विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल में ''वर्ल्ड क्लास'' इलाज के दावों की खुली पोल, दरबदर भटक रहे मरीज

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Jitendra Shrivastava
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विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल में ''वर्ल्ड क्लास'' इलाज के दावों की खुली पोल, दरबदर भटक रहे मरीज

गौरव शुक्ला, REWA. मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थित संजय गांधी हॉस्पिटल में बदहाली का आलम है। मरीजों को कई-कई दिनों तक पर्ची बनवाने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। अस्पताल के सभी काउंटर पर लोगों की भीड़ लगी हुई है, जिसकी वजह से मरीजों का उपचार भी समय पर नहीं हो पा रहा है।



शारीरिक व मानसिक आघात वाले व्यक्ति को समय पर नहीं मिलता इलाज



मध्यप्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज और आधुनिक तकनीक होने का दावा करती है तो वहीं, विंध्य नगरी का क्षेत्र रीवा जिले की भौगोलिक परिस्थितियां और लापरवाही से ऐसे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के कारण नब्बे प्रतिशत मरीजों को या तो अपने अंगों से हाथ धोना पड़ता है या जीवन से। आघात शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का होता है। ऐसे मरीजों के लिए उपचार के लिए अधिकतम छह घंटे निर्धारित हैं। इस समय अवधि को गोल्डन पीरियड नाम दिया गया है। शारीरिक व मानसिक आघात वाले मरीजों को समय पर और सही तरीके से अस्पताल न पहुंचने के कारण इसका भुगतान मरीजों को चुकाना पड़ रहा है। 



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ट्रामा सेंटर न होने से दुर्घटना वाले 90% लोगों की हो रही मौत



विंध्य नगरी में संजय गांधी अस्पताल के सिवाय कोई ट्रामा सेंटर न होने से गंभीर घायलों को उचित उपचार नहीं मिल पाता, इस वजह से जनवरी से दिसंबर तक 90% व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। जब गंभीर घायलों को किसी और अस्पताल या ट्रामा सेन्टर के लिए रेफर किया जाता है तो वहां तक पहुंचने में भी काफी देरी हो जाती है। लोगों का खून अधिक बह जाता है। इसके फल स्वरूप लोगों की मौत हो जाती है। यह स्थिति अब से नहीं बल्कि, दशकों से बनी हुई है। और तो और आघात वाले मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए कुछ ज्यादा ही एहतियात बरतने की जरूरत होती है।



हाइवे पर घायल हुए लोगों को संजय गांधी अस्पताल ही लाया जाता है 



लोगों का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद ट्रामा सेंटर रीवा जिले  में नहीं बन पाया। वहीं संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक अवतार सिंह का कहना है कि रीवा जिले ट्रामा सेंटर के लिए पत्राचार किया जा रहा है। बहुत जल्द ही विंध्य नगरी को ट्रामा सेंटर कि सौगात मिल सकती है। वहीं उन्होंने ने यह भी कहा कि हादसे में घायल व्यक्ति की सहायता पुण्य कार्य जैसा है। गोल्डन आवर में घायल को अस्पताल पहुंचाकर उसकी अनमोल जान बचाई जा सकती है। वैसे तो जिले में सरकारी ट्रामा सेंटर नहीं है। फिर भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर होनी वाली दुर्घटना में घायलों को सबसे पहले संजय गांधी अस्पताल में आपातकालीन विभाग में ही घायलों के प्राथमिक उपचार के लिए भर्ती कराया जाता है। जिसमें न्यूरो सर्जन 6, आर्थो 8, सर्जन 13 डॉक्टर उपलब्ध है।


MP News एमपी न्यूज Hospital in Rewa in bad shape lack of trauma center in Rewa patients do not get treatment रीवा में अस्पताल बदहाल रीवा में ट्रामा सेंटर की कमी मरीजों को नहीं मिलता इलाज