेकर रोपवे की सारी अधिस्वीकृतियां करवा लीं और इसके शिलान्यास का बड़ा ही भव्य कार्यक्रम हुआ। इसे बीजेपी के नेता से लेकर कार्यकर्ताओं ने एक तरह से सिंधिया के ऊपर विजय के रूप में प्रचारित किया और समारोह में सभी ने अपना भाषण इसी पर केंद्रित किया।
सिंधिया के बीजेपी में आते ही बदल गई योजना
2020 में कमलनाथ की सरकार गिरते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही रोपवे परियोजना का पहिया उल्टा घूमने लगा। हालांकि इस पर निर्माण कार्य शुरू भी हो गया था लेकिन रातों-रात इसकी सारी एनओसी रद्द कर दी गईं और कहा गया कि लोअर और अपर दोनों टर्मिनल के लिए पहले दूसरी जगह ढूंढेंगे तब फिर काम शुरू होगा। इस फैसले के बाद से ही बीजेपी के नेता और कार्यकर्ताओं के बीच शीत युद्ध शुरू हुआ जो अब इस जमीन को लीज पर मांगने के साथ और गहरा गया है।
कोई खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं
इस मामले को लेकर बीजेपी में हालांकि अंदरखाने जबरदस्त रिएक्शन है लेकिन खुलकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सांसद विवेक नारायण शेजवलकर कहते हैं कि सिंधिया एजुकेशन ट्रस्ट के पास तो पहले से ही काफी जमीन है और फिर रोपवे में तो बहुत ही कम भूमि की फोर्ट पर चाहिए थी। उनका कहना है कि उन्हें पता चला है कि अपर टर्मिनल बदलने के लिए कोई जगह चयनित की है लेकिन अभी तक कहीं कोई काम शुरू नहीं हुआ है। शेजवलकर ने कहा कि वहां उनके पास पहले से ही 60 हजार हेक्टेयर भूमि है और इसके लिए तो केवल 3 हजार फीट जगह चाहिए थी, इतनी से उनको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। हालांकि मुझे पता नहीं है कि कि वहां किसने जमीन लीज पर मांगी है या नहीं।
शेजवलकर बोले- हर नागरिक चाहता है रोपवे बने, अड़चनें हैं तो प्रशासन दूर करे
बीजेपी सांसद शेजवलकर ने कहा कि ग्वालियर का हर नागरिक चाहता है कि रोपवे बने। इसके लिए हम सबने प्रयास किए और सारी स्वीकृतियों के बाद काम भी शुरू हो गया। अब भी अगर कोई बाधा है तो ये जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वो उन्हें दूर करे क्यों आज इसे बनाने का अच्छा मौका है। इसके लिए केंद्र सरकार काफी बड़ी धनराशि दे रही है।
कलेक्टर ने दिया गोलमोल जबाव
भूमि आवंटन कार्यवाही का ये मामला उजागर होने के बाद प्रशासन भी हड़बड़ी में आ गया। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इस मामले पर गोलमोल जबाव दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि जमीन आवंटन के लिए एक आवेदन प्राप्त हुआ है। जब भी कोई सामाजिक, शैक्षणिक संस्था इसके लिए आवेदन देती है तो उसकी एक प्रक्रिया है। उसे दर्ज कर इश्तिहार जारी करते हैं। परीक्षण करते हैं और फिर उसी प्रोसेस में जमीन आवंटन के मामले निपटाए जाते हैं। जब उनसे पूछा कि किसके नाम से आवेदन आया है तो वे नाम लेने से भी बचते रहे। उन्होंने कहा कि अभी हमने एग्जेक्ट परीक्षण नहीं किया है इसलिए नहीं बता सकता।
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नेता प्रतिपक्ष का तंज, बोले- जमीन हड़पने के लिए धन्यवाद
मामला चर्चा में आने के बाद अब कांग्रेस भी मैदान में आ गई और इस मुद्दे पर मोर्चा संभाला है, प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मैं सिंधिया जी को धन्यवाद देता हूं कि ग्वालियर को लेकर उनका जो सोच पूरे ग्वालियर को हड़पने का है जिसके लिए वे एक न एक योजना चलाते हैं। डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से इस जमीन को आवंटन करने का विरोध करता हूं और अगर ये मामला विधानसभा में आएगा तो भी पुरजोर ढंग से इसका विरोध करूंगा।
कांग्रेस बोली- ये ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने भी इसकी आड़ में बीजेपी पर गहरा तंज कसते हुए कहा कि सच में सपनों का जागते हुए मरना बहुत बुरा लगता है, लेकिन ये तो सिंधिया बीजेपी ने बीजेपी के देव-दुर्लभों को अपनी कार्य शैली का दिखाया गया ट्रेलर मात्र है। पिक्चर अभी बाकी। अभी तो उनकी योजनाओं को हाशिए पर फेंकने की शुरुआत है, कुछ दिनों में खुद वे भी हाशिए पर फेंके जाएंगे।